बच्चों में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर (Difference between Type 1 and Type 2 Diabetes in Children)
जिन बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज होती है, उनके शरीर का इम्यून सिस्टम अग्नाश्य के सेल्स पर अटैक करता है। क्योंकि, यह सेल्स खराब हो चुके होते हैं, ऐसे में टाइप 1 डायबिटीज का शिकार बच्चे इंसुलिन नहीं बना पाते हैं। उन्हें इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। जिन बच्चों को टाइप 2 डायबिटीज होती है, उनका अग्न्याशय इंसुलिन नहीं बना पाता है या उसका सही से प्रयोग नहीं कर पाता है। ऐसे में उन्हें हाय ब्लड शुगर को हेल्दी लाइफस्टाइल, इंसुलिन आदि से मैनेज करना होता है। इन दोनों डायबिटीज में एक समान लक्षण इस प्रकार हैं:
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- अधिक भूख या प्यास (Excessive Hunger or Thirst)
- लगातार बाथरूम जाना (Frequent Urination)
- थकावट (Fatigue)
- वजन कम होना (Weight loss)
- सुस्ती (Lethargy)
- बिस्तर गीला करना (Bedwetting)
- आंखों का कमजोर होना (Blurred vision)
बच्चों में अधिकतर टाइप 1 डायबिटीज पाई जाती है। लेकिन, अब बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes in Children) की समस्या भी देखी जा रही है और इसका कारण है मोटापा, बच्चों का बदलता लाइफस्टाइल और डायट संबंधी आदतें ।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का निदान (Diagnosis of Type 2 Diabetes in Children)
ल्युसिल पैकर्ड चिल्ड्रन ‘स हॉस्पिटल स्टैनफोर्ड (Lucile Packard children’s Hospital Stanford) के अनुसार किसी भी प्रकार की डायबिटीज का कोई उपचार नहीं है। लेकिन, लाइफस्टाइल में परिवर्तन से ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है और स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है। इस समस्या के निदान के लिए आपको बच्चों के डायबिटीज के लक्षणों को नोटिस करना चाहिए। हालांकि टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण बच्चों में कम नजर आते हैं। ऐसे में जिन बच्चों को टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती हैं उन्हें समय-समय पर स्क्रीनिंग करानी चाहिए। इसकी स्क्रीनिंग में यह टेस्ट शामिल हैं :
- ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन A1C टेस्ट (Glycated hemoglobin A1C Test) : ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन A1C टेस्ट में रेड ब्लड सेल्स में ग्लूकोज की मात्रा के बारे में पता चल सकता है। इस टेस्ट से पिछले तीन महीनों में एवरेज ब्लड ग्लूकोज लेवल का पता चल जाता है।
- फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज (Fasting Plasma Glucose) : फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज ब्लड टेस्ट आठ घंटे कुछ न खाने के बाद किया जाता है।
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral Glucose Tolerance Test) : यह टेस्ट ग्लूकोज ड्रिंक को पीने के दो घंटे बाद किया जाता है। ताकि ब्लड ग्लूकोज लेवल को जांचा जा सके।
अगर बच्चे को टाइप 2 डायबिटीज की समस्या है तो अन्य यूरिन और ब्लड टेस्ट भी किए जा सकते हैं।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Type 2 diabetes in a Children)
हेल्दी लाइफस्टाइल चॉइस बच्चों में टाइप 2 और टाइप 1 डायबिटीज से बचने में मदद कर सकती हैं। अगर आपके बच्चे को यह समस्या है, तो लाइफस्टाइल में बदलाव से मेडिकेशन्स की जरूरत कम हो सकती है। इसके साथ ही अन्य जटिलताओं का जोखिम भी कम हो सकता है। इसलिए, अपने बच्चे को हेल्दी हैबिट्स अपनाने के लिए कहें। इस समस्या का उपचार बच्चे के लक्षणों, उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार किया जाता है। इसके साथ ही यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि स्थिति कितनी गंभीर है। इसके उपचार का उद्देश्य यही होता है कि लक्षणों को कम किया जा सके। इसके उपचार के लिए डॉक्टर आपको इन विकल्पों की सलाह दे सकते हैं:
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