आज भारत में थायरॉइड की बीमारी बहुत ही आम हो गई है। ये एक छोटी ग्रंथि है, जो हॉर्मोन के उत्पादन से किसी व्यक्ति के शरीर के मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को असंतुलित कर सकती है। इसके हॉर्मोन हमारे शरीर के तापमान से लेकर मेटाबॉलिज्म तक हर चीज को नियंत्रित करती है। यह ग्रंथियां आपके मूड से लेकर महिलाओं के मासिक धर्म तक को प्रभावित करती हैं। महिलाओं में थायरॉइड की समस्या आम है। ऐसे में थायरॉइड पर कंट्रोल पाना बेहद जरूरी हो जाता है।
थायरॉइड पर कंट्रोल पाने के लिए इन बदलावों की मदद लें
थायरॉइड की समस्या दो रूपों में आपको प्रभावित कर सकती है :
हैलो हेल्थ ग्रुप से बातचीत के दौरान डॉक्टर गाडगे, डाईबेटोलॉजिस्ट, गाडगे डायबिडीज सेंटर ने बताया कि,
” दवाओं की मदद से शरीर में आ रहे बदलावों और थायरॉइड पर कंट्रोल पाया जा सकता। हायपरथायरॉइडिज्म की स्थिति में शरीर में हॉर्मोन्स की मात्रा की अधिकता हो जाती है वहीं हायपोथायरॉइडिज्म की स्थिति में शरीर में हॉर्मोन्स की मात्रा में कमी हो जाती है। दोनों परिस्थितियां और इनके लक्षण एक दूसरे से अलग हैं। इसलिए इनका इलाज भी एक दूसरे से अलग हैं। “
थायरॉइड हॉर्मोन में कमी के कारण हायपोथायरॉइडिज्म की स्थिति में आपको आलस आएगा और वजन बढ़ जाएगा। इसके साथ और भी समस्याएं आ सकती हैं।
हायपरथायरॉइडिज्म क्या है?
अगर थायरॉइड हॉर्मोन जरूरत से ज्यादा मात्रा में बन रहे हैं, तो आपके वजन में गिरावट आएगी। हायपरथायरॉइड में हॉर्मोन्स की अधिकता की वजह से शरीर की कई गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं। कई बार भूख न लगने की भी समस्या हो सकती है।
ये दोनों ही स्थितियां शरीर के लिए सही नहीं है। इनसे बचने के लिए सही डायट लेना और जीवनशैली में कुछ बदलाव करना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं क्या हैं ये बदलाव :
थायरॉइड पर कंट्रोल पाने के लिए नींद पूरी करें
डॉक्टर्स के मुताबिक अगर आप आठ घंटों से कम की नींद ले रहे हैं, तो ये हायपोथायरॉइडिज्म को बढ़ावा दे सकता है। ध्यान रखें कि आपकी नींद पूरी हो इसके लिए जरूरी है कि सोते समय आप इन बातों का ध्यान रखें :
आपका सोने का कमरा शांत होना चाहिए, साथ ही सोने के लिए तापमान भी सही होना बहुत जरूरी है। ध्यान रखें कि आपका कमरा बहुत अधिक ठंडा या बहुत अधिक गर्म न हो। इससे आपकी नींद में कोई परेशानी नहीं होगी।
थायरॉइड पर कंट्रोल पाने के लिए कैसा होना चाहिए आपका खाना?
आयोडीन (Iodine)
थायरॉइड हॉर्मोन के बनने के लिए आयोडीन एक महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। आयोडीन की कमी होने पर हायपोथायरॉइडिस्म की समस्या हो सकती है। समुद्री वीड्स, मछली , दूध से बनी हुई चीजें खाने से और रोज के खाने में अंडे लेने से आपको थायरॉइड की समस्या नहीं होगी। वहीं इसके उलट हायपरथायरॉइड में आयोडीन और आयोडीन युक्त भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि यह थायरॉइड के स्तर को और ज्यादा बढ़ा सकता है।
सेलीनियम (Selenium)
सेलीनियम शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन्स को सक्रिय करने का काम करता है, जिससे कि शरीर में आयोडीन की मात्रा में कोई कमी न हो।
जिंक (Zinc)
सेलीनियम की तरह जिंक भी आयोडीन की मात्रा को शरीर में बनाए रखने का काम करता है। विश्व की पूरी जनसंख्या में से लगभग एक तिहाई लोग आयोडीन की कमी से पीड़ित हैं।
अगर आपको थायरॉइड की समस्या है तो आपको कौन सा खाना नहीं खाना चाहिए?
डॉक्टर की सलाह के बिना सेलेनियम या जिंक सप्लीमेंट न लें। इससे शारीरिक कमजोरी और विकार हो सकते हैं।
गोईट्रोजन ऐसे पदार्थ होते हैं जिन्हें खाने से शरीर में कैंसर होता है और हार्मोनल गड़बड़ी भी हो सकती है। खाने की इन चीजों में गोईट्रोजन की मात्रा अधिक होती है :
संतुलित और पौष्टिक आहार खाएं। ऐसा आहार लें जिसकी मात्रा कम और पौष्टिकता ज्यादा हो। इससे आपके पाचन तंत्र पर भार कम पड़ेगा और आपके हार्मोन संतुलित रहेंगे।
व्यायाम करें और वजन को कंट्रोल करें। इससे आपकी फिटनेस मेंटेन रहेगी और बॉडी फैट नहीं बढ़ेगा, जो थायरॉइड का कारण बनता है।
तनाव लेना बंद करें। तनाव से थायरॉइड और बिगड़ सकता है।
अच्छी नींद लें। एक ही समय पर सोएं और जागें। इससे आपका हार्मोनल बैलेंस बना रहेगा।
अपने बेडरूम को ठंडा रखें। 23 से 26 डिग्री सेल्सियस का तापमान सोने के लिए सबसे उपयुक्त है। आप अच्छी नींद लेंगे तो आपको इसके लक्षणों से जल्द निजाते मिलेगा।
थायरॉइड कंट्रोल करने के लिए आप किस तरह के आहार के सेवन कर सकते हैं, इसके लिए यह वीडियों देख सकते हैं
थायरॉइड पर कंट्रोल पाने के लिए दवा
थायरॉइड का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट या थायरॉइड अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दे सकते हैं। हाइपोथायरोडिज्म के मामले में दवाई के जरिए कम हुए हार्मोन की भरपाई की जाती है। वहीं हाइपरथायरोडिज्म के मामले में दवाई हार्मोन का स्तर कम करने के लिए खिलाई जाती है। इसके अलावा हाइपरथायरोडिज्म में कुछ अन्य दवाईयां इसके अन्य लक्षणों को कम करने के लिए दी जाती हैं।
थायरॉइड की सर्जरी
कई बार थायरॉइड ग्रंथि में गांठ आदि को निकालने के लिए ऑपरेशन का सहारा लिया जाता है। सर्जरी तब जरूरी हो जाती है, जब इससे कैंसर की संभावना हो। ऐसे मामलों में पूरी थायरॉइड ग्रंथि भी हटा दी जाती और ऐसे में मरीज को जिंदगी भर थायरॉइड की गोलियों के सहारे जीवन बिताना पड़ता है।
सही खाना खाने से और अपनी दिनचर्या को संतुलित रखने से थायरॉइड पर कंट्रोल पाया जा सकता है। इस सबके अलावा हायपर या हाइपो दोनों थायरॉइड में डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाईयां लेने में बिल्कुल चूक न करें। किसी भी और जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।