नोट: आपको कितनी मात्रा में क्या चीजें लेनी है और कितनी कैलोरी लेनी है, यह बात आपके शुगर लेवल और बीएमआई पर भी निर्भर करती है। शुगर लेवल के अचानक बढ़ने से किडनी और हार्ट पर अचानक प्रेशर पड़ता है, जो खतरनाक हो सकता है।
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डायबिटीज के मरीजों के लिए 10 जरूरी सूपरफूड, जिसे रोज लें

अमरूद
अमरूद को सर्दियों का सुपरफूड्स माना जाता है। इसमें फाइबर की अधिक मात्रा भी शामिल होती है। इसलिए आप अमरूद का भी रोज सेवन जरूर करें। इससे शुगर का लेवल भी कंट्रोल में रहता है। क्योंकि इसमें कम मात्रा में ग्लाइसेमिक सूचकांक होता है। इसके सेवन से आपको ज्ल्दी भूंख नहीं लगती है। अमरूद को फ्रिज में रखने की गलती न करें। इसे बाहर ही रखें।
पालक
पालक में भी फाइबर अधिकम मात्रा में पाया जाता है और यह पचाने में भी आसान है। यह एक गैर-स्टार्च वाली सब्जी है और इसमें भी ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम मात्रा में पाया जाता है। यह डायबिटीज वालों के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें कार्बोहाइड्रेट भी काफी कम होता है। इसलिए पालक में लो कार्ब होने के कारण शुगर के मरीजों लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसलिए पालक को अपनी डायट में शामिल करें। सदिर्यों में आप पालक का जूस भी पी सकती हैं। इसके एक बाउल सूप में 7 कैलोरी होती है। यह शरीर में खून को भी बढ़ाता है। 5 ग्राम पालक में 0.80 के लगभग कैलोरी पायी जाती है।
चुकंदर
टाइप -2 मधुमेह वाले लोगों के लिए चुकंदर फायदेमंद माना जाता है। चुकंदर में फाइबर, पोटेशियम, आयरन और मैंगनीज पाया जाता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में फायदेमंद है। चुकंदर में कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जोकि डायबिटीज वालों के लिए जरूरी है। इसमें कई तरह के मिनरल और विटामिन होते हैं। डायबिटीज के लिए चुकंदर फायदेमंद माना जाता है। इसे उबाल कर, कच्चा या सलाद के रूप में, कैसे भी खा सकते हैं। इसका ग्लाइकेमिक इंडेक्स 64 होता है, इसलिए शुगर का स्तर बढ़ता नहीं है। इससे शरीर में खून की मात्रा भी सही बनी रहती है। सर्दियों में इसका सेवन जरूर करना चाहिए।
मेथी
शुगर वालों के लिए मेथी एक सुपरफूड है और इसका सेवन डायबिटीज वालों को हर मौसम में करना चाहिए। सूखी मेथी के अलावा सार्दियों में मेथी की पत्ती का सेवन भी अधिक लाभदायक माना जाता है। यह ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए कारगर माना जाता है। यह कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर है। इसमें हाइड्रॉक्सिसिलुसीन नामक एक एमिनो एसिड होता है, जो एक तरह का मधुमेह रोधक है। इसके सेवन से इंसुलिन स्राव का बढ़ाता है। इसमें मौजूद ग्लैक्टोमेनन डाइजेशन के रेट को कंट्रोल करता है। जिससे शरीर में कार्ब्स जल्दी ब्रेकडाउन नहीं होते हैं और शरीर में ब्लड शुगर का लेवल भी नियंत्रण में रहता है। हरी मेथी की सब्जी का प्रयोग आपके दिल को सेहतमंद रखने में मदद करता है। मेथी सब्जी खाने से पेट साफ रहता है और अपच की समस्या नहीं होती है।
गाजर
