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प्रोटीन का पाचन और अवशोषण शरीर में कैसे होता है? जानें प्रोटीन की कमी को दूर करना क्यों है जरूरी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/01/2022

    प्रोटीन का पाचन और अवशोषण शरीर में कैसे होता है? जानें प्रोटीन की कमी को दूर करना क्यों है जरूरी

    बीमारियों से बचने और शारीरिक विकास के लिए शरीर को सभी तरह के नुट्रिशन्स की आवश्यकता होती है। इसलिए, स्वस्थ रहें के लिहाज से डॉक्टर हर तरह के पोषक तत्व से भरपूर संतुलित डाइट लेने की सलाह देते हैं। प्रोटीन, इस संतुलित आहार का एक बेहद जरूरी हिस्सा है। प्रोटीन शरीर के बॉडी पार्ट की हेल्थ के लिए उत्तरदायी होता है। आखिर यह प्रोटीन क्या है? प्रोटीन कौन-कौन से होते हैं? प्रोटीन का पाचन और अवशोषण कैसे होता है? प्रोटीन के फायदे, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, शरीर में प्रोटीन की भूमिका और प्रोटीन का पाचन से क्या है संबंध? ये सब जानेंगे ‘हैलो स्वास्थ्य’ के इस लेख में।

    प्रोटीन (Protein) क्या है?

    प्रोटीन आपके शरीर में सबसे महत्वपूर्ण पदार्थों में से एक है। आपकी मांसपेशियों, बालों, आंखों, ऑर्गन्स और कई हॉर्मोन्स और एंजाइम मुख्य रूप से प्रोटीन से बने होते हैं। यह आपके शरीर के ऊतकों की मरम्मत और रखरखाव में भी मदद करता है। हालांकि, सभी प्रोटीन एक जैसे नहीं होते हैं।

    प्रोटीन एक पोषक तत्व है जो अमीनो एसिड नामक छोटे-छोटे सब्स्टांसेस से बना है। 20 तरह के अमीनो एसिड होते हैं, लेकिन आपका शरीर उनमें से केवल 9 बना सकता है। अन्य 11 को एसेंशियल अमीनो एसिड (essential amino acid) कहा जाता है, और आप उन्हें केवल अपने आहार के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।

    उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन स्रोत, जैसे कि मांस, मछली, अंडे और डेयरी उत्पादों में सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। इन्हें होल प्रोटीन (whole protein) या कम्पलीट प्रोटीन (complete protein) भी कहा जाता है। अन्य प्रोटीन स्रोत, जैसे कि नट्स, बीन्स और सीड्स में केवल कुछ एसेंशियल अमीनो एसिड होते हैं।

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    प्रोटीन की आवश्यकता क्यों होती है?

    सभी नौ एसेंशियल अमीनो एसिड के बिना इंसान जीवित नहीं रह सकता है। प्रोटीन हड्डियों, और शरीर के ऊतकों, जैसे मांसपेशियों के निर्माण के लिए आवश्यक है, लेकिन प्रोटीन इससे कहीं अधिक है। खाद्य पदार्थों के माध्यम से प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन लेना जरूरी होता है, क्योंकि बॉडी इसे फैट या कार्बोहाइड्रेट की तरह स्टोर नहीं करता है। शरीर में प्रोटीन इसलिए जरूरी है:

    • प्रोटीन बॉडी सेल्स को रिपेयर करने के साथ ही नई कोशिकाओं को बनाने में हेल्पफुल होता है।
    • प्रोटीन बॉडी में होने वाली कई तरह की प्रक्रियाओं के लिए जरूरी है, जैसे कि तरल पदार्थ का संतुलन, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, ब्लड क्लॉट प्रॉसेस, एंजाइम और हॉर्मोन का उत्पादन।
    • यह मसल्स, हड्डी, स्किन, बाल और इंटरनल ऑर्गन्स (internal organs) का प्रमुख हिस्सा है।

