क्या आप श्योर हैं कि आप लॉग आउट करना चाहते हैं?
दुनिया में बहुत सारी खतरनाक बीमारियां है, जिनमें ऑटोइम्यून डिजीज टाइप भी शामिल हैं। ये बीमारियां कब दबे पांव आपके जीवन में दस्तक दे दें, आप नहीं जान सकते हैं। ऑटोइम्यून डिजीज टाइप की बीमारियां आपके शरीर से लेकर दीमाग तक को प्रभावित कर सकती हैं। जिससे आप अपने स्वास्थ्य से तो जाते ही हैं और धन से भी जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप इन ऑटोइम्यून डिजीज टाइप की बीमारियों के बारें में जानें और लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
अल्जाइमर ऑटोइम्यून डिजीज टाइप में आती है। यह एक ऐसी बीमारी है जो याददाश्त को नष्ट कर देती है। शुरुआती तौर पर अल्जाइमर से ग्रसित व्यक्ति को बातें याद रखने में कठिनाई हो सकती है और फिर धीरे-धीरे व्यक्ति अपने जीवन में महत्वपूर्ण लोगों को भी भूल जाता है। अल्जाइमर में याददाश्त कमजोर होने के साथ-साथ कुछ और भी लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे- पहले लोगों के नाम भूल जाना, अपने विचारों को व्यक्त करने में कठिनाई, निर्देशों का पालन करने में दिक्कत, किसी बात को समझने में भी परेशानी आदि होती है। अल्जाइमर अक्सर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है।
अल्जाइमर (Alzheimer) रोग डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का सबसे आम कारण है। मस्तिष्क विकारों का एक समूह जिसमें बौद्धिक और सामाजिक कौशल को नुकसान पहुंचता है। अल्जाइमर रोग में, मस्तिष्क की कोशिकाएं कमजोर होकर नष्ट हो जाती हैं, जिससे स्मृति और मानसिक कार्यों में लगातार गिरावट आती है। वर्तमान समय में अल्जाइमर रोग के लक्षणों को दवाओं और मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी के द्वारा अस्थायी रूप से सुधारा जा सकता है। इससे अल्जाइमर रोग से ग्रस्त इंसान को कभी-कभी थोड़ी मदद मिलती लेकिन, क्योंकि अल्जाइमर रोग का कोई इलाज नहीं है, इसलिए जितनी जल्दी हो सके सहायक सेवाओं का सहारा लेना जरूरी होता है।
डिमेंशिया : वही, दुनिया भर में लगभग 50 मिलियन लोग डिमेंशिया की मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। डिमेंशिया ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत इतनी ज्यादा प्रभावित हो जाती है कि वे अपने रोजमर्रा के कामों को ठीक से नहीं कर पाते। ऑटोइम्यून डिजीज टाइप की यह मानसिक बीमारी सिर की गंभीर चोट, स्ट्रोक आदि के कारण भी हो सकती है। डिमेंशिया का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है। कुछ दवाइयां और थेरिपी इसके उपचार के लिए इस्तेमाल की जाती है।
यह भी पढ़ें: बच्चों के मुंह के अंदर हो रहे दाने हो सकते हैं ‘हैंड-फुट-माउथ डिसीज’ के लक्षण
एमायोट्रोफिक लैटरल स्क्लेरोसिस ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी हुई समस्या है। जिसमें व्यक्ति मांसपेशियों से नियंत्रण खोने लगता है। एमायोट्रोफिक लैटरल स्क्लेरोसिस 50 साल की उम्र से उपर के लोगों में होती है। लेकिन, कभी-कभी इससे कम उम्र के लोगों में भी ये बीमारी देखने को मिलती है। ALS में मांसपेशियां कमजोर और खिंचने लगती हैं। जिससे हाथ, पैर और शरीर के अंगों का मूवमेंट सही से नहीं हो पाता है। दिन बदिन स्थिति बद से बदतर होने लगती है। एमायोट्रोफिक लैटरल स्क्लेरोसिस का कोई इलाज नहीं है। कभी-कभी सीने की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण सांस लेने में समस्या होती है और कुछ मामलों में ये जानलेवा साबित हो सकता है।
यह भी पढ़ें: Chronic Obstructive Pulmonary Disease (COPD) : क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज क्या है?