डायबिटीज के रोगियों के लिए गाजर बेहद फायदेमंद है। इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में पायाी जाती है और ये आपके खून में बहुत धीरे-धीरे शुगर रिलीज करता है। कई पोषक तत्वों से भरपूर, गाजर में विटामिन ए और मिनरल्स की अच्छी मात्रा पायी जाती है, जोकि डायबिटीज वालो की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं। मधुमेह के मरीजों के लिए कच्चा गाजर खाना चाहिए। इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के साथ कार्ब भी कम मात्रा में हाेता है, जो रक्त में शर्करा के क्रमिक रिलीज को सुनिश्चित करने में मदद करती है। गाजर को आप सलाद के रूप में खाएं। जर्नल ह्यूमन जेनेटिक्स में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि कॉमन जेनेटिक भिन्नता वाले लोगों में बीटा कैरोटीन के हाई ब्लड शूगर लेवल, जो शरीर में विटामिन ए के रूप में परिवर्तित होता है, टाइप -2 मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है।
नारंगी
संतरे सहित सभी खट्टे फलों को अक्सर विशेषज्ञों में सुपरफूड माना जाता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन नींबू सहित सभी खट्टे फलों को ‘डायबिटीज सुपरफूड्स’ मानता है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के साथ, सलाद या ताजा घर के बने रस जैसे व्यंजनों में संतरे शामिल कर सकते हैं। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए नारंगी को भी डाइट में शामिल किया जा सकता है।
लौंग
लौंग में नाइजेरिसिन तत्व होता है, जो डायबिटीज के रोगियों में नियमित रक्त शर्करा के स्तर की सहायता कर सकते हैं। यह खून से अवशोषित करने के लिए कोशिकाओं की क्षमता और इंसुलिन का उत्पादन करने की क्षमता भी बढ़ाता है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, लौंग ब्लड शुगर स्पाइक्स की जांच में मदद करता है और इंसुलिन उत्पादन को बढ़ावा देता है। लौंग का अर्क इंसुलिन के स्राव को बढ़ाने में मदद कर सकता है और इंसुलिन के लिए शरीर की प्रतिक्रिया में सुधार करता है। आप सुबह के चाय के कप में लौंग को शामिल कर सकते हैं। इससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में काफी मदद मिल सकती है।
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डायट में इन बातों का रखें ध्यान
त्वचा रूखी हो जाये तो
सर्दियों के मौसम में त्वचा में रूखेपन के कारण खुजली होती है। ऐसी स्थिति में अधिक खुजलाने पर त्वचा की पहली परत छिल जाती है जिसके कारण पानी निकलने लगता है और घाव हो जाते हैं। मधुमेह रोगियों के लिए यहां मुश्किल हो जाती है, क्योंकि घाव भरने में समय लगता है। ऐसे मरीज की त्वचा छिलना या घाव बनना खतरनाक भी हो सकता है। इसलिए मधुमेह रोगी को शुगर का स्तर नियंत्रित रखना चाहिए।
ऑयली खाने से बचें
दूसरे मौसम में भी मधुमेह के रोगियों को ऑयली आहार के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है। लेकिन सर्दियों के मौसम में इनको इससे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि इस समय इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है। इसलिए डायबिटिक्स को तेल, घी, चिकनाई एवं वसा वाली वस्तुएं अत्यन्त कम मात्रा में खानी चाहिए। इसके अलावा डिब्बाबंद, बोतलबंद एवं प्रोसेस्ड व रिफाइंड वस्तुओं से बचें। डायबिटीज विंटर केयर गाइड में आप इन सभी बातों का ध्यान रखें ।
अन्य चीजें
