प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर या डिलिवरी डेट कैलक्युलेटर से पता करें ड्यू डेट?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/07/2021

    प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर या डिलिवरी डेट कैलक्युलेटर से पता करें ड्यू डेट?

    जैसे ही पता लगता है कि आप प्रेग्नेंट हैं, तो शायद ऐसे में मन में दूसरा सवाल आता है कि बच्चे का जन्म कब तक होगा? डिलिवरी डेट का एक अनुमानित समय पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन के अलावा प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर (Pregnancy Calculator) का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाएं प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर (Pregnancy Calculator) से शिशु के जन्म से जुड़ी अन्य जानकारियां भी प्राप्त कर सकती हैं जैसे- प्रेग्नेंसी का कौन-सा सप्ताह चल रहा है, डिलिवरी होने में कितने हफ्ते बचे हैं या आपको गर्भधारण को कितना समय हो गया है आदि।

    और पढ़ें: प्रेग्नेंसी के तीसरी तिमाही में हाे सकती है सांस की दिक्कत और सूजन, खुद को ऐसे करें ट्रीट

    कई बार ऐसे मामले भी आते हैं जब बच्चा ड्यू डेट (Due Date) के पहले या फिर ड्यू डेट के बाद पैदा होता है। ये दोनों ही स्थितियां कई बार गंभीर नहीं होती हैं क्योंकि सब का शरीर अलग होता है। डॉक्टर भी आपको संभावना के आधार पर ड्यू डेट बताते हैं। कोई भी डॉक्टर ये नहीं कह सकते हैं कि फलां तारीख को ही बच्चा जन्म लेगा। अगर आपको अब तक प्रेग्नेंसी ड्यू डेट (Pregnancy Due Date) या प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर के बारे में जानकारी नहीं है या फिर प्रेग्नेंसी ड्यू डेट के आगे या फिर पहले बच्चे क्यों पैदा हो जाते हैं, ये जानना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए है।

    और पढ़ें : Home Pregnancy Tests: घर बैठे कैसे करें प्रेग्नेंसी टेस्ट?

    प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर या डिलीवरी डेट कैलक्युलेटर (Delivery date calculator) क्या है?

    प्रेग्नेंसी के बाद हर महिला के मन में यह सवाल होता है कि उनका नन्हा मेहमान इस दुनिया में कब तक आयगा। आप अपने इस सवाल का जवाब जानने के लिए प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर (Pregnàncy calculator) या डिलीवरी डेट कैलक्युलेटर (Delivery date calculator) का उपयोग कर सकते हैं। इसे डयू डेट कैलक्युलेटर भी कहते हैं। यह एक ऐसी तकनीक है, जो आपके पीरियड डेट (Period Date) और ऑव्युलेशन डेट की गणना करते हुए, आपकी डिलिवरी डेट तक पहुंचने में आपकी मदद कर सकती है। डिलीवरी डेट कैसे निकालते हैं , अधिकतर लोगों में मन में यह सवाल होता है। प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर में आपको अपने पिछले मासिक धर्म चक्र के पहले दिन का चयन करना होता है और आपका मासिक धर्म चक्र कितने दिनों का होता हैं उसका चयन करना हैं।

    प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर (Pregnancy due date calculator) का उपयोग कैसे करें?

    ऑनलाइन प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर (Online pregnancy calculator) से बच्चे की अनुमानित बर्थ डेट का पता आखिरी पीरियड के पहले दिन की तारीख के आधार पर किया जाता है। डिलिवरी डेट (Delivery date) का पता लगाने के लिए डॉक्टर भी इसी तरीके को अपनाते हैं।

    PLEASE CLICK FOR ONLINE DUE DATE CALCULATOR डिलिवरी डेट कैलक्युलेटर पर क्लिक करें

    प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर (Pregnancy Calculator)

    पीरियड डेट (Period date) के आधार पर प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर (Pregnancy calculator) से डिलिवरी डेट कैसे पता लगाएं?

    आमतौर पर, गर्भावस्था की अवधि (Pregnancy period) आपके पीरियड की पहली डेट से लगभग 280 दिनों (40 सप्ताह) की होती है। हालांकि, यदि आपके पीरियड्स नियमित नहीं हैं या सामान्य मासिक धर्म चक्र (28 दिन) से अलग हैं, तो आपकी डिलिवरी डेट (Delivery date) का अनुमानित समय इन 280 दिनों से अलग भी हो सकता है। पीरियड्स के आधार पर बच्चे के जन्म का समय पता लगाने के लिए आखिरी पीरियड की पहली तारीख से 40 सप्ताह जोड़ने पर जो भी महीना या दिन आएगा वह ही बेबी बर्थ का अनुमानित समय होगा। डॉक्टर्स भी बच्चे की डिलिवरी डेट की कैलक्यूलेशन (Delivery date calculation) गर्भवती महिला की पीरियड डेट के अनुसार ही करते हैं।

    और पढ़ें : गर्भधारण के लिए सेक्स ही काफी नहीं, ये फैक्टर भी हैं जरूरी

    प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर (Pregnancy calculator) से मिली अनुमानित तारीख कितनी सही होती है?