पार्किंसंस डिजीज में शरीर में झटके आते रहते हैं। जिससे चलने-फिरने में बहुत परेशानी होती है। उम्र दराज लोगों में ये समस्या सबसे ज्यादा होती है। पार्किंसंस डिजीज एक खतरनाक बीमारी है, जो एक आनुवंशिक समस्या भी है। पार्किंसंस डिजीज माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होता है। अगर पार्किंसंस डिजीज का इलाज नहीं हुआ तो ये आगे चल कर मरीज के मौत का कारण भी बन जाती है। इस खतरनाक बीमारी का इलाज दवाओं और लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर किया जा सकता है।
स्क्लेरोडर्मा एक कनेक्टिव टिश्यू डिसऑर्डर और ऑटोइम्यून डिजीज टाइप है। जिसके कारण त्वचा में बदलाव, खून की नसों, आंतरिक अंगों और मांसपेशियों में भी विकृति आती है। जिसके कारण त्वचा का रंग गाढ़ा होने लगता है, त्वचा मोटी और कड़ी होने लगती है। ये समस्या न सिर्फ हाथ-पैर बल्कि पूरे शरीर की त्वचा के साथ होता है। जैसे- फेफड़े, दिल, किडनी, पेट आदि अंगों के साथ भी होता है। ये एक आनुवंशिक समस्या है और इसके होने के कारणों का पता नहीं है।
यह भी पढ़ें: Rheumatoid arthritis : रयूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
सिज़ोफ्रेनिया एक पुरानी मानसिक और आनुवंशिक बीमारी है और उसे एक प्रकार का पागलपन भी कह सकते हैं। जिसमें व्यक्ति के सोचने की गति तेज या धीमी हो जाती है। कभी-कभी मरीज सोचने की क्षमता भी खो देते हैं। सिज़ोफ्रेनिया के मरीज को अजीब चीजे सुनाई और दिखाई देती हैं। जिसके कारण अजीब व्यवहार करने की संभावना ज्यादा होती है। जैसे- भ्रम, आक्रामक व्यवहार आदि। सिजोफ्रेनिया को आजीवन ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।
यह भी पढ़ें: पोलियो क्या है, जानें इसके लक्षण और इलाज
पोलियो एक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो गंभीर रूप में नर्वस सिस्टम पर अटैक करती है। इस बीमारी का कारण पोलियो वायरस है। यह वायरस एक मरीज से दूसरे मरीज में फैलता है और गंभीर मामलों में मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी तक को नुकसान पहुंचाता है। कुछ मामलों में इस संक्रमण के कारण सांस लेने में परेशानी होती है और कभी-कभी यह मौत का कारण भी बन सकता है।
हालांकि, पोलियो के कारण लकवा और मौत हो सकती है। लेकिन, वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग बीमार नहीं पड़ते हैं और उन्हें पता नहीं होता है कि वे संक्रमित हो गए हैं।
पोलियो का कोई इलाज नहीं है, केवल लक्षणों को कम करने के लिए उपचार हैं। हीट और फिजिकल थेरिपी का उपयोग मांसपेशियों के दर्द को कम करने के लिए किया जाता है और मांसपेशियों को आराम देने के लिए एंटीस्पास्मोडिक दवाएं (antispasmodic drugs) दी जाती हैं। हालांकि यह लक्षण को कम कर सकता है, यह स्थायी पोलियो को ठीक नहीं कर सकता। पोलियो को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। पोलियो वैक्सीन, कई बार दिया जाता है, इसको देने से बच्चा जीवन भर के लिए सुरक्षित हो सकता है।
यह भी पढ़ें: दुनियाभर में लगभग 17 मिलियन लोगों को होने वाली एक विकलांगता है सेरेब्रल पाल्सी
सेरेब्रल पाल्सी (CP) मसल्स और नर्व को प्रभावित करने वाली स्थितियों का एक समूह है। यह कोई आनुवंशिक बीमारी नहीं है लेकिन, यह कम उम्र से ही शुरु हो जाती है। सेरेब्रल पाल्सी के तीन प्रकार स्पास्टिक (सबसे आम), एस्थेटोइड और एटैक्सिक हैं। हाथों और पैरों का हिलना सेरेब्रल पाल्सी का सामान्य लक्षण है। चलने और बातचीत करने में परेशानी, शरीर का धीमा विकास, मांसपेशियों में खिंचाव होना। प्रभावित बच्चों को खाने में परेशानी, मांसपेशियों में ऐंठन, शरीर में अकड़न और भैंगापन आदि इसके लक्षण हैं। कभी-कभी सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चों को सीखने, सुनने या देखने में समस्या होती है या मानसिक विकलांगता भी हो सकती है।
