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प्रेग्नेंसी (Pregnancy) का पता चलने के बाद जब आप डॉक्टर के पास पहले चेकअप के लिए जाती हैं, तब भी वह आपकी अनुमानित डिलिवरी ड्यू डेट की गणना की जाती है। डॉक्टर यह देय तिथि आपकी गर्भावस्था की फाइल पर लिख देंगी। आप देख सकती हैं कि डॉक्टर ने डिलिवरी की अनुमानित तिथि (एक्सपेक्टेड डेट ऑफ डिलीवरी) लिखी होती है।
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अल्ट्रासाउंड स्कैन (Ultrasound scan)
यहां तक कि यदि आप गर्भ धारण के सही समय का पता नहीं कर पाती हैं या पिछले मासिक धर्म के दिन को भूल गई हैं या ओव्यूलेशन का भी पता नहीं है तो अन्य विधियां भी अनुमानित डिलिवरी डेट का पता लगाने में मददगार साबित हो सकती हैं। आपकी मदद कर सकते हैं जिसमें शामिल हैं:
- एक प्रारंभिक अल्ट्रासाउंड आपको अधिक सटीक जानकारी दे सकता है और आसानी से गर्भावस्था की तारीख बता सकता है। हालांकि, जागरूक रहें क्योंकि सभी महिलाओं को शुरुआती अल्ट्रासाउंड नहीं मिलता है। कुछ डॉक्टर अल्ट्रासाउंड नियमित रूप से करते हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर्स केवल पीरियड अनियमित होने पर ही अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं। 35 या उससे अधिक उम्र है, पहले गर्भपात हुआ है या गर्भावस्था की जटिलताओं का इतिहास है तो डिलिवरी ड्यू डेट एलएमपी (Last menstrual period) के आधार पर निर्धारित नहीं की जा सकती है।
- गर्भावस्था के लगभग 9 या 10 सप्ताह (यह अलग भी हो सकती है) के आसपास गर्भस्त शिशु की हार्ट बीट सुनना या जब आप पहली बार भ्रूण की हलचल महसूस करती हैं (औसतन 18 से 22 सप्ताह के बीच, लेकिन यह पहले या बाद में हो सकता है), इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आपकी डिलिवरी ड्यू डेट सही है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (QNA)
1. इंटरकोर्स के आधार पर प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर से ड्यू डेट (Due Date) की गणना कैसे करते हैं?
महिला शरीर में शुक्राणु पांच दिनों तक रह सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने रविवार को सेक्स किया है, तो गर्भाधान की संभावना अगले गुरुवार तक रहती है। कन्सेप्शन की तारीख निर्धारित करने के लिए, उस दिन को दो दिन जोड़ें, जब आपका इंटरकोर्स हुआ था। हालांकि, यह एक वास्तविक अनुमान नहीं हो सकता है, लेकिन काफी हद तक सटीक होता है।
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2.”गर्भकालीन आयु” और “कन्सेप्शनल आयु” क्या है?
जेस्टेशनल ऐज (Gestational age) आपके एलएमपी के पहले दिन से गणना की गई गर्भावस्था के पीरियड को बताता है। इसे हफ्तों और दिनों में बताया जा सकता है और इसे मासिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। जबकि कन्सेप्शनल आयु (Conceptional age(CA) गर्भाधान के दिन और प्रसव के दिन के बीच का समय बताता है।
3. LMP डेट क्या है?
एलएमपी का मतलब आखिरी महावारी चक्र से है। गर्भाधान से पहले यह आखिरी अवधि है। LMP तारीख आपकी गर्भावस्था का पहला दिन है। यह तिथि आपकी ड्यू डेट (280 दिन या 40 सप्ताह जोड़कर) की गणना के लिए उपयोगी है।
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4. प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर के अलावा ड्यू डेट के और कौन से अन्य तरीके हैं?
अल्ट्रासाउंड स्कैन, पहली तिमाही में सटीक मासिक धर्म रिकॉर्ड के साथ पेल्विक एरिया का नैदानिक परीक्षण, 10 से 12 सप्ताह के बाद डॉपलर अल्ट्रासोनोग्राफी और ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) गर्भावस्था परीक्षण डिलिवरी ड्यू डेट की गणना करने के लिए कुछ वैज्ञानिक तरीके हैं।
5. क्या ड्यू डेट (due date) बदल सकती है?
हां, ड्यू डेट कुछ डिलिवरी के समय की गणना कई कारणों से बदल सकती है। खासतौर पर यदि आपको अनियमित पीरियड्स होते हैं, तो आपकी तारीखें बदल जाती हैं। इसी तरह कुछ अन्य कारणों से भी डिलिवरी ड्यू डेट बदल सकती है।
डिलिवरी ड्यू डेट(Due Date) हमेशा अनुमानित ही होती है। ऐसा कोई भी तरीका नहीं है जिससे सटीक डिलिवरी डेट का पता लगाया जा सके। बहुत ही कम शिशु अपनी अनुमानित तारीख पर पैदा होते हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर से निकली डेट को केवल अनुमान ही मानें। कैलक्युलेटर से निकली संभावित तारीख प्रेग्नेंट महिला को प्रसव और बेबी बर्थ (baby birth) के लिए तैयार करने में मदद कर सकती है।
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क्या प्रेग्नेंसी ड्यू डेट का निकल जाना सामान्य है?
