हेल्दी कपल्स जिनकी उम्र 30 साल से कम है और अगर वो नियमित रूप से सेक्स करते हैं तो 25 से 30 प्रतिशत तक गर्भवती होने की संभावना होती है। 20 से 30 साल की महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या न के बराबर होती है लेकिन, 35 साल से ज्यादा उम्र होने पर गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है।
फर्टिलिटी के प्रकार और यह महिलाओं और पुरुषों में क्यों होता यह समझने के बाद अब हम जानेंगे इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स के बारे में। कुछ बातों का ध्यान रखकर इनफर्टिलिटी से बचा जा सकता है। जैसे एल्कोहॉल और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करें। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं।
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट क्या हैं?
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट (बांझपन का इलाज) निम्नलिखित तरह से किया जाता है।
1. इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए एजुकेशन है जरूरी
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में एजुकेशन शब्द आपको फिट न लगे लेकिन, इनफर्टिलिटी से जुड़ी सही जानकरी अवश्य लेनी चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट इससे जुड़ी जानकारी लोगों को देते हैं जिससे ये पता लग सके कि इसके क्या-क्या विकल्प हैं जिससे बेहतर तरीके से इलाज किया जा सके और उसका रिजल्ट भी सही आए। इसलिए इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट करवाने के लिए सबसे जरूरी बीमारी का सही ज्ञान होना जरूरी है।
2. बांझपन का इलाज में ये दवाएं करती हैं मदद
ऐसी दवाएं जिससे ओवरी में एग का निर्माण हो सके। एग फॉर्मेशन के लिए ओरल पिल्स या इंजेक्शन दिए जाते हैं। ऑव्युलेशन के लिए डॉक्टर सबसे ज्यादा क्लोमीफीन साइट्रेट दवा रिकमेंड करते हैं। इसे पीरियड्स (मासिक धर्म) के शुरुआती 3 से 7 दिनों तक लिया जाता है। इससे एग निर्माण ज्यादा हो सकता है, जो गर्भधारण में सहायक हो सकता है। वहीं एग फॉर्मेशन के लिए इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। 5 से 7 दिनों तक इंजेक्शन से गर्भ में एग (अंडों) का निर्माण शुरू हो सकता है। यह एक आसान इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट है।
3. आसान बांझपन का इलाज है इनसेमिनेशन (IUI)
इनसेमिनेशन जिसे इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन (IUI) भी कहते हैं। यह गर्भधारण की एक कृत्रिम तकनीक है। इसे इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है। आईयूआई (IUI) में पुरुष के स्पर्म को महिला के यूट्रस में डाला जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन होता है। आईयूआई करने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब में पहुंचाना होता है, जिससे फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, आईयूआई का प्रयोग इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के रूप में उन कपल्स में किया जाता है, जिन्हें अनएक्सप्लेनड इनफर्टिलिटी की समस्या होती है।
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4. सबसे प्रचलिट इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)
इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉक्टर संतोष शहानी का कहना है कि जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी नहीं हो रही है। आईवीएफ उनके लिए एक अच्छा विकल्प है। लेकिन इसमें भी महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आईवीएफ (IVF) जिसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) कहते हैं ,ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से वे महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं, जिन्हें गर्भधारण में परेशानी आती है। लेकिन यह भी संभव नहीं है कि किसी भी महिला का आईवीएफ एक बार में ही सफल हो जाए। इसमें 1 से 4 बार तक का समय लग सकता है। दरअसल इस प्रॉसेस की मदद से महिला में दवाओं की मदद से फर्टिलिटी बढ़ाई जाती है जिसके बाद ओवम (अंडाणु/अंडों) को सर्जरी की मदद से निकाला जाता है और इसे लैब भेजा जाता है। लैब में पुरुष के स्पर्म (शुक्राणु) और महिला के ओवम को एक साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है। 3-4 दिनों तक लैब में रखने के बाद फर्टिलाइज्ड भ्रूण (Embryo) को जांच के बाद महिला के गर्भ में फिर से इम्प्लांट किया जाता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार IVF के इस प्रॉसेस में 2 से 3 सप्ताह का वक्त लगता है। यूटरस (बच्चेदानी) में इम्ब्रियो इम्प्लांट होने के 2 सप्ताह बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट से महिला के गर्भवती होने की जांच की जाती है। आईवीएफ इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में सबसे ज्यादा प्रचलित है।
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5. इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में लिया जाता है थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन (सरोगेसी) का सहारा
यह एक सामान्य प्रक्रिया है जहां एक कपल शुक्राणु (Sperm) या अंडे (Egg) या फिर दोनों देते हैं और एक अन्य महिला सरोगेट मां की रूप में कार्य करती है। इस प्रक्रिया में भी फर्टिलाइज भ्रूण को महिला के गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है। महिला गर्भ में बच्चा पालती है और जन्म के बाद महिला उस बच्चे को कपल को सौंप देती है। इसे भी इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में विशेष रूप से शामिल किया जाता है।
6. बांझपन का इलाज में होती है सर्जरी भी
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में सर्जरी भी की जाती है। वे महिलाएं जिनकी फैलोपियन ट्यूब बंद हो तो सर्जरी की मदद से उसे ठीक किया जा सकता है। तीन अलग-अलग सर्जरी जैसे लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy), हिस्ट्रोस्कोपी (Hysteroscopy) और मायोमेक्टमी (myomectomy) की जाती है।
लेप्रोस्कोपी- लेप्रोस्कोपी पेट या पेल्विस में छोटी से सर्जरी की मदद से की जाती है। दरअसल लेप्रोस्कोपी इंस्ट्रूमेंट की मदद से सर्जरी की जाती है और इसमें एक कैमरा भी लगा होता है।
हिस्ट्रोस्कोपी- इस तकनीक की मदद से यूटेराइन केविटी से होते हुए सर्विक्स तक स्क्रीनिंग की जाती है। इस दौरान एब्नॉर्मलटीज को ठीक किया जाता है।
मायोमेक्टमी- गर्भाशय में फाइब्रॉएड होने पर उसे मायोमेक्टमी की मदद से निकाल दिया जाता है।
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट विशेषकर ऊपर बताए गए 6 तरीकों से किए जाते हैं लेकिन, अगर आप इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट (इनफर्टिलिटी इलाज) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।