डायबिटीज के रोगियों को एक बार में अधिक खाने से बचना चाहिए, बल्कि कम मात्रा में कई बार में खाना इनके लिए फायदेमंद माना जाता है। डायबिटीज के रोगी ब्रेड, चावल, दाल आदि चिकित्सक की सलाह के बाद ही खायें। संतरा, सेब, पपीता, अमरूद आदि 200 से 250 ग्राम प्रतिदिन खा सकते हैं। दूध-दही आदि सामान्य मात्रा में ही लें। सूप एवं नारियल पानी भी ज्यादा मात्रा में न लें। सलाद अंकुरित अनाज, खारी, मूली, टमाटर, पत्तेदार सब्जियां शिमला मिर्च, लौकी आदि का सेवन कर सकते हैं।
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डायबिटीज फुट केयर टिप्स
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, डायबिटीज नर्व क्षति या रक्त के अनुचित संचलन को जन्म दे सकती है, इसलिए डायबिटीज फुट केयर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वस्थ रहने के लिए, स्वस्थ जीवन शैली को विकसित करके मधुमेह का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। डायबेटिक को दूर रखने और एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने के लिए, इनका पालन किया जाना चाहिए-
- एक नियमित मेडिकल चेकअप जिसमें कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर के साथ-साथ पैरों की पूरी जांच शामिल है
- नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच और मूल्यांकन करते रहें
- नियमित रूप से व्यायाम करना
- संतुलित आहार और सब्जियों और फलों का प्रतिदिन सेवन
हालाँकि, कुछ डायबिटीज़ फ़ुट केयर टिप्स हैं जिनका नियमित रूप से पालन किया जा सकता है-
- डायबिटीज विंटर केयर गाइड: पैरों का निरीक्षण करना: अगर कोई दर्द नहीं है, तो भी फफोले, लालिमा या खराश के किसी भी लक्षण का पता लगाने के लिए पैरों के हर हिस्से की जांच सुनिश्चित करें। यदि आप इस तरह के किसी भी लक्षण को देखते हैं तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- डायबिटीज विंटर केयर गाइड: पैरों को धोना: हल्के साबुन और गर्म पानी से पैरों को नियमित रूप से धोना एक आदत है, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण डायबिटीज फुट केयर टिप है। अगर आपको नसों को नुकसान पहुंचा है और सनसनी की कमी है, तो उंगलियों से पानी का तापमान जांचें। अगर आपको डायबिटीज पैर दर्द है, तो भी इस कदम को करने से आपका दर्द कम हो सकता है। साथ ही, बाज़ार में ऐसे कई डायबिटीज़ फ़ुट केयर उत्पाद उपलब्ध हैं जिनका उपयोग साबुन के बजाय पैरों को भिगोने के लिए किया जा सकता है।
- डायबिटीज विंटर केयर गाइड: पैरों को सुखाना: किसी भी तरह के संक्रमण की घटना से बचने के लिए धोने के बाद पैरों को हमेशा सूखा रखना जरूरी है। एक साफ तौलिया के साथ पैरों को सुखाने की सलाह दी जाती है।
- डायबिटीज विंटर केयर गाइड: त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना: पैरों को सूखने के बाद डायबिटीज़ फ़ुट केयर उत्पादों या किसी भी तरह के माइल्ड मॉइस्चराइज़र का उपयोग करने से त्वचा को शुष्क होने से बचाने की सलाह दी जाती है।
टो नेल के लिए, केवल नाखून नरम होने पर उन्हें काटना सुनिश्चित करें। इसके अलावा, काटते समय कोनों को काटें नहीं क्योंकि इससे संक्रमण हो सकता है। खराब दृष्टि वाले रोगियों के लिए, किसी भी गंभीर चोट से बचने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क किया जा सकता है।
डॉक्टर की सलाह
