स्पर्म एलर्जी (sperm allergy) बेहद दुर्लभ मामलों में होती है। इसमें पुरुष के पार्टनर को उनके स्पर्म में मौजूद प्रोटीन के कारण एलर्जिक रिएक्शन होता है। इस स्थिति को स्पर्म एलर्जी और सीमन एलर्जी कहते हैं। स्पर्म एलर्जी बांझपन का सीधा कारण नहीं है।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
स्पर्म एलर्जी में सीमन के त्वचा के संपर्क में आने पर लालिमा, जलन और सूजन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यह आमतौर पर जननांग (reproductive organ) के बाहर के हिस्से पर होता है। कुछ लोगों में हीव्स (Hives), खुजली और सांस लेने में तकलीफ जैसे गंभीर लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। यदि आपको सीमन एलर्जी के यह लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर ये निर्धारित करेंगे कि आपको यह एलर्जी स्पर्म के कारण है या किसी अन्य वजह से।
सीमन एलर्जी को ठीक करने के लिए मुख्य रूप से डिसेंसटाइज (संवेदनशीलता को कम करने की प्रक्रिया) इलाज का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद महिला बिना किसी मुश्किल के प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती है। यदि आपको स्पर्म से अतिसंवेदनशील एलर्जी है तो गर्भधारण के लिए अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (intrauterine insemination) या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का विकल्प चुन सकते हैं।
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स्पर्म एलर्जी को सीमन एलर्जी या शुक्राणु से एलर्जी भी कहा जाता है। यह मेडिकल भाषा में ह्यूमन सेमिनल प्लाज्मा हाइपरसेंसिटिविटी (एचएसपी) (Human seminal plasma hypersensitivity (HSP)) के नाम से जाना जाता है। यह अधिकतर पुरुषों के स्पर्म में प्रोटीन पाए जाने के कारण एलर्जिक रिएक्शन होता है।
यह दुर्लभ बीमारी महिलाओं में ज्यादा सामान्य है। अमेरिका में ही करीब 40 हजार महिलाएं स्पर्म एलर्जी से ग्रस्त हैं। इस बात की अभी तक कोई जानकारी नहीं है कि यह एलर्जी एक पुरुष के किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध बनाने पर प्रभाव डालती है या नहीं। अध्ययनों में यह सामने आया है कि पुरुष अपने ही स्पर्म से एलर्जिक हो सकते हैं। इस स्थिति को पोस्ट-ओर्गास्मिक रोग सिंड्रोम कहा जाता है।
इस लेख में हम आपको आगे बताएंगे कि आप कैसे स्पर्म एलर्जी के लक्षणों की पहचान कर सकते हैं, कैसे इसका इलाज करवाएं और क्या यह गर्भधारण की प्रक्रिया में कोई बाधा बन सकती है? तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
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स्पर्म एलर्जी प्रजनन क्षमता में कमी या बांझपन का सीधा कारण नहीं होती है लेकिन यह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की प्रक्रिया को मुश्किल बना सकती है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि इसके कई विकल्प मौजूद हैं। कुछ मामलों में सीमन एलर्जी का इलाज मुमकिन होता है ताकि आप और आपकी पार्टनर सेक्स की मदद से गर्भधारण कर सके। यदि यह विकल्प काम नहीं आता है तो आप अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) का विकल्प चुन सकते हैं। इस प्रक्रिया में स्पर्म को सेमिनल तरल पदार्थ से अलग कर दिया जाता है ताकि स्पर्म में एलर्जिक प्रोटीन न बचे और महिला आसानी से गर्भधारण कर सके।
