के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट एक तरह का ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि खून में ग्रोथ हॉर्मोन की कितनी मात्रा है। ग्रोथ हॉर्मोन शरीर की वृद्धि के लिए जिम्मेदार होता है। इसके साथ ही शरीर के मेटाबॉलिजम को भी ठीक तरह से रखने के लिए जिम्मेदार होता है। खून में ग्रोथ हॉर्मोन की मात्रा भावनात्मक तनाव, नींद, एक्सरसाइज और डायट के आधार पर बदलती रहती है।
कुछ लोगों में ग्रोथ हॉर्मोन की ज्यादा मात्रा होने से वह सामान्य से कुछ ज्यादा ही लंबे होते हैं। वहीं, जिनमें ग्रोथ हॉर्मोन की मात्रा कम होती है तो ऐसे लोग बौनेपन का शिकार हो जाते हैं।
वहीं, दूसरी तरफ ग्रोथ हॉर्मोन की ज्यादा मात्रा पिट्यूट्री ग्लैंड में नॉनकैंसरस ट्यूमर बनाता है। वहीं, ज्यादा ग्रोथ हॉर्मोन खून में होने से चेहरा, जबड़े, हाथ और पैर सामान्य से ज्यादा लंबे होने लगते हैं।
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ग्रोथ हॉर्मोन स्टीम्यूलेशन टेस्ट तब किया जाता है, जब बच्चे में ग्रोथ हॉर्मोन की कमी के लक्षण सामने आने लगते हैं। जैसे :
बड़ों का ग्रोथ हॉर्मोन स्टीम्यूलेशन टेस्ट तब किया जाता है, जब उनमें निम्न लक्षण दिखाई देते हैं। इसे हाइपोपिट्यूटेरिजम कहते हैं। जैसे :
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ग्रोथ हॉर्मोन पिट्यूट्री ग्लैंड से स्रावित होता है। इसलिए समय के साथ-साथ खून में उसके मात्रा में बदलाव आते रहते हैं। यही कारण है कि एक ही सैंपल से बार-बार टेस्ट करना ज्यादा मददगार नहीं होगा। क्योंकि सुबह के समय ग्रोथ हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में स्रावित होता है और एक्सरसाइज और तनाव के कारण उसके लेवल में बदलाव होता रहता है। इसलिए एक जैसा रिजल्ट आना संभव नहीं है। कुछ फैक्टर ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित करते हैं :
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ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट कराने से पहले आपके डॉक्टर आपको कुछ निर्देश दे सकते हैं :
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ग्रोथ हॉर्मोन खून में काफी तेजी से बदलता है। ऐसे में सटीक रिजल्ट आना संभव ही नहीं है। इसलिए आपको लगातार कई बार टेस्ट अलग-अलग दिनों पर टेस्ट कराना पड़ सकता है। इंसुलिन-लाइक ग्रोथ फैक्टर 1 लेवल (IGF-1) धीरे-धीरे बदलता है और पहले इसी का टेस्ट किया जा सकता है।
ब्लड का सैंपल लेने के बाद उसे जांच के लिए लैब में भेज दिया जाएगा। टेस्ट के बाद आप तुरंत सामान्य हो जाएंगे। आप चाहे तो तुरंत घर जा सकते हैं। किसी भी तरह की समस्या होने पर आप हेल्थ प्रोफेशनल से तुरंत बात करें। ब्लड टेस्ट का रिजल्ट आपको जल्द से जल्द मिल जाएगा।
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अगर रिजल्ट में नॉर्मल लिखा है तो इसे रेफ्रेंस रेंज कहते हैं। ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट का रिजल्ट अलग-अलग लैब का अलग-अलग आ सकता है। इसलिए आप रिजल्ट को अपने डॉक्टर से जरूर समझ लें।
पुरुष : 5 ng/mL (nanograms per milliliter) से कम होता है
महिला : 10 ng/mL से कम होता है
बच्चे : 20 ng/mL से कम होता है
ज्यादा मात्रा में ग्रोथ हॉर्मोन स्रावित होने पर एक्रोमेग्ली हो जाता है। ऐसे लोगो का शरीर सामान्य की तुलना में अधिक लंबा होता है। ग्रोथ हॉर्मोन का हाई लेवल होने पर डायबिटीज, किडनी संबंधी रोग या भूखमरी हो सकती है।
ग्रोथ हॉर्मोन की कम मात्रा ग्रोथ हॉर्मोन डिफिसिएंसी को दिखाता है। इस अवस्था को हाइपोपिटिटारिज्म कहा जाता है।
वहीं, बता दें कि ग्रोथ हॉर्मोन की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इस लेख में हमने आपको ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट से जुड़ी सभी जानकारी देनी की कोशिश की है। यदि आपको इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी चाहिए तो आप कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।
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