इन जैसी समस्या हो सकती है। यह लक्षण आपको तब दिखाई देते हैं, जब आप वॉटर इंटॉक्सीकेशन के शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए आइए जानते हैं।
क्या करें, जब हो जाए वॉटर पॉयजनिंग? (Water poisoning)
यदि आप या आपके किसी करीबी को वॉटर इंटॉक्सीकेशन (Water intoxication) यानी कि वॉटर पॉयजनिंग के यह लक्षण दिखाई देते हैं, जिसमें यदि खास तौर पर कमजोरी की समस्या होती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। जब आपके शरीर में जरूरत से ज्यादा फ्लूइड जमा होने लगता है, तो शरीर में मौजूद सेल्स, जिनमें ब्रेन सेल्स का भी समावेश होता है, इन में सूजन आने लगती है।
ब्रेन में सूजन (Swelling in brain) आने से आप
सीजर्स (Seizures),
कोमा (Coma) और यहां तक कि मौत के शिकार भी हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में नमक युक्त खाना खाने से कुछ समय तक के लिए आराम हो सकता है, लेकिन इसके अलावा आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
वॉटर इंटॉक्सीकेशन (Water intoxication) या डिहायड्रेशन?
आपको एक बात की जानकारी दे दें कि वॉटर इंटॉक्सीकेशन (Water intoxication) और डिहायड्रेशन दोनों के लक्षण एक जैसे होते हैं, इसीलिए आपको इस बात का पता लगाना बेहद जरूरी है कि आपको दोनों में से कौन सी तकलीफ हुई है। यदि आप इन लक्षणों को सटीकता से नहीं पहचान पा रहे हैं, तो आपको तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। ऐसी स्थिति में पानी का इस्तेमाल कम मात्रा में करना ही आपके लिए फायदेमंद माना जाएगा। चिकित्सक की सलाह के अनुसार आपको इसके बाद पानी का सेवन करना चाहिए।
कितना पानी सही, कितना नहीं?
अब तक यह नहीं पता लगाया जा सका है कि पानी की कितनी मात्रा आपकी जिंदगी पर खतरा बन सकती है, लेकिन 1 घंटे में आपको कितना पानी पीना चाहिए, इसका ट्रैक रखकर आप इस स्थिति से बच सकते हैं। यह आपकी उम्र, जेंडर और ओवरऑल हेल्थ (Overall health) के मुताबिक जांचा जा सकता है। एक हेल्दी व्यक्ति की किडनी 1 दिन में 20 से 28 लीटर पानी बाहर निकाल सकती है, लेकिन किडनी 1 घंटे में सिर्फ 1 लीटर पानी की शरीर से बाहर निकालने का काम करती है। इसीलिए 1 घंटे में 1 लीटर से ज्यादा पानी पीने पर इसका सीधा प्रभाव किडनी पर पड़ता है और
किडनी से संबंधित समस्याएं (Kidney Problems) पैदा हो सकती है। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों में किडनी धीरे काम करती है और इसीलिए उन्हें सही अमाउंट में पानी पीना बेहद जरूरी है। साथ ही वॉटर इंटॉक्सीकेशन (Water intoxication) की समस्या बुजुर्गों और बच्चों में जल्दी हो सकती है।