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कभी-कभी सीमन एलर्जी गर्भधारण करने की प्रक्रिया को मुश्किल बना सकती है लेकिन एक बार प्रेगनेंसी होने पर यह आपको या आपके शिशु को प्रभावित नहीं करती है। इसके अलावा आपने कभी भी यह नहीं सुना होगा कि किसी महिला का स्पर्म एलर्जी के कारण गर्भपात हुआ हो। हालांकि, अध्ययनों की कमी के कारण इस बात की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन डॉक्टरों के अनुसार स्पर्म एलर्जी का प्रभाव प्रेगनेंसी के बाद खत्म हो जाता है।
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स्पर्म एलर्जी से प्रभावित महिलाओं में आमतौर पर अपने पार्टनर के सीमन के संपर्क में आने के 30 मिनट बाद ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कभी-कभी रिएक्शन बेहद तेजी से होता है और लक्षणों को मात्र 5 मिनट में ही महसूस किया जा सकता है। इसके लक्षणों में निम्न शामिल हैं :
सीमन एलर्जी के लक्षण कुछ ही घंटों में अपने आप चले जाते हैं। हालांकि, कभी-कभी यह कुछ दिनों के लिए रहते हैं। इस समस्या को कई बार लोग वैजिनाइटिस (योनि में सूजन), योनि में यीस्ट संक्रमण और सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) समझ बैठते हैं। लेकिन इन सभी के बीच फर्क करने का एक विश्वसनीय तरीका है। यदि बिना कंडोम के सेक्स करने के बाद कुछ ही देर में लक्षण दिखाई देने लगते हैं तो यह सीमन एलर्जी हो सकती है।
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सीमन एलर्जी मुख्य रूप से पुरुष के शुक्राणु में प्रोटीन पाए जाने के कारण होती है। अध्ययनों की मानें तो कुछ प्रकार की दवा या खाने से एलर्जी के कारण स्पर्म में एलर्जी रिएक्शन को बढ़ावा मिलता है। बिना प्रोटेक्शन के सेक्स करने पर एसटीडी (STD) के जोखिम कारक फिलहाल अज्ञात हैं। महिलाओं में स्पर्म के संपर्क में आने के बाद लक्षण न दिखाई देने पर भी आगे चल के सीमन एलर्जी विकसित होने की आशंका होती है। आपको यह लक्षण किसी पुरुष के साथ महसूस हो सकते हैं तो किसी के साथ नहीं।
वैसे तो स्पर्म एलर्जी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन ज्यादातर महिलाओं ने स्पर्म एलर्जी से रिएक्शन होने का विवरण 30 से 35 की उम्र में किया है। कुछ पुराने शोध की मानें तो महिलाओं में स्पर्म एलर्जी के परीक्षण से पहले वैजिनाइटिस विकार (Vaginitis disorder) के लक्षण भी पाए गए थे।
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यदि आप कंडोम (Condom) का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो डिसेंसटाइज के अन्य विकल्पों के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। सीमन एलर्जी के इलाज की प्रक्रिया में डॉक्टर हर 20 मिनट बाद आपकी योनि या लिंग पर पतला शुक्राणु का मिश्रण रखेंगे। इस प्रक्रिया को तब तक किया जाएगा जब तक आप में सामान्य शुक्राणु से एलर्जी के लक्षण नहीं चल जाते हैं।
डिसेंसटाइज पूरा होने के बाद सहनशीलता को बनाए रखने के लिए लगातार सीमन के संपर्क में रखना आवश्यक होता है। उदाहण के लिए, जो व्यक्ति अपने पार्टनर के शुक्राणु से एलर्जिक हैं उसे हर 48 घंटे में आपने पार्टनर के साथ संभोग करना होगा।
सीमन एलर्जी एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है जो पुरुष और महिला दोनों को प्रभावित कर सकती है। संभोग या हस्तमैथुन के कारण निकला शुक्राणु किसी की भी त्वचा को क्षति पहुंचा सकता है। इस स्थिति का अधिकतर पुरुषों को कोई अंदाजा नहीं होता लेकिन अपने पार्टनर के साथ सेक्स करते समय इसका पता चलना एक गंभीर स्थिति होती है। इसलिए कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्पर्म एलर्जी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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