हमने ऊपर मनोरोग के प्रकारों और उनके एक-दो बीमारियों के उदाहरणों के बारे में जाना। आइए, अब कुछ मुख्य मानसिक विकारों के बारे में जानते हैं। जैसे-
डिप्रेशन (Depression) या अवसाद मनोरोग
डिप्रेशन या अवसाद मनोरोग सबसे आम दिमागी बीमारी है। जो न सिर्फ आपको व्यवहारत्मक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है, बल्कि आपकी दैनिक कार्यक्षमता के ऊपर भी बुरा असर डालता है। आजकल इस मनोरोग से महिलाओं, पुरुष या बच्चे कोई भी अछूता नहीं रहा है। इस बीमारी ग्रसित व्यक्ति उदास, आत्मगिलानी, दिलचस्पी में कमी, खुद को कम आंकना, अपर्याप्त नींद, थकान और ध्यान में कमी की समस्याओं का सामना करता है। डिप्रेशन किसी भी स्थिति या व्यक्ति के कारण हो सकता है, जो कि आपको कई शारीरिक समस्याओं का भी शिकार बना सकता है। इसकी अवधि लघु व दीर्घ दोनों हो सकती है। अवसाद मनोरोग के उपचार के लिए कई थेरेपी मौजूद हैं, जिनकी मदद से इसे कम या खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा, एक्सरसाइज करने से भी डिप्रेशन से राहत मिलती है।
डिमेंशिया (Dimentia) मेंटल डिसऑर्डर/ भूलने की दिमागी बीमारी

डिमेंशिया या भूलने का मनोरोग काफी लंबे समय से हो रहा या प्रगतिशील मानसिक विकार है। जिसमें, व्यक्ति की याद्दाश्त बहुत कमजोर हो जाती है और वह चीजें भूलने लगता है। कई बार, डिमेंशिया से ग्रसित व्यक्ति की हालत इस स्तर तक भी पहुंच सकती है कि, वह अपने परिवार के लोगों का नाम व शक्ल या फिर खुद का नाम व अस्तित्व भी भूल सकता है। इसके अलावा, इस दिमाग की बीमारी में सोचने, गणित करने, याद करने, बोलने आदि की क्षमता भी कम हो सकती है। यह मनोरोग अल्जाइमर या स्ट्रोक जैसी कई बीमारी या दिमाग पर चोट लगने की वजह से हो सकता है। हालांकि, इसका अभी कोई प्रामाणिक उपचार नहीं मिल पाया है, लेकिन कुछ थेरेपी के द्वारा इससे ग्रसित व्यक्ति की जिंदगी को सुरक्षात्मक बनाने की कोशिश की जाती है।
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ऑटिज्म (Autism) जैसे विकासात्मक विकार