हां, यह बेहद कॉमन है। ज्यादातर बच्चे 37-40 वीक के बीच पैदा होते हैं। ड्यू डेट के एक हफ्ते पहले (A week before the due date) या बाद बच्चे का जन्म होना सामान्य है। जुडवां बच्चे, ट्रिपलेट्स प्रेग्नेंसी (Triplets pregnancy) के 37वें हफ्ते के पहले पैदा हो जाते हैं। ड्यू डेट की गणना आपके पीरियड्स के अनुसार की जाती है। आपकी मिडवाइफ इस बारे में आपको ज्यादा बता सकती है। अगर आपकी प्रेग्नेंसी 42 वीक से ज्यादा हो जाती है तो इसे प्रोलॉन्गड प्रेग्नेंसी कहा जाता है। 5-10 प्रतिशत महिलाओं की प्रेग्नेंसी लंबी होती है।
अगर आप प्रेग्नेंट हैं और ड्यू डेट के बारे में अधिक जानकारी चाहती हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। सभी का शरीर अलग होता है, उसी हिसाब से गणना बदल जाती है। आपका डॉक्टर आपको उचित सलाह दे सकता है। ड्यू डेट निकलने के बाद भी लेबर पेन शुरू नहीं हो रहा है तो कुछ नैचुरल तरीके ट्राई किए जा सकते हैं।
प्रेग्नेंसी ड्यू डेट (Pregnancy Due Date) निकलने के बाद क्या किया जा सकता है?
किसी कारणवश बच्चा ड्यू डेट के बाद पैदा नहीं होता है तो डॉक्टर कुछ दिन इंतजार करते हैं और बच्चे की धड़कन भी चेक करते हैं। साथ ही पेट के अंदर बच्चे का मूमेंट भी देखा जाता है। निम्न परिस्थितयों की जांच की जाती है जैसे-
- बच्चे की ड्यू डेट (Due Date) कितनी हो चुकी है?
- महिला की उम्र (Age) क्या है?
- क्या महिला पहले भी बच्चे को जन्म दे चुकी है?
- उसका वजन (Weight) कितना है?
- बच्चा कितना बड़ा है?
- क्या महिला धूम्रपान करती है?
- क्या पेट के अंदर बच्चे को कोई खतरा है?
इन सब की जानकारी लेने के बाद अगर डॉक्टर को लगता है कि बच्चे का जन्म कराना आवश्यक है तो महिला और बच्चे की स्थिति के अनुसार सी-सेक्शन या फिर नॉर्मल डिलिवरी (इंड्यूस्ड लेबर) के माध्यम से बच्चे का जन्म कराया जाता है।
रिसर्च के अनुसार 4 प्रतिशत बेबीज ही एक्जेक्ट ड्यू डेट पर पैदा होते हैं। 5 में से एक बच्चा 41 हफ्ते पर या उसके बाद पैदा होता है। इसलिए अगर आपकी प्रेग्नेंसी ड्यू डेट निकल गई है तो परेशान न हो। आप अकेली नहीं है।
लेबर पेन को शुरू करने के नैचुरल उपाय:
बॉडी को एक्टिव रखें (Active Body)
यदि बॉडी तनाव में है तो लेबर पेन शुरू नहीं होगा। इसलिए इस बात का स्ट्रेस लेकर सिर्फ आराम ही न करें। कुछ छोटे-मोटे काम करते रहे जिससे बॉडी एक्टिव रहे। प्रशिक्षित व्यक्ति से मसाज कराएं। आप एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर की मदद भी ले सकती हैं। लेबर शुरू करने में यह मददगार हो सकते हैं।
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प्राकृतिक रूप से लेबर को शुरू करने के तरीकों में केस्टर ऑयल काफी प्रचलित है। लेबर को शुरू करने के लिए इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इसे इस्तेमाल करने का सबसे सामान्य तरीका इसे सीधे सर्विक्स पर लगाया जाए। इसे पेट पर नहीं लगाना चाहिए। केस्टर ऑयल को लेकर डॉक्टरों की अलग-अलग राय है।
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ब्रेस्ट को उत्तेजित करना (Breast)
ब्रेस्ट को उत्तेजित करने से ऑक्सिटॉसिन रिलीज होता है। इससे यूटरस में कॉन्ट्रैक्शन होता है। इससे कई बार लेबर को शुरू करने में सहायता मिलती है। वहीं, कुछ महिलाएं लेबर को शुरू करने के लिए निप्पल्स पर मालिश करती हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के आपको यह तरीका नहीं आजमाना चाहिए।
वॉक पर जाएं (Walk)
कॉन्ट्रैक्शन का अहसास हो रहा है लेकिन, लेबर पेन नही हैं तो ऐसे में चलने- फिरने से इसमें सुधार हो सकता है। चलने से आपके हिप्स हिलते- डुलते हैं, जिससे शिशु को डिलिवरी की अवस्था में आने में मदद मिलती है। सीधे खड़े रहने से गुरुत्वाकर्षण शिशु को पेल्विक में की तरफ ले जाने में मदद करता है। प्राकृति तरीके से लेबर को शुरू करने में फिजिकल एक्टिविटी की भूमिका अहम होती है। कुछ महिलाओं को हल्की एक्सरसाइज या चलने फिरने के लिए कहा जाता है, जिससे उन्हें लेबर शुरू हो जाए।
इस सभी विधि को फॉलो करने से पहले अपने ग्यानो से मिलें और उनके निर्देश के अनुसार ही पालन करें।
ड्यू डेट या डिलिवरी की तारीख आगे बढ़ने को लेकर कोई भी सवाल है तो एक बार अपने डॉक्टर से कसंल्ट करें। उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही अगर आपका इस विषय से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव है तो वो भी हमारे साथ शेयर करें।