    रिपोर्ट्स के अनुसार 20 में से केवल एक ही गर्भवती महिला की डिलिवरी अनुमानित समय पर होती है। अगर प्रेग्नेंट लेडी को गर्भाधान की सटीक तारीख का पता हो तो प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर से डिलिवरी या ड्यू डेट का पता काफी हद तक सही लगाया जा सकता है। हालांकि, ज्यादातर महिलाएं को अपनी गर्भधारण की तिथि ठीक से पता नहीं होती है, जिससे शिशु का जन्म कब होगा, इसका सही अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है। वास्तव में बहुत कम ही बच्चे अनुमानित तारीख पर ही जन्म लेते हैं।

    [mc4wp_form id=”183492″]

    प्रेग्नेंसी (Pregnancy) का पता चलने के बाद जब आप डॉक्टर के पास पहले चेकअप के लिए जाती हैं, तब भी वह आपकी अनुमानित डिलिवरी ड्यू डेट की गणना की जाती है। डॉक्टर यह देय तिथि आपकी गर्भावस्था की फाइल पर लिख देंगी। आप देख सकती हैं कि डॉक्टर ने डिलिवरी की अनुमानित तिथि (एक्सपेक्टेड डेट ऑफ डिलीवरी) लिखी होती है।

    और पढ़े: प्रेग्नेंसी के दौरान अल्फा फिटोप्रोटीन टेस्ट(अल्फा भ्रूणप्रोटीन परीक्षण) करने की जरूरत क्यों होती है?

    अल्ट्रासाउंड स्कैन (Ultrasound scan)

    यहां तक ​​कि यदि आप गर्भ धारण के सही समय का पता नहीं कर पाती हैं या पिछले मासिक धर्म के दिन को भूल गई हैं या ओव्यूलेशन का भी पता नहीं है तो अन्य विधियां भी अनुमानित डिलिवरी डेट का पता लगाने में मददगार साबित हो सकती हैं। आपकी मदद कर सकते हैं जिसमें शामिल हैं:

    • एक प्रारंभिक अल्ट्रासाउंड आपको अधिक सटीक जानकारी दे सकता है और आसानी से गर्भावस्था की तारीख बता सकता है। हालांकि, जागरूक रहें क्योंकि सभी महिलाओं को शुरुआती अल्ट्रासाउंड नहीं मिलता है। कुछ डॉक्टर अल्ट्रासाउंड नियमित रूप से करते हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर्स केवल पीरियड अनियमित होने पर ही अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं। 35 या उससे अधिक उम्र है, पहले गर्भपात हुआ है या गर्भावस्था की जटिलताओं का इतिहास है तो डिलिवरी ड्यू डेट एलएमपी (Last menstrual period) के आधार पर निर्धारित नहीं की जा सकती है।
    • गर्भावस्था के लगभग 9 या 10 सप्ताह (यह अलग भी हो सकती है) के आसपास गर्भस्त शिशु की हार्ट बीट सुनना या जब आप पहली बार भ्रूण की हलचल महसूस करती हैं (औसतन 18 से 22 सप्ताह के बीच, लेकिन यह पहले या बाद में हो सकता है), इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आपकी डिलिवरी ड्यू डेट सही है।

    और पढ़ें: डिलिवरी के दौरान की जाती है एपिसीओटॉमी की प्रोसेस, क्विज खेलकर आप बढ़ा सकते हैं नॉलेज

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (QNA)

    1. इंटरकोर्स के आधार पर प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर से ड्यू डेट (Due Date) की गणना कैसे करते हैं?

    महिला शरीर में शुक्राणु पांच दिनों तक रह सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने रविवार को सेक्स किया है, तो गर्भाधान की संभावना अगले गुरुवार तक रहती है। कन्सेप्शन की तारीख निर्धारित करने के लिए, उस दिन को दो दिन जोड़ें, जब आपका इंटरकोर्स हुआ था। हालांकि, यह एक वास्तविक अनुमान नहीं हो सकता है, लेकिन काफी हद तक सटीक होता है।

    और पढ़ें : नॉर्मल डिलिवरी के लिए फॉलो करें ये 7 आसान टिप्स

    2.”गर्भकालीन आयु” और “कन्सेप्शनल आयु” क्या है?

