डायग्नोस्टिक एंड स्टेटिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर नामक किताब के पांचवे संस्करण (DSM-5) के अनुसार पीडोफीलिक डिसऑर्डर को सामान्य तौर पर डायग्नोस नहीं किया जा सकता है। लेकिन कुछ मापदंडों को देख कर लक्षणों का पता लगाया जा सकता है, जो निम्न हैं :
- कम से कम 6 महीने के समय तक एक सामान्य बच्चे के साथ यौन गतिविधि करना या उसे लेकर तीव्र यौन कल्पनाएं होना या जैसी कल्पनाएं है बच्चे के साथ वैसा व्यवहार करना।
- बच्चे के प्रति यौन कल्पनाएं या व्यवहार के कारण व्यक्ति को किसी भी तरह का नुकसान महसूस हुआ हो। ये नुकसान शारीरिक, मानसिक, आर्थिक सभी स्तरों पर हो सकता है। उदाहरण के लिए किसी बच्चे का यौन शोषण करने के बाद पीडोफिलिक व्यक्ति को अंदर से डर लगना या अपराधबोध महसूस होना।
- पीडोफिलिक व्यक्ति को दो समूहों में रखा जा सकता है। पहली कैटेगरी में 16 के किशोरों को शामिल किया गया, जो अपने से कम से कम चार या पांच से कम उम्र के बच्चे के प्रति यौन आकर्षण महसूस करते हैं। दूसरी कैटेगरी में 18 साल से ऊपरी की उम्र के वयस्कों को रखा गया है, जो 12 या 13 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन शोषण करते हैं या उनका बलात्कार करते हैं।
- पीडोफिलिक डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति चाइल्ड पॉर्नोग्राफी अधिक देखता है, जिससे इस बात का अंदेशा लगाया जा सकता है कि वह व्यक्ति पीडोफिलिक है।
- पीडोफिलिक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों से खुद के प्रति सहानुभूती भी चाहता है और उसके साथ ही एंग्जायटी, गंभीर डिप्रेशन, मूड डिसऑर्डर और सब्सटेंस एब्यूज से ग्रसित भी हो सकता है।
उपरोक्त बताए गए मापदंड़ों के आधार पर ये पता लगाया जा सकता है कि कौन व्यक्ति पीडोफिलिक है और कौन नहीं। एक बात गौर फरमाने वाली ये है कि कई बार कुछ लोगों का सेक्सुअल ओरिएंटेशन ही पीडोफिलिक होता है, यानी कि उन्हें बच्चों के साथ यौन व्यवहार करने में रुचि होती है। ऐसे लोगों को पीडोफिलिक डिसऑर्डर की कैटेगरी से अलग रखा जाता है। दूसरी तरफ पीडोफिलिक डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति बच्चे के हाव-भाव और रूप रंग को देख कर आकर्षित नहीं होता है, बल्कि अपनी कामुक इच्छाओं को लेकर बच्चे के प्रति आकर्षित होता है।
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पीडोफीलिक होने का कारण क्या है?
पीडोफिलिया होने का कारण फिलहाल ज्ञात नहीं है कि इस मानसिक समस्या के पीछे की मुख्य वजह क्या है? फिर भी कुछ मनोचिकित्सकों का मानना है कि ये कोई भी व्यक्ति देख कर सीखता है या ये परिवार से उसमें आता है, लेकिन इसका कोई अनुवांशिक साक्ष्य अभी तक नहीं मिला है। मनोवैज्ञानिकों को कुछ मामले ऐसे भी मिले हैं, जिसमें पीडोफीलिक व्यक्ति किसी वक्त में खुद बाल यौन शोषण का शिकार हो चुका था और उसे अनुभव करने के लिए वह खुद पीडोफीलिक व्यक्ति की तरह ही व्यवहार करने लगा।
पीडोफिलिया का इलाज क्या है?
पीडोफिलिया का इलाज संभव तो है, लेकिन इस मानसिक समस्या का पता लगाना कठिन है। एक बार जब इस मानसिक समस्या का पता चल जाए तो इसका इलाज साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग से संभव है। पीडोफीलिक व्यक्ति को कुछ मनोवैज्ञानिक थेरिपीज के द्वारा उसकी भावनाओं को समझा जाता है और उसे बदलने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर उसे कुछ दवाएं भी दी जाती है। दूसरी तरफ अगर व्यक्ति पीडोफिलिया से गंभीर रूप से ग्रसित है या उसने किसी बच्चे के साथ रेप किया है तो थेरिपी, काउंसिलिंग के साथ सेक्स ड्राइव को कम करने की दवा भी दी जाती है।
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पीडोफीलिक सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाले व्यक्ति को अपनी भावनाओं को कैसे कंट्रोल करना चाहिए?
जो व्यक्ति पीडोफीलिक डिसऑर्डर से ग्रसित नहीं होता है, इसके बावजूद भी अगर उसे बच्चों के प्रति यौन आकर्षण है तो इसका मतलब ये है कि वह पीडोफीलिक सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाला व्यक्ति है। अक्सर देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति अक्सर अपनी सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर अपराधबोध महसूस करते हैं। जिससे वे खुद को एकांत में रखते हैं, अकेले रहते हैं, डिप्रेशन में रहते हैं और चिंतित रहते हैं। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को किसी के सहारे की जरूरत होती है, जो उसे समझ सके। इस स्थिति में पीडोफीलिक सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाले व्यक्ति को अपना दिमाग किसी अन्य क्रिएटिव काम में लगाना चाहिए और साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग कराती रहनी चाहिए।
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इस तरह से आप अगर पीडोफीलिक डिसऑर्डर के लक्षणों को महसूस करते हैं तो अभी साइकोलॉजिस्ट से मिलें। क्योंकि ये आपको एक अपराध की दुनिया में ले के जा सकता है। जिसके लिए भारत के संविधान में कड़े कानून बने हैं। पॉक्सो एक्ट (नाबालिक के साथ दुष्कर्म करने की धारा के तहत सजा होना) जैसी गंभीर धारा के तहत पीडोफिलिया से ग्रसित व्यक्ति को सजा हो सकती है। क्योंकि हमेशा याद रखिए कि पीडोफिलिया का पता लगाना मुश्किल है कि कौन पीडोफीलिक व्यक्ति है और कौन नहीं। इसलिए खुद से ही खुद को परखें और जरूरत होने पर अपने किसी करीबी से अपनी भावनाओं को साझा करें। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए अपने मनोचिकित्सक से भी मिल सकते हैं।