शुरुआती दौर में मिरगी के दौरे को कंट्रोल करने के डॉक्टर मिर्गी की दवा के रूप में एंटीकॉनवल्सेंट (Anticonvulsants, दिमागी क्षति को सुधारने वाली) लेने की सलाह देते हैं। कई मामलों में डॉक्टर मिर्गी ट्रीटमेंट के लिए असामान्य रक्त वाहिकाओं को ऑपरेट कर के हटा भी सकते हैं। अगर व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर, असामान्य ब्लड वेसेल्स (असामान्य रक्त वाहिकाएं) या फिर दिमाग में ब्लीडिंग (खून बहना) की वजह से मिर्गी की समस्या है, तो डॉक्टर मिर्गी का इलाज करने के लिए एपिलेस्पी सर्जरी (epilepsy surgery) की भी सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर वैगल नर्व स्टिमुलेटर (Vagal Nerve Stimulator) के प्रयोग के लिए भी सलाह दे सकते हैं। यह एक तरह की डिवाइस है जो चेस्ट के नीचे त्वचा में लगाई जाती है। डिवाइस से एक तार गर्दन में वेजस तंत्रिका के आसपास लगाया होता है। यह डिवाइस दिल में लगाए जाने वाले पेस मेकर की तरह काम करता है जो मिरगी के दौरों को कंट्रोल करता है। बच्चों को पड़ने वाले मिर्गी दौरों के इलाज के लिए डॉक्टर एपिलेस्पी डायट (कीटोजेनिक डायट) लेने की सलाह भी देते हैं। इस तरह के आहार प्लान में अधिक फैट और प्रोटीन के साथ कम कार्बोहाइड्रेट लिया जाता है। और पढ़ें : मिर्गी के दौरे सिर्फ दिमाग को ही नहीं बल्कि हृदय को भी करते हैं प्रभावित
मिर्गी का इलाज : घरेलू उपचार (Epilepsy Treatment – Home Remedies)
मिर्गी के दौरों को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ आहार पोषण में बदलाव करके की सलाह देते हैं। जैसे-
मिर्गी का इलाज : विटामिन डी का उपयोग (Vitamin D use)
कई शोधों से पता चलता है कि ज्यादातर मिर्गी से पीड़ित युवा और वयस्क में विटामिन डी की कमी पाई जाती है। शरीर में विटामिन डी की कमी को दूर करके एपिलेस्पी के दौरों की फ्रीक्वेंसी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी के अनुसार 23 एपिलेस्पी पेशेंट्स को दो समूहों में बांटा गया। एक ग्रुप को 28 दिनों तक विटामिन डी 3 दिया गया और दूसरे समूह को सिर्फ प्लेसबो (यानी एपिलेस्पी ट्रीटमेंट के तौर पर टेबलेट्स, इंजेक्शन, सर्जरी और अन्य प्रक्रियाएं) दिया गया। रिसर्च में आया कि विटामिन डी3 प्राप्त करने वाले रोगियों में, मिर्गी के दौरे लगभग 67-71% तक कम हो गए थे। इसलिए, मिर्गी का इलाज करने के लिए आहार में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों को ज्यादा से ज्यादा शामिल करें। इसके लिए आहार में सोया मिल्क, अंडे का पीला भाग, कॉड लिवर ऑयल (Cod liver oil) आदि को शामिल करें।
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विटामिन बी-6 (Vitamin B6)
विटामिन बी6 का इस्तेमाल पैराडोक्सिन-डिपेंडेंट सीजर्स (pyridoxine-dependent seizures) में किया जाता है। इस तरह की मिर्गी दुर्लभ है जो आमतौर पर गर्भ में या जन्म के तुरंत बाद विकसित होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि आपका शरीर विटामिन बी-6 को ठीक से पचा नहीं पाता है। इस तरह की मिर्गी का इलाज करने के लिए डॉक्टर विटामिन बी6 के सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं।
मिर्गी के इलाज के लिए ओमेगा3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acids for the treatment of epilepsy)
ओमेगा3 फैटी एसिड के उपयोग से दिमाग स्वस्थ रहता है और नर्वस सिस्टम के कार्य में भी सुधार होता है। इसलिए, ओमेगा3 फैटी एसिड से भरपूर फूड्स को डायट में शामिल करें। इसके लिए आहार में समुद्री मछली (टूना और मैकेरल), ड्राई फ्रूट्स (बादाम और अखरोट) और बीज (अलसी, चिया) को रोजाना अपनी डायट में शामिल करें।
विटामिन ई (Vitamin E)
मिर्गी रोग से पीड़ित कुछ लोगों में विटामिन ई की कमी भी हो सकती है। ऐसी में मिर्गी के दौरे को कम करने नियमित रूप से आहार में पालक और ब्रोकली, नट्स, सीड्स, वेजिटेबल ऑयल के साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियों को लें।
सेरेब्रल फोलेट की कमी से शिशुओं में पड़ने वाले मिर्गी के दौरे को कम करने के लिए आहार में फोलिक एसिड की उचित मात्रा लें। इसे केवल अपने डॉक्टर की देखरेख में ही लें। इसके अलावा शरीर में मैग्नीशियम की कमी ज्यादा होने की वजह से सीजर्स (दौरे) का खतरा बढ़ सकता है। इस स्थिति में डॉक्टर की सलाह से मैग्नीशियम सप्लिमेंट लिया जा सकता है।
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मिर्गी का इलाज करने के लिए कीटो डायट (Keto diet to treat epilepsy)
एक संतुलित आहार आम तौर पर कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, सब्जियों, फलों और तरल पदार्थ की उचित मात्रा से मिलकर बना होता है। मिर्गी का इलाज करने के लिए आहार में कुछ परिवर्तन करके मिर्गी के दौरे को कम करने में मदद मिल सकती है। एपिलेस्पी ट्रीटमेंट के लिए डायट (कीटो डायट) प्रभावी रूप से कार्य करती है। यह डायट प्लान फैट की ज्यादा मात्रा पर केंद्रित है। इसमें मरीज को लो कार्ब, हाई फैट और सीमित मात्रा में प्रोटीन दिया जाता है। अगर मिर्गी की दवाओं के साथ ही कीटो डायट (keto diet) ट्राई की जाए तो मरीज को जल्दी ही मिर्गी के दौरे से राहत मिलती है। कीटो डायट का पालन केवल डॉक्टर/ न्यूट्रिशनिस्ट के निर्देशों के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
ऊपर बताए गए मिर्गी का इलाज करने के लिए घरेलू उपाय केवल एक जानकारी के लिए दिए गए हैं। मिर्गी के लक्षण को हल्के में ना लें। बेहतर होगा कि जल्द से जल्द किसी न्यूरॉलजिस्ट को दिखाएं।