    जेस्टेशनल ऐज (Gestational age) आपके एलएमपी के पहले दिन से गणना की गई गर्भावस्था के पीरियड को बताता है। इसे हफ्तों और दिनों में बताया जा सकता है और इसे मासिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। जबकि कन्सेप्शनल आयु (Conceptional age(CA) गर्भाधान के दिन और प्रसव के दिन के बीच का समय बताता है।

    3. LMP डेट क्या है?

    एलएमपी का मतलब आखिरी महावारी चक्र से है। गर्भाधान से पहले यह आखिरी अवधि है। LMP तारीख आपकी गर्भावस्था का पहला दिन है। यह तिथि आपकी ड्यू डेट (280 दिन या 40 सप्ताह जोड़कर) की गणना के लिए उपयोगी है।

    और पढ़ें: पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी: प्रेग्नेंसी के बाद होने वाली दिल की समस्या के बारे में जान लें

    4. प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर के अलावा ड्यू डेट के और कौन से अन्य तरीके हैं?

    अल्ट्रासाउंड स्कैन, पहली तिमाही में सटीक मासिक धर्म रिकॉर्ड के साथ पेल्विक एरिया का नैदानिक ​​परीक्षण, 10 से 12 सप्ताह के बाद डॉपलर अल्ट्रासोनोग्राफी और ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) गर्भावस्था परीक्षण डिलिवरी ड्यू डेट की गणना करने के लिए कुछ वैज्ञानिक तरीके हैं।

    5. क्या ड्यू डेट (due date) बदल सकती है?

    हां, ड्यू डेट कुछ डिलिवरी के समय की गणना कई कारणों से बदल सकती है। खासतौर पर यदि आपको अनियमित पीरियड्स होते हैं, तो आपकी तारीखें बदल जाती हैं। इसी तरह कुछ अन्य कारणों से भी डिलिवरी ड्यू डेट बदल सकती है।

    डिलिवरी ड्यू डेट(Due Date) हमेशा अनुमानित ही होती है। ऐसा कोई भी तरीका नहीं है जिससे सटीक डिलिवरी डेट का पता लगाया जा सके। बहुत ही कम शिशु अपनी अनुमानित तारीख पर पैदा होते हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर से निकली डेट को केवल अनुमान ही मानें। कैलक्युलेटर से निकली संभावित तारीख प्रेग्नेंट महिला को प्रसव और बेबी बर्थ (baby birth) के लिए तैयार करने में मदद कर सकती है।

    और पढ़ें : क्या है 7 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट, इस अवस्था में क्या खाएं और क्या न खाएं?

    क्या प्रेग्नेंसी ड्यू डेट का निकल जाना सामान्य है?

    हां, यह बेहद कॉमन है। ज्यादातर बच्चे 37-40 वीक के बीच पैदा होते हैं। ड्यू डेट के एक हफ्ते पहले (A week before the due date) या बाद बच्चे का जन्म होना सामान्य है। जुडवां बच्चे, ट्रिपलेट्स प्रेग्नेंसी (Triplets pregnancy) के 37वें हफ्ते के पहले पैदा हो जाते हैं। ड्यू डेट की गणना आपके पीरियड्स के अनुसार की जाती है। आपकी मिडवाइफ इस बारे में आपको ज्यादा बता सकती है। अगर आपकी प्रेग्नेंसी 42 वीक से ज्यादा हो जाती है तो इसे प्रोलॉन्गड प्रेग्नेंसी कहा जाता है। 5-10 प्रतिशत महिलाओं की प्रेग्नेंसी लंबी होती है।

    अगर आप प्रेग्नेंट हैं और ड्यू डेट के बारे में अधिक जानकारी चाहती हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। सभी का शरीर अलग होता है, उसी हिसाब से गणना बदल जाती है। आपका डॉक्टर आपको उचित सलाह दे सकता है। ड्यू डेट निकलने के बाद भी लेबर पेन शुरू नहीं हो रहा है तो कुछ नैचुरल तरीके ट्राई किए जा सकते हैं।

    प्रेग्नेंसी ड्यू डेट (Pregnancy Due Date) निकलने के बाद क्या किया जा सकता है?