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    प्रोटीन के प्रकार

    प्रोटीन मैक्रोन्यूट्रिएंट होते हैं जो शरीर के ऊतकों के विकास और रखरखाव को सपोर्ट करते हैं। अमीनो एसिड प्रोटीन के बेसिक बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं और इन्हें एसेंशियल या नॉन-एसेंशियल के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एसेंशियल अमीनो एसिड प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मांस, फलियां और पोल्ट्री से प्राप्त होते हैं, जबकि नॉन-एसेंशियल आपके शरीर में स्वाभाविक रूप से संश्लेषित होते हैं।

    प्रोटीन के प्रकार : हॉर्मोनल प्रोटीन (Hormonal protein)

    हॉर्मोन, प्रोटीन आधारित केमिकल्स हैं जो अंतःस्रावी ग्रंथियों की कोशिकाओं द्वारा स्रावित होते हैं। आमतौर पर ब्लड के माध्यम से ले जाया जाता है। हॉर्मोन केमिकल मैसेंजर्स के रूप में कार्य करते हैं जो एक सेल से दूसरे में संकेतों को प्रसारित करते हैं। प्रत्येक हॉर्मोन आपके शरीर में कुछ कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जिन्हें टार्गेट सेल्स (target cells) के रूप में जाना जाता है। ऐसी कोशिकाओं में विशिष्ट रिसेप्टर्स होते हैं, जिस पर हॉर्मोन सिग्नल्स को प्रसारित करने के लिए खुद को संलग्न करता है। हॉर्मोनल प्रोटीन का एक उदाहरण इंसुलिन है, जो आपके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को विनियमित करने के लिए अग्न्याशय द्वारा स्रावित होता है।

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    प्रोटीन के प्रकार : एंजाइमैटिक प्रोटीन (Enzymatic Protein)

    एंजाइमी प्रोटीन आपके कोशिकाओं में चयापचय प्रक्रियाओं को तेज करते हैं, जिसमें लिवर फंक्शन, पेट का पाचन, ब्लड क्लॉटिंग और ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तित करना शामिल है। पाचन एंजाइम इसका ही एक उदहारण है जो भोजन को सिंपल फॉर्म्स में तोड़ता है ताकि आपका शरीर इसे आसानी से अवशोषित कर सके।

    प्रोटीन के प्रकार : संरचनात्मक प्रोटीन (Structural protein)

    इन्हें रेशेदार प्रोटीन के रूप में भी जाना जाता है। ये स्ट्रक्चरल प्रोटीन आपके शरीर के आवश्यक घटक हैं। उनमें कोलेजन (collagen), केराटिन (keratin) और इलास्टिन (elastin) शामिल हैं। कोलेजन आपकी मांसपेशियों, हड्डियों, टेंडन्स, स्किन और कार्टिलेज के कनेक्टिव फ्रेमवर्क का निर्माण करता है। केराटिन बाल, नाखून, दांत और त्वचा का मुख्य संरचनात्मक घटक है।

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    प्रोटीन के प्रकार : स्टोरेज प्रोटीन (Storage protein)

    स्टोरेज प्रोटीन मुख्य रूप से आपके शरीर में पोटैशियम जैसे मिनरल आयन्स को संग्रहीत करते हैं। उदाहरण के लिए, आयरन, हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए आवश्यक आयन है, जो रेड ब्लड सेल्स (red blood cells) का मुख्य संरचनात्मक घटक है। फेरिटिन, एक स्टोरेज प्रोटीन हैं जो आपके शरीर में अतिरिक्त आयरन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ काम करता है। ओवलबुमिन (Ovalbumin) और कैसिइन (casein) ब्रेस्ट मिल्क और एग वाइट में पाए जाने वाले स्टोरेज प्रोटीन होते हैं।

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    प्रोटीन के प्रकार : ट्रांसपोर्ट प्रोटीन (Transport Protein)

    कोशिकाओं तक महत्वपूर्ण सामग्री को ले जाने का काम ट्रांसपोर्ट प्रोटीन करते हैं। उदाहरण के लिए, हीमोग्लोबिन फेफड़ों से शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। सीरम एल्ब्यूमिन आपके ब्लड स्ट्रीम में वसा पहुंचाता है, जबकि मायोग्लोबिन, हीमोग्लोबिन से ऑक्सीजन को अवशोषित करता है और फिर इसे मांसपेशियों में रिलीज करता है। कैलबिंडिन (Calbindin) एक अन्य ट्रांसपोर्ट प्रोटीन है जो आंतों की दीवारों से कैल्शियम के अवशोषण की सुविधा प्रदान करता है।

