कई महिलाओं के मन में जुड़वा बच्चे को लेकर कई प्रकार के मिथ होते हैं। जुड़वा बच्चे यानी ट्विंस होने के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर आपके मन में ये विचार चल रहा है कि किसी कमी के कारण जुड़वा बच्चों का जन्म होता है तो पूरी तरह से सच नहीं है। एक स्वस्थ्य महिला भी जुड़वा बच्चों को जन्म दे सकती है। अधिक उम्र के बाद कंसीव करने पर जुड़वा बच्चों की संभावना बढ़ जाती है। इस बारे में लखनऊ की जयती क्लीनिक की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. मालती पांडेय का कहना है कि “महिला की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसके जुड़वां शिशु होने की संभावना बढ़ती जाती है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में एफएसएच (फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन) के बनने में कमी आती है जो ऑव्युलेशन (ovulation) के लिए ज्यादा अंडे विकसित करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और जब अंडाशय से निकलने वाले अंडों की संख्या बढ़ने लगती है, तब ट्विन्स के साथ गर्भधारण करने की संभावनाएं बढ़ जाती है।’ अक्सर जुड़वां बच्चों को देखकर मन में सवाल आता है कि आखिर एक ही कोख में ट्विन्स कैसे होते हैं? कभी इन बच्चों के रंग-रूप में समानता पाई जाती है तो कभी ये अलग होते हैं। आखिर जुड़वां बच्चे होने का कारण क्या है? डॉक्टरों की मानें तो यह सब कुछ महिला के गर्भ में स्पर्म और एग के फर्टिलाइजेशन के समय ही तय होता है। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में जानेंगे आखिर कैसे और क्यों होते हैं जुड़वां बच्चे…