इन तमाम चीजों को जानकर आप फूड एलर्जी से ग्रसित हैं या नहीं एक्सपर्ट इसकी जानकारी हासिल करता है। कई मामलों में तो डॉक्टर आपको डायरी मेंटेन करने को भी बोल सकता है, खाने के बाद आपमें क्या कुछ रिएक्शन हुए उसे नोट करने को कह सकता है।
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फूड एलर्जी के टेस्ट
खाने से एलर्जी की बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर स्कैच पंक्चर टेस्ट कर सकता है। इसके तहत डॉक्टर व टेक्नीशियन खास प्रकार का फूड से तैयार किया सॉल्यूशन हाथ के पीछे या फिर पीठ पर रखता है, वहीं स्किन में आए परिवर्तन, स्वेलिंग, रेडनेस आदि की जांच करता है। स्किन टेस्ट जल्दी होने के साथ आसान व सेफ है, लेकिन एक्सपर्ट सिर्फ यही टेस्ट की सलाह नहीं देते। इसके अलावा साइटोटॉक्सिटी टेस्टिंग कर जिसमें ब्लड सेंपल की जांच की जाती है। वहीं सबलिंग्वल और सबक्यूटेनियस प्रोएक्टिव चैलेंज एक प्रकार का स्किन टेस्ट है इसकी जांच कर फूड एलर्जी का पता लगाया जाता है। वहीं इम्मयून कॉम्पलेक्स एसे और इम्मयूनोग्लोबिन एसे की जांच कर भी बीमारी का पता लगाया जाता है। यदि आपको भी खाने से एलर्जी या खाने को लेकर किसी प्रकार की परेशानी है तो आपको डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए।
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सामान्य फूड इनटॉलरेंस पर एक नजर
कई मामलों में फूड इनटॉलरेंस के कारण सिर्फ समस्या ही होती है। शोध में पता चला कि विश्व में करीब 20 फीसदी लोग फूड इनटॉलरेंस की समस्या से ग्रसित हैं। बता दें कि डेयरी प्रोडक्ट और दूध में लेक्टोस पाया जाता है। कई लोगों को इसे पचाने में दिक्कत होती है। लोगों को पेट दर्द, सूजन, डायरिया, गैस, जी मचलाना जैसी समस्या हो सकती है। शरीर में इस प्रकार की दिक्कत हो तो डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
ग्लूटेन : गेहूं में पाए जाने वाले प्रोटीन को ग्लूटेन कहा जाता है। इसके सेवन के कारण भी मरीज को जी मचलाना, पेट दर्द, डायरिया और कब्जियत, सिर दर्द, थकान, जोइंट पेन, स्किन रैश, तनाव व गुस्सा और एनीमिया की शिकायत हो सकती है। बता दें कि ग्लूटेन ब्रेड, पास्ता, दाल, बियर, बेक किए हुए खाने के सामान, सोया सॉस के साथ कई सॉस में पाया जाता है।
कैफीन : कॉफी, सोडा, चाय और एनर्जी ड्रिंक में पाए जाने वाला कैफीन कई लोगों के लिए घातक हो सकता है। इसका सेवन करने से दिल जोर- जोर से धड़कना, गुस्सा, अनिद्रा, घबराहट, बेचैनी की समस्या हो सकती है।
सैलिसिलेट्स (salicylates) : सेलिकेलेट्स नैचुरल कैमिकल है जिसे प्लांट उत्पन्न करता है वहीं इससे कीड़े मकौड़े दूर रहते हैं। इसके कारण जिन लोगों को दिक्कत होती है उन्हें नाक बहना, साइनस इंफेक्शन का खतरा, अस्थमा, डायरिया, कोलाइटिस और हिव्स जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
एंजाइम्स : खाद्य पदार्थ को लंबे समय तक स्टोर कर रखने के कारण उसमें एंजाइम्स उत्पन्न होते हैं। इसका सेवन करने से व्यक्ति की त्वचा का फूलना, सिर दर्द, खुजली, गुस्सा, पेट में मरोड़, लो ब्लडप्रेशर की समस्या हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि जिन लोगों को इससे दिक्कत हो उन्हें फर्मेटेड फूड, कर्ड मीट, ड्राय फ्रूट्स, सिट्रस फ्रूट, एज्ड चीज, स्मोक्ड फिश, विनेगर, फरमेटेड एल्कोहल और बियर का सेवन नहीं करना चाहिए।
सल्फाइट्स : खाने को लंबे समय तक बचाकर रखने के लिए सल्फाइट्स का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ दवा व ड्रिंक में भी इसका इस्तेमाल होता है। अंगूर और एज्ड चीज में यह प्राकृतिक तौर पर भी पाए जाते हैं। सल्फेट सेंसिटिविटी के कारण स्किन में सूजन, नाक बहना, हायपोटेंशन, डायरिया, कफिंग और विजिंग के लक्षण दिख सकते हैं। ऐसे में लोगों को ड्राय फ्रूट्स, शराब, एप्पल साइडर और केन्ड वेजीटेबल के साथ पिक्ल्ड फूड, मसाले व आलू के चिप्स, चाय व बेक्ड गुड्स का सेवन नहीं करना चाहिए।
फ्रूटोस : फ्रूट्स और सब्जियों में पाए जो वाला एक प्रकार का शुगर है। यह शहद में भी पाया जाता है। इसका सेवन करने से गैस, डायरिया, जी मचलाना, पेट दर्द, उल्टी और सूजन की समस्या हो सकती है। यदि इस कारण किसी को दिक्कत हो तो उसे सोड़ा, शहद, सेब, सेब का जूस, एप्पल साइडर, तरबूज सहित अन्य फल जिसमें ज्यादा फ्रूटोस होता है उसका सेवन से बचना चाहिए।
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