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    प्रोटीन के प्रकार : रक्षात्मक प्रोटीन (Defensive protein)

    एंटीबॉडीज या इम्युनोग्लोबुलिन, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) का एक मुख्य हिस्सा हैं, जो रोगों को दूर रखते हैं। एंटीबॉडी सफेद रक्त कोशिकाओं में बनते हैं और बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों पर हमला करके उन्हें निष्क्रिय करते हैं।

    प्रोटीन के प्रकार : रिसेप्टर प्रोटीन (Receptors protein)

    कोशिकाओं के बाहरी भाग पर स्थित, रिसेप्टर प्रोटीन उन पदार्थों (पानी और नुट्रिशन्स) को नियंत्रित करते हैं जो कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं। कुछ रिसेप्टर्स एंजाइमों को सक्रिय करते हैं, जबकि अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों (endocrine glands) को उत्तेजित करते हैं ताकि वे शुगर-लेवल को विनियमित करने के लिए एपिनेफ्रीन (epinephrine) और इंसुलिन का स्राव कर सकें।

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    प्रोटीन के प्रकार : कंस्ट्रिक्टिव प्रोटीन (Constrictive protein)

    इन्हें मोटर प्रोटीन (motor protein) भी कहा जाता है। ये प्रोटीन हृदय और मांसपेशियों के संकुचन की ताकत और गति को नियंत्रित करता है। ये प्रोटीन, एक्टिन और मायोसिन हैं। यदि ये ज्यादा संकुचन उत्पन्न करते हैं, तो कंस्ट्रिक्टिव प्रोटीन दिल की जटिलताओं का कारण बन सकता है।

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    प्रोटीन पाचन और शरीर में एंजाइम की भूमिका

    प्रोटीन का पाचन तब शुरू होता है जब आप पहली बार भोजन को चबाना शुरू करते हैं। आपके लार में दो एंजाइम होते हैं जिन्हें एमाइलेज और लाइपेज कहा जाता है। वे ज्यादातर कार्बोहाइड्रेट और वसा को तोड़ते हैं।

    एक बार प्रोटीन सोर्स जब आपके पेट में पहुंच जाता है, तो हाइड्रोक्लोरिक एसिड और प्रोटीज एंजाइम खाने को अमीनो एसिड की छोटी श्रृंखलाओं में तोड़ देते हैं। अमीनो एसिड पेप्टाइड्स द्वारा एक साथ जुड़े होते हैं, जिन्हें प्रोटीज द्वारा तोड़ा जाता है।

    आपके पेट से, अमीनो एसिड की ये छोटी श्रृंखलाएं आपकी छोटी आंत में चली जाती हैं। जहां आपका अग्न्याशय एंजाइमों और एक बाइकार्बोनेट बफर को रिलीज करता है जो पचे हुए भोजन की अम्लता को कम करता है। इससे अमीनो एसिड श्रृंखला को अलग-अलग अमीनो एसिड में तोड़ना आसान हो जाता है।

    इस फेज में शामिल कुछ सामान्य एंजाइमों में शामिल हैं:

    • ट्रिप्सिन
    • चाइमोट्रिप्सिन (chymotrypsin)
    • कार्बोक्सीपेप्टिडेज (carboxypeptidase)

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    प्रोटीन पाचन कैसे होता है?

    प्रोटीन का पाचन के लिए सिंगल अमीनो एसिड, डाइप्टप्टाइड्स (dipeptides) और ट्रिपेप्टाइड्स (tripeptides) में प्रोटीन का पाचन पेट और छोटी आंत दोनों में विभिन्न प्रकार के पेप्टाइड्स (peptidases) द्वारा किया जाता है।

    पेट में प्रोटीन का पाचन

    प्रोटीन पाचन की शुरुआत पेट में पेप्सिन से होती है जो ऑक्सीनेटिक ग्रंथियों की गैस्ट्रिक चीफ सेल्स द्वारा स्रावित होता है और यह केवल पेट के कम पीएच एन्वॉयर्नमेंट में ही सक्रिय होता है।

