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आईयूआई का सक्सेस फैक्टर क्या है ?
आईयूआई का सक्सेस रेट कई बातों पर निर्भर करता है। प्रत्येक कपल आईयूआई के प्रति अलग रिस्पॉन्स शो करते हैं। कुछ फैक्टर जो कि इस प्रोसेस पर असर डालता है, वो है..
- उम्र
- अंडरलाइंग इनफर्टिलिटी डायग्नोज
- फर्टिलिटी ड्रग यूज किया गया है या फिर नहीं
- फर्टिलिटी से संबंधित अन्य कंसर्न
महिला की उम्र बढ़ने (40 साल या अधिक उम्र) के साथ ही आईयूआई का सक्सेस रेट भी कम होने लगता है। वहीं आईयूआई की तीन साइकिल होने के बाद अगर महिला प्रेग्नेंट नहीं हो पाती है तो भी आईयूआई का सक्सेस रेट कम होने लगता है।
आईयूआई प्रक्रिया के दौरान संक्रमण का जोखिम हो सकता है क्योंकि इसमें गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से एक पतली ट्यूब से शुक्राणु को गर्भाशय में डालते हैं। इस दौरान कुछ महिलाओं को दर्द या ऐंठन का अनुभव हो सकता है। अगर जोखिम की बात करें तो इस दौरान गर्भाशय ग्रीवा को चोट लगने की संभावना हो सकती है जिससे प्रक्रिया के बाद तेज दर्द, स्पॉटिंग या ब्लीडिंग हो सकती है। डॉक्टर बाद में पेशेंट को आराम करने की सलाह देते हैं ताकि किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े। अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (Intrauterine insemination) एक सरल प्रक्रिया है। प्रक्रिया से जुड़े दुष्प्रभाव भी बहुत कम हैं। IUI उपचार के अधिकांश दुष्प्रभाव आमतौर पर समय के साथ कम हो जाते हैं या फिर फर्टिलिटी मेडिसिन न लेने पर समाप्त हो जाते हैं।
हमें उम्मीद है कि IUI का रिस्क क्या हो सकता है विषय पर लिखा आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। इस आर्टिकल को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि IUI का रिस्क काफी कम है। अगर आप पेरेंट्स बनना चाहते हैं और किसी वजह से नैचुरल तरीका काम नहीं कर रहा है तो इस ट्रीटमेंट का सहारा लिया जा सकता है। अगर आप IUI का रिस्क और इस प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो किसी एक्सपर्ट से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।