ऑटिज्म जैसे विकासात्मक विकार भी मनोरोग में आते हैं, जिसकी वजह से बच्चों या किसी व्यक्ति की ज्ञानात्मक व दिमागी क्षमता कम रह जाती है। यह मेंटल डिसऑर्डर आमतौर, पर बच्चों में शुरू होता है, जो कि व्यक्ति के जवान होने या जिंदगीभर तक रह सकता है। सेंट्रल नर्वस सिस्टम के मैच्योर होने में कमी या देरी होना इस मनोरोग का कारण हो सकता है। ऑटिज्म जैसे विकासात्मक विकार में व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार, बात करने की क्षमता या भाषा या कार्यक्षमता या दिलचस्पी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस दिमाग की बीमारी में परिवार द्वारा की गई देखभाल काफी जरूरी और महत्वपूर्ण होती है।
बायपोलर डिसऑर्डर
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में बाइपोलर डिसऑर्डर से 4 करोड़ 50 लाख लोग प्रभावित हैं। इस मनोरोग में मूड के मुताबिक मैनिक और डिप्रेसिव एपिसोड देखने को मिल सकते हैं। जिसमें, चिड़चिड़ापन, ओवर एक्टिविटी, रैपिड स्पीच, इंफ्लेटेड सेल्फ एस्टीम और नींद की कमी शामिल हो सकती है। जिन लोगों को सिर्फ मैनिक अटैक ही आते हैं, उन्हें भी बायपोलर डिसऑर्डर हो सकता है। हालांकि, इस मनोरोग को शुरुआती चरण में ही संयमित व उपचारित करने के लिए प्रभावी दवाएं और थेरेपी है। इस मनोरोग को ठीक करने के लिए आपको मनोचिकित्सक की मदद की भी जरूरत पड़ सकती है।
स्किजोफ्रेनिया या अन्य साइकोटिक डिसऑर्डर
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक स्किजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है, जिसने दुनियाभर में करीब 2 करोड़ लोगों को शिकार बना रखा है। इस बीमारी में व्यक्ति के नजरिए, भावनाओं, भाषा, व्यवहार और सेल्फ सेंस से संबंधित विकृतियां हो जाती हैं। इसके अलावा, स्किजोफ्रेनिया जैसे मनोरोग में भ्रम व जो चीज नहीं है, उन्हें सुनने, देखने या महसूस करना आम लक्षण होता है। यह व्यक्ति को किसी भी जगह सामान्य नहीं रहने देता। इस समस्या में दवाइओं के साथ साइकोसोशल सपोर्ट प्रभावशाली होता है। ऐसे मनोरोग किशोरावस्था के आखिरी चरण से लेकर शुरुआती जवानी के दौरान होने का ज्यादा खतरा होता है।
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सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर
सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर को सोशल फोबिया भी कहा जाता है, जो कि सामाजिक स्थितियों की वजह से होने वाला डर होता है। इस मनोरोग से ग्रसित व्यक्ति को भीड़ में या दूसरे लोगों के सामने जाने से डर लगता है। उन्हें लगता है कि, लोग उनके प्रति कोई गलत राय न बना लें या लोगों ने उनके प्रति पहले से ही कोई गलत राय बना रखी है। ऐसे लोगों को नए लोगों से मिलने या कहीं काम करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
मनोरोग का खतरा किसे होता है और यह किस वजह से होता है?
मनोरोग या मानसिक विकार होना बिल्कुल सामान्य है। यह किसी भी उम्र, लिंग और वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, मनोविकार या मनोरोग होने का खतरा किसी को भी हो सकती है। हालांकि, बच्चों या कम उम्र के लोगों को इसके होने का खतरा ज्यादा होता है। इसके साथ ही आपको एक साथ दो या उससे ज्यादा मनोरोग भी हो सकते हैं। आइए, जानते हैं कि मनोरोग होने के मुख्य कारण क्या हैं।
मनोरोग का अनुवांशिक कारण
जिन लोगों की फैमिली में या मां-बाप को पहले कोई मनोरोग हुआ होता है, तो उन्हें इसके होने का खतरा ज्यादा होता है। कुछ निश्चित जीन आपमें मनोविकारों की आशंका बढ़ा सकते हैं और आपकी जिंदगी पर बुरा असर डाल सकते हैं।
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जन्म से पहले पर्यावरणीय जोखिम के कारण मानसिक विकार
जन्म से पहले अर्थात गर्भ में पर्यावरणीय स्ट्रेसर्स, टोक्सिन, एल्कोहॉल, ड्रग्स आदि के संपर्क में आने से भी मनोरोग हो सकता है।
ब्रेन कैमिस्ट्री की वजह से मेंटल डिसऑर्डर

हमारे दिमाग में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर नेचुरल ब्रेन कैमिकल होते हैं, जो शरीर और दिमाग के अन्य भागों तक संकेत पहुंचाते हैं। जब इन न्यूरल नेटवर्क में खराबी आ जाती है, तो मनोरोग उत्पन्न हो सकते हैं।
अन्य कारण-
- दिमाग पर चोट लगने से
- बचपन में कोई अनहोनी, शोषण या हिंसा का सामना करने से
- कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की वजह से
- अकेलापन या बहुत कम दोस्त होने की वजह से
- एल्कोहॉल और ड्रग्स का सेवन करने से
- किसी करीबी की मौत या आर्थिक समस्या जैसी किसी तनावग्रस्त स्थिति से गुजरने की वजह से
किसी में मनोरोग या मनोविकार को कैसे पहचानें?
मनोरोग या मनोविकार के लक्षण भी बाकी दूसरी बीमारियों की तरह उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा, बीमारी की गंभीरता के साथ मनोरोग के लक्षण बदल भी सकते हैं और पैदा भी हो सकते हैं। हालांकि, मनोरोग या मेंटल डिसऑर्डर के कुछ लक्षण सामान्य होते हैं, जो कि हर किसी प्रकार में दिख सकते हैं। इनकी मदद से आप किसी भी व्यक्ति या खुद में मनोरोग होने की आशंका या उससे जरूरी चिकित्सा लेने की जरूरत को पहचान सकते हैं। आइए, हम मनोरोग के सामान्य लक्षणों के बारे में जानते हैं।
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बच्चों में दिखने वाले मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण-