मौजूदा समय में बायपोलर डिसऑर्डर के उपचार के लिए उपलब्ध प्रक्रियाओं में से किसी को भी हम पूरी तरह से सफल नहीं मान सकते हैं। हालांकि, इनकी मदद से इसके लक्षणों को थोड़ा कम जरूर किया जा सकता है।
अगर आप प्राकृतिक तौर पर इसका उपचार करना चाहते हैं, तो आपको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी कई जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा और कुछ आदतों में बदलाव भी लाना होगा।
नेशनल एलायंस ऑन मेंटल इलनेस (NAMI) का अनुमान है कि संयुक्त राज्य में लगभग 2.6 प्रतिशत लोग इस द्विध्रुवी विकार से ग्रस्त हैं और इसके लगभग 83 प्रतिशत मामले काफी गंभीर हैं।
उनके अनुसार, इसके लक्षण 25 वर्ष की उम्र में सबसे ज्यादा देखे जा सकते हैं। वहीं, भारत में इसके आंकड़ों की बात करें, तो अभी भी इस पर सटीक आंकड़े प्राप्त नहीं किए गए हैं। हालांकि, प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रति एक हजार लोगों में 0.15 फीसदी लोग बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त होते हैं जिनमें सफल उपचार सिर्फ 15 फीसदी लोगों को ही मिल पाता है।
इस मानसिक विकार का उपचार करने के लिए आप निम्न प्राकृतिक तरीकों को अपना सकते हैं :
जीवनशैली में परिवर्तन लाना
संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी – cognitive behavioral therapy [CBT]) की मदद से और जीवनशैली में परिवर्तन लाकर इसके लक्षणों में काफी सुधार लाया जा सकता है।
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नींद का पैटर्न सुधारना
इस मानसिक विकार के कारण व्यक्ति को नींद से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे बहुत ज्यादा नींदा आना या नींद न आना। ऐसी स्थिति में आपको अपनी नींद की क्वालिटी बेहतर बनाने के विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए।
अच्छी नींद आपके मूड को फ्रेश बनाए रखने में मदद करती है जिससे बायपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को ट्रिगर होने से रोकने में मदद मिल सकती है।
अच्छी नींद के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें :
- रोजाना तय समय पर सोने जाना और सुबह तय समय पर उठना।
- सोने का कमरा साफ-सुथरा, ठंडा और हवादार हो
- सोने से लगभग एक घंटे पहले फोन या किसी भी गैजेट का इस्तेमाल करना बंद कर दें। इससे आपको चैन की नींद आएगी।
- सोने से दो घंटे पहले ही रात का भोजन खा लें। डिनर हल्का होना चाहिए और भरपेट खाना खाने से बचें।
- सोने से पहले शराब का सेवन न करें।
अगर इन जरूरी बातों का ध्यान रखने के बाद भी आपको नींद से जुड़ी समस्या होती है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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पौष्टिक आहार का सेवन करें
साल 2011 में एक अध्ययन किया गया था जिसमें बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को शामिल गया था। इसमें शामिल लगभग 68 प्रतिशत लोगों के शरीर पर अतिरिक्त वजन या मोटापे की समस्या भी देखी गई। साथ ही, इन लोगों में डायबिटीज, हृदय रोग, बीपी जैसी अन्य गंभीर स्थितियों के भी लक्षण देखे गए।
हालांकि, डॉक्टरों को इसके मुख्य कारण के बारे में पता नहीं था लेकिन यह मस्तिष्क में रसायनों के असंतुलन के कारण हो सकता है। इन रसायनों को न्यूरोट्रांसमीटर भी कहा जाता है जिसमें नॉरएड्रेनालाईन, डोपामाइन और सेरोटोनिन शामिल हो सकते हैं।
सेरोटोनिन रसायन हमारे भूख लगने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। अगर शरीर में सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है, तो लोगों में कार्बोहाइड्रेट युक्त और मीठे खाद्य पदार्थों को खाने की अधिक क्रेविंग होने लगती है जो कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
स्वस्थ और पौष्टिक आहार से जुड़ी जरूरी बातों का ध्यान रखें :
- अपने खाने का समय तय करें।
- दिनभर में कितना, क्या और कितनी मात्रा में खाना है यह भी तय करें।
- अपने आहार को संतुलित करने के लिए, हर दिन अपने खाद्य पदार्थों में बदलाव करते हैं। यह बदलाव आप तरह-तरह की सब्जियों, दालों और फलों से कर सकते हैं।
अगर मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) या बायपोलर डिसऑर्डर से जुड़े आपको कोई सवाल हैं, तो कृपया अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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