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ऑटिज्म में बच्चे के डायट का कैसे रखें ध्यान?
जब आपके बच्चे को ऑटिज्म होता है, तो वो कई तरह के खाद्य पदार्थ, उनके स्वाद, गंध, बनावट या रंग को देखकर संवेदनशील हो सकता है और वह उसे खाने से इंकार कर देता है। ऐसे में नए तरह का खाना खिलाना भी एक चुनौती होती है, इसलिए इस दिशा में धीरे-धीरे कदम उठाने चाहिए। इसके लिए आप एक खास तरीका अपना सकते हैं। जब आप शॉपिंग पर जाएं, तो अपने बच्चे को साथ ले जाने की कोशिश करें और उसे अपनी पसंद का खाना चुनने को बोलें। जब आप वो खाना घर लाएं, तो उसे संतुलित तरीके से बनाने की कोशिश करें। हो सकता है कि खाना बनने के बाद बच्चा खाने से इंकार कर दे। ये बेहद सामान्य बात है, उसे इस चीज से परिचित होने में वक्त लग सकता है। ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स को फॉलो करके इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।
ऑटिज्म में कुछ थेरिपी कर सकती हैं मदद
ऑटिज्म बच्चों की सही देखभाल के साथ ही उनकी थेरेपी कराना भी बेहद आवश्यक होता है। ऑटिज्म बच्चे की मदद के लिए थेरेपी ही एकमात्र सबसे बड़ा सपोर्ट हो सकता है। क्योंकि ऑटिज्म को इलाज अब-तक मुमकिन नहीं हो पाया है। इसलिए थेरेपी को ही सबसे बड़ा सपोर्ट माना जाता है। ऑटिज्म के लिए कई तरह की थेरेपी दी जाती है। क्योंकि ऑटिज्म कई प्रकार के होते हैं, इसलिए उनके लिए यही थेरेपी निर्धारित कि जाती है। ऑटिज्म के लिए थेरेपी तीन प्रकार के हो सकते हैं।
पॉजिटिव बिहेवियरल सपोर्ट (PBS) Positive behavioural and support
पीबीएस यानी पॉजिटिव बिहेवियरल सपोर्ट एक ऐसी तकनीक है, जिसके अतंर्गत ऑटिज्म का इलाज किया जाता है। इसमें व्यक्ति के व्यवहार को उसके आसपास के वातावरण में बदलाव कर उसे सकारात्मक बनाने के प्रयास किए जाते हैं। पहले देखा जाता है कि किस वजह से रोगी के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। इसके बाद रोगी को नई चीजें सिखाई जाती हैं और अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
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डिस्क्रीट ट्राइल ट्रेनिंग (DTT) Discrete trial training
डिस्क्रीट ट्राइल ट्रेनिंग के अंतर्गत ऑटिज्म का इलाज करने के लिए एक टीचर रोगी को एक के बाद एक लेसन देता है। इसके बाद रोगी से इसके जवाब और सही व्यवहार के बारे में पूछा जाता है। सही जवाब देने और उचित व्यवहार करने पर उसे गिफ्ट देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
शिक्षात्मक थेरिपी (Educational therapy)
इस थेरिपी में ऑटिज्म रोगी के कौशल विकास और संचार कौशल को विकसित करने की दिशा में काम किया जाता है। इसमें एक्सपर्ट्स की टीम खासतौर पर रोगी के लिए केंद्रित प्रोग्राम तैयार करते हैं। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।