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मायोमेक्टमी गर्भाशय से संबंधित सर्जरी है। जिसमें गर्भाशय के फाइब्रॉइड्स जिसे लियोमायोमा भी कहते हैं, उसे निकाल दिया जाता है। मायोमेक्टमी महिलाओं को किसी भी उम्र में हो सकता है। मायोमेक्टमी का मुख्य उद्देश्य गर्भाशय से फाइब्रॉइड्स को निकालना है। गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स कैंसर बना सकते हैं।
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जब आपके गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स के लक्षण सामने आते हैं तो डॉक्टर मायोमेक्टमी सर्जरी कराने की सलाह देते हैं। क्योंकि गर्भाशय में बढ़ रहे फाइब्रॉइड्स से गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा रहता है।
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मायोमेक्टमी सर्जरी उन महिलाओं की होती है जिन्हें फाइब्रॉइड्स की समस्या होती है और वे भविष्य में मां बनना चाहती हैं, तो डॉक्टर मायोमेक्टमी सर्जरी की सलाह देते हैं। लेकिन मायोमेक्टमी हर किसी के लिए नहीं होता है। कुछ मामलों में मायोमेक्टमी नहीं कराया जाता है। जैसे- अगर महिला को भविष्य में मां नहीं बनना है तो ये सर्जरी नहीं की जाती है। यूटेराइन सार्कोमा या एंडोमेट्रीयल कैंसर होने पर भी मायोमेक्टमी सर्जरी नहीं की जाती है। मायोमेक्टमी सर्जरी उन मरीजों में तो कतई नहीं कर सकते है जिनमें फाइब्रॉइड्स बढ़ने के पूरे लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं।
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मायोमेक्टमी सर्जरी कराने के बाद आपको दर्द महसूस हो सकता है। आपके वजायना से लगभग छह हफ्ते तक हल्की स्पॉटिंग भी हो सकती है। इसके अलावा अन्य समस्याएं सामने आती हैं,जैसे कि-
निम्न समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें :
जरूरी नहीं है कि ये समस्याएं सभी को हो, लेकिन फिर भी ये जानना जरूरी है कि इससे क्या समस्या हो सकती है। किसी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से तुरंत मिलें।
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मायोमेक्टमी सर्जरी में लगने वाला समय प्रक्रिया पर निर्भर करता है। मायोमेक्टमी सर्जरी तीन तरह से की जाती है :
इस सर्जरी में पहले एनेस्थेटिस्ट आपको बेहोश या सुन्न करते हैं। फिर बिकनी लाइन और प्यूबिक बोन के ऊपर सर्जन ढाई सेंटीमीटर लंबा चीरा क्षैतिज चीरा लगाते हैं। इसके बाद गर्भाशय में चीरा लगाते हैं और फाइब्रॉइड्स को निकालते हैं। फिर सर्जन गर्भाशय में खुद से घुलने वाला टांका और बाहर त्वचा पर टांका लगाते हैं।
कभी-कभी फाइब्रॉइड्स पेट की दीवार पर लगे रह जाते हैं, जिसके बाद ओपन सर्जरी करनी पड़ सकती है। वहीं, लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक मायोमेक्टमी सर्जरी एब्डॉमिनल सर्जरी की तुलना में आरामदायक और कम कष्ट देना वाला होता है।
अगर आपके गर्भाशय के अंदर से फाइब्रॉइड्स को निकालना होता है तो सर्जन हिस्टेरोस्कोपिक मायोमेक्टमी सर्जरी के लिए कहते हैं। इसमें योनि के द्वारा ही फाइब्रॉइड्स को निकाला जाता है। रेसेक्टोस्कोप नामक एक छोटा और हल्का उपकरण सर्जन मरीज के योनि में डालते हैं। रेसेक्टोस्कोप से लेजर बीम निकलती है, जिससे फाइब्रॉइड्स को छील कर निकाला जाता है।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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