गर्भ में जुड़वां बच्चों में से एक की मौत होना “वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम” (vanishing twin syndrome) कहा जाता है। गर्भ में एक बच्चे का ठीक से विकास न होने के कारण ऐसा होता है। गर्भ में जुड़वां बच्चे होने पर गर्भवती महिला की परेशानियां बढ़ जाती हैं।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal
गर्भ में जुड़वां बच्चों में से एक की मौत होना “वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम” (vanishing twin syndrome) कहा जाता है। गर्भ में एक बच्चे का ठीक से विकास न होने के कारण ऐसा होता है। गर्भ में जुड़वां बच्चे होने पर गर्भवती महिला की परेशानियां बढ़ जाती हैं।
वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम का पता 1945 में चला था। यदि महिला के गर्भ में एक बच्चे का ठीक से विकास न हुआ हो और उसकी मृत्यु हो जाए, इस अवस्था को “वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम” का नाम दिया गया है। इस अवस्था का सामना कई महिलाओं को करना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं की चिंता अपने दूसरे बच्चे के लिए और भी बढ़ जाती है। उनके मन में अनेको प्रश्न होते हैं, जैसे: दूसरे बच्चे का विकास ठीक से हो रहा है या नहीं? डिलिवरी के बाद कहीं बच्चे को कोई शारीरिक एवं मानसिक परेशानियां तो नहीं होंगी?
हैलो स्वास्थ्य की डॉ सुषमा तोमर, इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और एंडोस्कोपिक सर्जन (फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण ) से हुई बातचीत के अनुसार, “यदि गर्भ में जुड़वां बच्चों में से एक, दूसरे या तीसरे ट्राइमेस्टर में मर जाता है, तो जीवित बच्चे के लिए खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में कई बार, ब्लीडिंग की संभावना कई गुना बढ़ जाती है और महिला की डिलिवरी समय से पहले करनी पड़ सकती है। ऐसे मामलों में जीवित भ्रूण में सेरेब्रल पाल्सी की संभावना अधिक होती है। डिलिवरी के समय, कई बार फीटस पेपैरासीयस (Fetus Papyraceus ( मृत बच्चे के अवशेष, जो कि दूसरे बच्चे या गर्भाशय से चिपके होते हैं) देखने को मिलता है।
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वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम (vanishing twin syndrome) का एक और बड़ा खतरा है ब्लीडिंग डिसऑर्डर यदि दोनों बच्चे एक ही सेक्स के हैं और एक बच्चे की डेथ हो गई है, तो ऐसे में मृत भ्रूण जो चार सप्ताह से अधिक समय तक यूट्रस के अंदर रहता है, ब्लीडिंग डिसऑर्डर का कारण बन सकता है। इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि गर्भ में जुड़वां बच्चे एक ही ऐम्नीआटिक थैली में हैं या अलग थैली में? 75% जुड़वां बच्चे अलग-अलग ऐम्नीआटिक थैली में विकसित होते हैं, उनके अलग-अलग प्लेसेंटा होते हैं; जो कि अच्छा है। क्योंकि यह रक्त प्रवाह को एक से दूसरे (मां से बच्चे तक) तक रोक सकता है।
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पहले के जमाने में, डिलिवरी के बाद नाल के परीक्षण से वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम की पहचान की जाती थी लेकिन आज के तकनीकी युग में, अल्ट्रासाउंड के जरिए पहले ट्राइमेस्टर में ही जुड़वां या दो से ज्यादा भ्रूणों की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है।
उदाहरण के लिए:
एक महिला गर्वास्था के 6 या 7 सप्ताह में अल्ट्रासाउंड करवाती है। उस समय डॉक्टर महिला के गर्भ में जुड़वां बच्चे होने की जानकारी देता है, परंतु अगली बार अल्ट्रासाउंड करवाने पर केवल एक ही बच्चे की दिल की धड़कन सुनाई पड़ती है।
प्रारंभिक गर्भावस्था में अल्ट्रासोनोग्राफी के उपयोग के बाद से वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम के मामले ज्यादा सामने आए हैं। अनुमान लगाया गया है कि 21-30% वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम, मल्टीफेटल प्रेग्नेंसीज में होते हैं।
ज्यादातर मामलों में, वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम का कारण साफ नहीं है। परंतु इसके कुछ लक्षण और संकेत होते हैं जो वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम की तरफ इशारा करते हैं। कुछ रिसर्चस के अनुसार 30 वर्ष से ऊपर की महिलों में यह सिंड्रोम देखा गया है। गर्भ में जुड़वां बच्चे में से एक का मरना वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम की वजह से होता है।
लक्षण: आमतौर पर इसके लक्षण पहले ट्राइमेस्टर में शुरू होते हैं। इसमें रक्तस्राव, गर्भाशय में ऐंठन, और पेल्विक एरिया में दर्द होता है। यदि गर्भ में एक शिशु की मृत्यु हो जाती है, तो इसका प्रमुख कारण गर्भनाल में असामान्यता या प्लेसेंटा हो सकता है। साथ ही यह विकसित होते भ्रूण में किसी प्रकार के विकार की तरफ भी संकेत करता है।
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गर्भ में जुड़वां बच्चे होने पर अगर पहली तिमाही के दौरान एक जुड़वां की मौत हो जाती है तो आमतौर पर यह जीवित बच्चे के विकास को प्रभावित नहीं करती है। अगर आपको पहले से पता है कि आपके गर्भ में जुड़वां बच्चे है और आप जुड़वा बच्चों की अपेक्षा करने के बारे में उत्साहित थे, तो एक बच्चे की मौत होना आपको दुखी कर सकता है। इसे वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम कहा जाता है जब गर्भ में जुड़वां बच्चे शुरूआत के स्कैन में दिखाई दे लेकिन आपके डेटिंग स्कैन में केवल एक ही बच्चा दिखाई देता है। आप कुछ हल्के ऐंठन और धब्बेदार या हल्के ब्लीडिंग के अलावा कुछ और लक्षण अनुभव कर सकते हैं।
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