सेरेब्रल पाल्सी का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, लक्षण और विकलांगता को फिजिकल थेरिपी, ऑक्यूपेशनल थेरिपी, मनोवैज्ञानिक परामर्श और सर्जरी के द्वारा कम किया जा सकता है। फिजिकल थेरिपी बच्चों के मांसपेशी को मजबूत करने में मदद करती है।
यह भी पढ़ें: Muscular dystrophy : मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी क्या है?
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) या सीओपीडी एक खतरनाक बीमारी है। सीओपीडी बीमारियों का एक समूह है, जिसमें रोगी को सांस लेने में मुश्किल होती है। हालांकि, इसमें मरीज को लगातार खांसी आती है। सीओपीडी में दो बीमारियां मुख्य रूप से शामिल हैं। अधिकांश लोग इन दोनों ही बीमारियों से ग्रसित होते हैं :
क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस : ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियल नलियों की सतह पर आई हुई सूजन है। इसकी वजह से ब्रोंकियल ट्यूब में लालपन, सूजन और बलगम भर जाता है। यह बलगम आपकी नलियों को ब्लॉक करता है, जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है।
इंफीसेमा (वातस्फीति) : इसमें फेफड़ों की वायु थैली (एल्वियोली) को नुकसान पहुंचता है, जिससे सांस लेने में और तकलीफ होती है और एल्वियोली प्रभावित हो जाती है। इससे आपके रक्त में ऑक्सिजन और कार्बन डायऑक्साइड को बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है।
COPD का अभी तक कोई इलाज नहीं है। सीओपीडी से निपटने का सबसे अच्छा तरीका रोकथाम है। सीओपीडी में ब्रोंकोडायलेटर्स, कॉम्बिनेशन ब्रोंकोडायलेटर्स प्लस इनहेल्ड ग्लूकोकार्टिकोस्टेरॉयड जैसी दवाएं दी जाती है। वहीं, फ्लू, न्यूमोकोकल आदि के टीके लगाए जाते हैं। जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी की जाती है। जैसे- बुलेक्टोमी रिमूवल, लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी और लंग ट्रांसप्लांट किया जाता है।
यह भी पढ़ें: Multiple Sclerosis: मल्टिपल स्क्लेरोसिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
रयूमेटाइड आर्थराइटिस एक जोड़ों से संबंधित खतरनाक बीमारी है। कुछ लोगों में शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है, जैसे त्वचा, आंखें, फेफड़े, हृदय और खून की नसें शामिल हैं। एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर में रयूमेटाइड आर्थराइटिस तब होता है जब आपका इम्यून सिस्टम शरीर के पेशियों पर हमला करती है तो ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों में दर्द और सूजन पैदा करता है। रयूमेटाइड आर्थराइटिस शारीरिक विकलांगता का कारण बन सकता है। इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन, लक्षणों के आधार पर दवाओं के द्वारा इसका रोकथाम किया जाता है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस एक खतरनाक बीमारी है। जो आनुवंशिक होने के साथ-साथ जानलेवा भी है। सिस्टिक फाइब्रोसिस से ग्रसित व्यक्ति लगभग 37 साल से ज्यादा नहीं जी पाता है। इसमें डिफेक्टिव जीन्स फेफड़े और अग्नाशय में मोटा म्यूकस जमा हो जाता है। जिससे फेफड़ों में इंफेक्शन और पाचन विकार हो जाते हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस का इलाज एंटीबायोटिक्स, ऑक्सीजन थेरिपी और कभी-कभी लंग ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ जाती है।
मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगते हैं। ऐसा होने पर मरीज को चलने, उठने-बैठने में परेशानी होने लगती है। मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी कई तरह की होती हैं। लड़कों में बचपन या बढ़ती उम्र से ही यह समस्या शुरू हो सकती है।
मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी का कोई खास इलाज नहीं है। लेकिन, लक्षणों के आधरा पर इसका इलाज किया जाता है। इसके लिए फिजिकल थेरिपी और कभी-कभी रीढ़ या पैर की सर्जरी करनी पड़ सकती है। जरूरत पड़ने पर ब्रैसिज, वॉकर या व्हीलचेयर की मदद ली जा सकती है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा को भी दिया जाता है।
मल्टिपल स्क्लेरोसिस सेंट्रल नर्वस सिस्टम की एक खतरनाक बीमारी है। जिसमें मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और ऑप्टिक तंत्रिका (optic nerve) को प्रभावित करती है। न्यूरॉन्स, नर्वस सिस्टम की संरचनाएं हैं, जो हमें सोचने, देखने, सुनने, बोलने, महसूस करने आदि की अनुमति देते हैं। प्रत्येक न्यूरॉन एक सेल बॉडी और एक एक्सॉन (सेल जो संदेशों को आगे ले जाने का काम करता है) से बना होता है।
ज्यादातर एक्सोन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में माइलिन नामक एक रोधक पदार्थ में रहते हैं। दरअसल, माइलिन नसों के साथ संकेतों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में मदद करता है।
मल्टिपल स्क्लेरोसिस को ठीक नहीं किया जा सकता है। लेकिन, लक्षणों को नियंत्रित करके रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। जैसे-थकान, दर्द, सोचने में समस्या और मूत्राशय की समस्याओं का इलाज किया जाता है।
ऑटोइम्यून डिजीज टाइप की बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा का प्रयोग होता हैं। इंटरफेरॉन और ग्लैटीरामर जैसी दवाएं बढ़ती बीमारी की रोकथाम के लिए दी जाती हैं। बीमारी की गंभीर स्थिति के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में अमैंटाडिन, बैक्लोफेन, गैबापेंटिन, ऑक्सीब्यूटिनिन, प्रोपेंथलाइन, स्टूल सॉफ्टेनर्स, साइलियम, फाइबर, नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लमेटरी ड्रग्स (एनएसआईडी) और एसिटामिनोफेनशामिल हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
और भी पढ़ें:
सरोगेसी प्लानिंग से पहले इससे जुड़े मिथकों भी जान लें
अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की जांच करने के लिए इस कैलक्युलेटर का उपयोग करें और पता करें कि क्या आपका वजन हेल्दी है। आप इस उपकरण का उपयोग अपने बच्चे के बीएमआई की जांच के लिए भी कर सकते हैं।
पुरुष
महिला
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
Disability associated with mental disorders https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2913573/ Accessed December 2, 2019.
rare diseases and related terms https://rarediseases.info.nih.gov/diseases/browse-by-first-letter/ Accessed December 2, 2019.
Genetic Disorders https://www.genome.gov/For-Patients-and-Families/Genetic-Disorders Accessed December 2, 2019.
Which is A More Debilitating Disorder Schizophrenia or Dysthymia? – A Comparative Study https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4484131/ Accessed December 2, 2019.
COPD https://medlineplus.gov/copd.html Accessed December 2, 2019.