डायबिटीज विंटर केयर गाइड इस बारे में किंग जॉर्ज हॉस्पिटल के डॉक्टर डी हिमांशू का कहाना है कि सबसे पहले तो आपको ये पता होना चाहिए कि डायबिटीज मरीजों को पैरों की देखभाल क्यों करनी चाहिए? डॉ. के मुताबिक, डायबिटीज के कारण जब नर्व डैमेज होती हैं तो पैरों पर उसका बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डायबिटीज के कारण डायबिटीक न्यूरोपैथी (मधुमेह स्नायुरोग) विकार हो जाता है जिसमें पैर सुन्न हो जाते हैं। ऐसे में पैरों पर कोई दरार पड़ती है या कट लगता है तो मरीज को उसके बारे में समय रहते नहीं पता चलता है। कई बार चलते हुए पैर में मोच आ जाती है या बैलेंस बिगड़ जाता है तब भी डायबिटीज मरीजों को किसी चोट का अहसास तक नहीं होता। यदि मोच आ भी गई तो कितना दर्द है या कितनी तेज पैर में लगी है इसका भी उन्हें अहसास नहीं हो पाता। मरीज को यदि कोई इंफेक्शन हो गया या फिर कोई इंजरी हुई है तो उसको आसानी से पता नहीं चल पाता।
डायबिटीज होने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता नतीजन, इलाज के दौरान मरीज को यदि कोई ड्रग या दवाएं दी जाएं तो उनका असर भी कम हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि पैरों की देखभाल समय रहते कर लें। उन्होंने कहा कि इस बदलाव की वजह से शरीर में ग्लूकोज और फेरिफेरल टिशू (सतही उत्तकों) में इनसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है। सर्दियों में लोग तनाव ज्यादा लेते हैं और अवसाद के शिकार हो जाते हैं। इस तनाव की प्रतिक्रिया में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। सर्दियों का मौसम चल रहा है तो ज़ाहिर सी बात है कि हर कोई सर्दी या फ्लू जैसी किसी समस्या से ग्रस्त हो जाता है। ऐसे में अगर कोई डायबिटीज़ से जूझ रहा है तो उसके लिए सर्दी और फ्लू जैसे संक्रमण थोड़ा और गंभीर हो सकता है।
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डायबिटीज वालों को फ्लू होने पर क्या करें
- डायबिटीज़ वाले व्यक्तियों में संक्रमण होने के मौके ज़्यादा होते हैं। इसलिए इससे जूझ रहे व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वे सर्दी और फ्लू की बीमारी से बचे रहें। आपको सर्दियों में फ्लू से बचाव के लिए नीचे कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप हेल्दी रह सकते हैं।
- आमतौर पर देखा गया है कि लोग सर्दियों में पानी पीना कम कर देते हैं। ऐसे में प्यासे रहने की बजाय बहुत सारे तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि अगर कोई ठीक से अपना खाना नहीं खा रहा है और प्यासा भी रहता है तो उसके ब्लड ग्लूकोज़ लेवल पर बूरा प्रभाव पड़ सकता है। प्यासा रहना कई समस्याओं का कारण बन सकता है।
- आपको यह सुनिश्चित करना है कि आप ज़्यादा आराम करें, क्योंकि यह आपके शरीर को विभिन्न बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। जब आप लगातार व्यस्त रहते हैं और फ्लू से पीड़ित होते हैं तो इससे आपका शरीर कमजोर हो जाता है। लिहाजा शरीर को एक पूर्ण आराम देना बहुत महत्वपूर्ण है।
- इस परिस्थिति में लोगों को जस्ता और विटामिन सी के सेवन की सलाह दी जाती है, क्योंकि विटामिन सी फ्लू में लाभदायक होता है। आम तौर पर नारंगी, नींबू और विभिन्न फल व सब्जियां विटामीन सी के अच्छे स्त्रोत होते हैं। इसमें नारंगी का जूस लेना भी काफी लाभदायक होता है।
- हालांकि अगर आप उच्च तापमान से पीड़ित हैं, तो आपको हमेशा सलाह दी जाती है कि पहले अपने एक्सपर्ट से मिलें। सभी डायबिटीज़ की दवाएं पेरासिटामोल के अनुकूल हैं। फिर भी एक बार डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, क्योंकि उच्च तापमान आपके शरीर में अन्य संक्रमण का संकेत भी हो सकता है।