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    छोटी आंत लुमन (Small Intestine Lumen)

    अग्नाशयी पाचन एंजाइम सबसे ज्यादा प्रोटीन पाचन में मददगार होते हैं। प्रमुख प्रोटियोलिटिक एंजाइमों में ट्रिप्सिन, चाइमोट्रिप्सिन, इलास्टेज और कार्बोक्सीपेप्टिडेज शामिल हैं। एक्सोक्राइन अग्न्याशय (exocrine pancreas) के ये एंजाइम प्रोटीन को कुछ अमीनो एसिड की छोटी श्रृंखलाओं तक पचाते हैं, जिन्हें “ओलिगोपेप्टाइड्स (Oligopeptides)” कहा जाता है।

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    स्मॉल इंटेस्टाइन एपिथेलियम (Small Intestine Epithelium)

    प्रोटीन पाचन का अंतिम चरण स्मॉल इंटेस्टाइन एपिथेलियम के बॉर्डर पर होता है। यहां, मेम्ब्रेन-बाउंड पेप्टाइड्स, ऑलिगोपेप्टाइड्स के पाचन को या तो एकल अमीनो एसिड या डाइपप्टाइड्स और ट्रिपपेप्टाइड्स में बदलते हैं।

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    प्रोटीन का पाचन और अवशोषण

    एक बार पूरी तरह से पचने के बाद, सिंगल अमीनो एसिड, डाइपेप्टाइड्स और ट्रिपेप्टाइड्स को ट्रांसपोर्ट किया जाता है। ये विभिन्न प्रकार के सिम्पोर्टर्स द्वारा एंटरोसाइट्स ल्यूमिनल मेम्ब्रेन के सेकेंडरी एक्टिव ट्रांसपोर्ट द्वारा होता है। कई तरह के साइटोसोलिक पेप्टाइड्स द्वारा एंटरोसाइट के अंदर किसी भी डाइप्टप्टाइड्स और ट्रिप्पप्टाइड्स को अलग-अलग अमीनो एसिड बनाने के लिए तोड़ा जाता है। तब, इंडिविजुअल अमीनो एसिड, बेसोललेटरल मेम्ब्रेन (basolateral membrane) और ब्लड में निष्क्रिय रूप से ले जाया जाता है।

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    प्रोटीन पाचन की समस्या को कैसे हल करें?

    अभी आपने प्रोटीन का पाचन कैसे होता है? प्रोटीन पाचन एंजाइम क्या हैं? यह सब जान लिया है। अब आपको प्रोटीन पाचन को बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए? आइए जानते हैं।

    प्रोटीन का पाचन: अपने भोजन में एंजाइम युक्त भोजन को शामिल करें

    जब आप एंजाइम युक्त खाद्य पदार्थ खाते हैं, तो आपका पाचन तंत्र कम तनाव में होता है। आपके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कच्ची सब्जियों और फलों की मात्रा में वृद्धि करना इन एंजाइमों को प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है। ज्यादा खाना पकाना जीवित एंजाइमों को नष्ट कर देता है। इसलिए, अधिक खाना पकाने से बचें।

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    प्रोटीन का पाचन: खाद्य पदार्थों को समझदारी से करें कंबाइन

    यदि आप प्रोटीन और स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थ एक साथ खाते हैं, तो इसके लिए आपके पेट के एसिड को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस तरह के फूड कॉम्बिनेशन का एक उदाहरण आलू के साथ मीट का सेवन करना है। दरअसल, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन अलग-अलग तरीकों से पचते हैं। इसलिए, ऐसे फूड कॉम्बिनेशन को पचाने के लिए आपके शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यदि आप हाई प्रोटीन फूड्स जैसे अंडे, पनीर या मीट का सेवन कर रहे हैं, तो उनके साथ कुछ और कंबाइन करना अवॉयड करें। साथ ही कोशिश करें कि इन्हें छोटे-छोटे पोर्शन में लें। रेड मीट या मछली जैसे उच्च एसिड बनाने वाले प्रोटीन के बजाय आप कम एसिड बनाने वाले प्रोटीन जैसे बीन्स, साबुत अनाज और दाल भी ले सकते हैं।