    किसी कारणवश बच्चा ड्यू डेट के बाद पैदा नहीं होता है तो डॉक्टर कुछ दिन इंतजार करते हैं और बच्चे की धड़कन भी चेक करते हैं। साथ ही पेट के अंदर बच्चे का मूमेंट भी देखा जाता है। निम्न परिस्थितयों की जांच की जाती है जैसे-

    • बच्चे की ड्यू डेट (Due Date) कितनी हो चुकी है?
    • महिला की उम्र (Age) क्या है?
    • क्या महिला पहले भी बच्चे को जन्म दे चुकी है?
    • उसका वजन (Weight) कितना है?
    • बच्चा कितना बड़ा है?
    • क्या महिला धूम्रपान करती है?
    • क्या पेट के अंदर बच्चे को कोई खतरा है?

    इन सब की जानकारी लेने के बाद अगर डॉक्टर को लगता है कि बच्चे का जन्म कराना आवश्यक है तो महिला और बच्चे की स्थिति के अनुसार सी-सेक्शन या फिर नॉर्मल डिलिवरी (इंड्यूस्ड लेबर) के माध्यम से बच्चे का जन्म कराया जाता है।

    रिसर्च के अनुसार 4 प्रतिशत बेबीज ही एक्जेक्ट ड्यू डेट पर पैदा होते हैं। 5 में से एक बच्चा 41 हफ्ते पर या उसके बाद पैदा होता है। इसलिए अगर आपकी प्रेग्नेंसी ड्यू डेट निकल गई है तो परेशान न हो। आप अकेली नहीं है।

    लेबर पेन को शुरू करने के नैचुरल उपाय:

    बॉडी को एक्टिव रखें (Active Body)

    यदि बॉडी तनाव में है तो लेबर पेन शुरू नहीं होगा। इसलिए इस बात का स्ट्रेस लेकर सिर्फ आराम ही न करें। कुछ छोटे-मोटे काम करते रहे जिससे बॉडी एक्टिव रहे। प्रशिक्षित व्यक्ति से मसाज कराएं। आप एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर की मदद भी ले सकती हैं। लेबर शुरू करने में यह मददगार हो सकते हैं।

    और पढ़ें: डिलिवरी के वक्त दिया जाता एपिड्यूरल एनेस्थिसिया, जानें क्या हो सकते हैं इसके साइड इफेक्ट्स?

    केस्टर ऑयल (Castor Oil)

    प्राकृतिक रूप से लेबर को शुरू करने के तरीकों में केस्टर ऑयल काफी प्रचलित है। लेबर को शुरू करने के लिए इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इसे इस्तेमाल करने का सबसे सामान्य तरीका इसे सीधे सर्विक्स पर लगाया जाए। इसे पेट पर नहीं लगाना चाहिए। केस्टर ऑयल को लेकर डॉक्टरों की अलग-अलग राय है।

    और पढ़ें: डिलिवरी के वक्त होती हैं ऐसी 10 चीजें, जान लें इनके बारे में

    ब्रेस्ट को उत्तेजित करना (Breast)

    ब्रेस्ट को उत्तेजित करने से ऑक्सिटॉसिन रिलीज होता है। इससे यूटरस में कॉन्ट्रैक्शन होता है। इससे कई बार लेबर को शुरू करने में सहायता मिलती है। वहीं, कुछ महिलाएं लेबर को शुरू करने के लिए निप्पल्स पर मालिश करती हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के आपको यह तरीका नहीं आजमाना चाहिए।

    वॉक पर जाएं (Walk)

    कॉन्ट्रैक्शन का अहसास हो रहा है लेकिन, लेबर पेन नही हैं तो ऐसे में चलने- फिरने से इसमें सुधार हो सकता है। चलने से आपके हिप्स हिलते- डुलते हैं, जिससे शिशु को डिलिवरी की अवस्था में आने में मदद मिलती है। सीधे खड़े रहने से गुरुत्वाकर्षण शिशु को पेल्विक में की तरफ ले जाने में मदद करता है। प्राकृति तरीके से लेबर को शुरू करने में फिजिकल एक्टिविटी की भूमिका अहम होती है। कुछ महिलाओं को हल्की एक्सरसाइज या चलने फिरने के लिए कहा जाता है, जिससे उन्हें लेबर शुरू हो जाए।

    इस सभी विधि को फॉलो करने से पहले अपने ग्यानो से मिलें और उनके निर्देश के अनुसार ही पालन करें।

    ड्यू डेट या डिलिवरी की तारीख आगे बढ़ने को लेकर कोई भी सवाल है तो एक बार अपने डॉक्टर से कसंल्ट करें। उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही अगर आपका इस विषय से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव है तो वो भी हमारे साथ शेयर करें।

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Dr. Pooja Bhardwaj


    Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/07/2021

    advertisement
    advertisement
    advertisement
    advertisement