शिशुओं में अनुवांशिक विकार के प्रकार
गुणसूत्रीय समस्या अतिरिक्त गुणसूत्र या गुणसूत्र की कमी के चलते हो सकती है। ज्यादातर मामलों में एक अतिरिक्त या कम गुणसूत्र भ्रूण के विकास में बाधा बन जाते हैं और प्रेग्नेंसी का अंत मिसकैरिज पर होता है। वहीं कुछ गुणसूत्र के चलते ऐसी भी परिस्थितयां होती हैं, जिनमें शिशु जन्म लेता है।
डाउन सिंड्रोम (ट्राईसोमी 21)
यह गुणसूत्र की सबसे ज्यादा कॉमन असमानता है, जिसमें बच्चा जीवित रह सकता है। ऐसे मामले 600 डिलिवरी में से एक में सामने आते हैं। हालांकि, पैरेंट्स की उम्र बढ़ने के साथ इसकी संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए 45 वर्ष की उम्र में महिला के गर्भवती होने पर उसके बच्चे में डाउन सिंड्रोम का खतरा बड़ जाता है।
ऐसे बच्चों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए अनेक प्रकार की सेवाएं शुरू की गई हैं। इसमें चुनौतियां जरूर हो सकती हैं लेकिन, समुचित सहायता ऐसे लोगों को एक खुशनुमा जीवन जीने में मदद मिलती है।
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पटाऊ सिंड्रोम (ट्राईसोमी 18) और एडवर्ड सिंड्रोम (ट्राईसोमी 13)
पटाऊ सिंड्रोम और एडवर्ड सिंड्रोम के मामले डाउन सिंड्रोम के मुकाबले बेहद ही कम आते हैं। करीब 4,000 डिलिवरी में एक बच्चा इनसे पीड़ित हो सकता है। लेकिन, इन विकारों की स्थिति और भी ज्यादा गंभीर होती है।
इन अनुवांशिक विकारों के साथ पैदा हुए शिशुओं में कई तरह की स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां होती हैं। उनके दिल में भी डिफेक्ट हो सकता है। स्थिति इतनी भयावाह होती है कि वह शुरुआती एक साल तक जीवित नहीं रह पाते। इस अनुवांशिक विकार में बच्चे की नाक के नीचे और होंठ के ऊपर का हिस्सा गायब हो सकता है।
टर्नर सिंड्रोम
यह अनुवांशिक विकार सिर्फ महिलाओं में ही देखा जाता है। ऐसे मामले भी 4,000 बच्चों में से किसी एक में सामने आते हैं। इसमें दो X गुणसूत्र प्राप्त करने के बजाय टर्नर सिंड्रोम वाले बच्चे के पास सिर्फ एक X गुणसूत्र (45X) होता है।
टर्नर सिंड्रोम शिशु की बौद्धिकत्ता को प्रभावित नहीं करता है। यह उसकी लंबाई और फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। इस सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे को हार्ट डिफेक्ट्स, असामान्य गर्दन जैसी स्वास्थ्य से संबंधित कुछ समस्याएं हो सकती हैं लेकिन, निगरानी और उपचार के साथ टर्नर सिंड्रोम वाली महिला लंबा और स्वास्थ्य जीवन व्यतीत कर सकती है।