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    प्रोटीन का पाचन: भोजन को ठीक से चबाएं

    यह बहुत मामूली, लेकिन महत्वपूर्ण बात है। भोजन को ठीक से चबाना पाचन में सुधार कर सकता है और आपके शरीर को प्रोटीन की प्रक्रिया में मदद कर सकता है। पेट में प्रवेश करने से पहले आपका भोजन जितने छोटे टुकड़ों में टूटता है, तो इसके पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए उतने ही कम एंजाइमों की आवश्यकता होती है।

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    प्रोटीन का पाचन: आदतें जो हैं जरूरी

    प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को चुनने के अलावा, आप कुछ खास आदतों को भी अपना सकते हैं। ये अच्छी आदतें आपकी पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में मददगार हो सकती हैं जैसे-

    • प्रोटीन का पाचन के लिए दिन भर नियमित रूप से खाना खाएं,
    • प्रोटीन का पाचन के लिए अच्छी तरह से अपने भोजन को चबाएं,
    • प्रोटीन का पाचन के लिए स्ट्रेस कम लें,
    • प्रोटीन का पाचन के लिए भोजन के तुरंत बाद इंटेंस एक्सरसाइज से बचें,
    • प्रोटीन का पाचन के लिए एल्कोहॉल के सेवन को सीमित करें,
    • डायबिटीज और लिवर डिजीज को मैनेज करें, ये आपके डाइजेशन प्रॉब्लम की वजह बन सकते हैं,
    • प्रोबायोटिक्स लें जैसे-योगर्ट जो प्रोटीन अवशोषण में सुधार कर सकता है,
    • प्रोटीन का पाचन के लिए एक बार में खाने की बजाय थोड़ा-थोड़ा करके खाएं,
    • एक नियमित व्यायाम दिनचर्या का पालन करें

    प्रोटीन का पाचन: प्रोटीन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    प्रोटीन इनटॉलेरेंस क्या है?

    अमेरिकन कॉलेज ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के अनुसार प्रोटीन इनटॉलेरेंस तब होता है जब आपका शरीर उस भोजन में पाए जाने वाले कुछ प्रोटीन को पचाने में असमर्थ होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप मिल्क प्रोटीन के प्रति इनटॉलेरेंस हैं, तो आपके शरीर में प्रोटीन को तोड़ने के लिए आवश्यक एंजाइमों की कमी होती है। प्रोटीन का पाचन और अवशोषण करने के लिए शरीर को एंजाइमों की आवश्यकता होती है। यदि आप कुछ प्रोटीन को पचा नहीं पाते हैं, तो आपकी आंतों में सूजन आ सकती है। इससे गैस, दस्त, पेट दर्द, ऐंठन, सूजन और मतली हो सकती है।

    क्या किसी को प्रोटीन से एलर्जी भी हो सकती है? इसके क्या लक्षण हैं?

    हाँ, कुछ लोगों को प्रोटीन एलर्जी (protein allergy) होती है। आप किसी विशेष प्रोटीन युक्त खाद्य के प्रति भी एलर्जिक हो सकते हैं। यह एलर्जी आपके पाचन तंत्र को सीधे प्रभावित करती है। साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों में भी इसके लक्षण दिख सकते हैं। आम पाचन जटिलताओं में मतली, उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन, पेट में दर्द, गैस और सूजन शामिल हैं। इसके अलावा कुछ दुर्लभ लक्षण भी हैं जो शरीर में विकसित हो सकते हैं जैसे-चकत्ते, सांस की तकलीफ, घरघराहट, खांसी, सिरदर्द, पित्ती, चेहरे की सूजन आदि। कुछ फूड एलर्जी (food allergy) के परिणामस्वरूप गंभीर प्रतिक्रिया हो सकती है जो मृत्यु का कारण बन सकती है।

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    एक दिन में प्रोटीन की कितनी आवश्यकता होती है?

    प्रोटीन नीड्स हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है। हालांकि, सामान्य तौर पर प्रोटीन की प्रतिदिन मात्रा की बात करें तो व्यक्ति को अपने प्रति किलोग्राम वजन पर 0.8 ग्राम प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। उदाहरण के लिए आपका वजन 60 किलोग्राम है, तो 0.8 ग्राम को 60 गुणा करने पर प्राप्त वैल्यू का सेवन रोजाना करें। वहीं, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफोर्मेशन के अनुसार, प्रतिकिलो वजन के हिसाब से व्यक्ति को हर दिन 1.6 ग्राम प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। आपको फिट रहने के लिए प्रोटीन की कितनी आवश्यकता है? इस बारे में उचित जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें।

    शरीर में प्रोटीन की कमी से होने वाली बीमारियां कौन-सी हैं?

    प्रोटीन की कमी होने से शरीर में असामान्य तरीके से ब्लड क्लॉटिंग शुरू हो जाती है। इसकी वजह से शरीर में होने वाली कुछ बीमारियां इस प्रकार हैं-

    • मैरासमस (Marasmus) : मैरासमस की वजह से कमजोरी, वजन कम होना और मांसपेशियों का घटना (Muscle Squandering) जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
    • क्वाशियोरकर (Kwashiorkor) : यह आहार में प्रोटीन की गंभीर अपर्याप्त मात्रा से उत्पन्न हुआ एक प्रकार का कुपोषण है। इससे ज्यादातर युवा प्रभावित होते हैं। इसकी वजह से लिवर का बढ़ना, पैरों की सूजन, हेयर फॉल, चेस्ट और कमर के बीच के हिस्से में सूजन, सफेद दाग होना, डेंटल समस्या आदि हो सकती है।
    • मेंटल हेल्थ पर प्रभाव : प्रोटीन की कमी न केवल शरीर को बल्कि मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकती है। विशेष रूप से, युवाओं में प्रोटीन की कमी के कारण मेंटल फंक्शन बाधित हो सकता है। साथ ही चिड़चिड़ापन और गुस्सा आना जैसे स्वभाव में परिवर्तन भी देखने को मिलते हैं।
    • अन्य समस्याएं : प्रोटीन की कमी के चलते अंगों के कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं। यहां तक कि ऑर्गन फेल भी हो सकते हैं। मांसपेशियां सिकुड़ने लग सकती है और इम्यून सिस्टम भी प्रभावित होता है। साथ ही बोन डेंसिटी (bone density) में कमी आती है।

    प्रोटीन का पाचन: प्रोटीन युक्त आहार कौन-कौन से हैं?

    प्रोटीन की कमी को हाई प्रोटीन फूड्स के सेवन से दूर किया जा सकता है। प्रोटीन के अच्छे और नेचुरल सोर्स दाल, हरी मटर, चिया सीड्स, कच्ची सब्जियां, सोयाबीन आदि हैं। वहीं, हाई प्रोटीन नॉन-वेजीटेरियन फूड्स में अंडा, चिकन, मछली शामिल हैं।

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    क्या प्रोटीन की अधिकता से नुकसान हो सकता है?

    प्रोटीन ह्यूमन बॉडी के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन, कभी-कभी इसकी ज्यादा मात्रा सेहत के लिए लिए नुकसानदायक हो सकती है। किडनी स्टोन, हार्ट और लिवर से जुड़ी हुई समस्याओं का सामना प्रोटीन की अधिकता की वजह से करना पड़ सकता है। इसलिए, आपको प्रोटीन की कितनी मात्रा लेनी चाहिए? इसके बारे में डायटीशियन या डॉक्टर से जरूर पूछें।

    प्रोटीन आपके शरीर के लगभग हर हिस्से के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। इंडिविजुअल अमीनो एसिड के रूप में रक्तप्रवाह में रिलीज होने से पहले प्रोटीन का पाचन मुंह, पेट और छोटी आंत से शुरू होता है। आप प्रोटीन स्रोतों से प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों को, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों खाकर और कुछ आदतें जैसे कि निगलने से पहले अच्छी तरह से चबाने से अधिकतम कर सकते हैं।

    आपको इस आर्टिकल के माध्यम से प्रोटीन का पाचन के संबंध में जानकारी मिल गई होगी। अगर मन में अधिक प्रश्न हैं, तो बेहतर होगा कि इस बारे में डॉक्टर से पूछें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में प्रोटीन का पाचन या इससे जुड़ा कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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