पेसमेकर एक छोटा सा उपकरण होता है। जो दो भागों से बना होता है- एक जेनरेटर और वायर। पेसमेकर को सीने की त्वचा में लगाया जाता है, ताकि हार्टबीट को नियंत्रित किया जा सके। पेसमेकर इम्प्लांटेशन(Pacemaker-implantation) की जरूरत कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को पड़ती है। जिन्हें एरिदमियस (Arrhythmias) यानी कि दिल की धड़कनों का असामान्य होना, उनका पेसमेकर इम्प्लांटेशन किया जाता है।
वहीं, हार्ट अटैक के कारण भी दिल की धड़कने असामान्य हो जाती हैं। तो भी डॉक्टर पेसमेकर को ही विकल्प के रूप में बताते हैं। कुछ दवाएं भी दिल की धड़कनों को प्रभावित करती हैं। वहीं, कुछ मामलों में आनुवंशिकता जिम्मेदार होती है। पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) एक छोटी सी सर्जरी के द्वारा किया जाता है। पेसमेकर को परमानेंट रूप से इम्प्लांट कर के हार्ट फेलियर जैसे जोखिमों को कम किया जाता है।
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पेसमेकर के इम्प्लांट की जरूरत अक्सर ब्राडिकार्डिया (Bradycardia) और हार्ट ब्लॉक के मामलों में किया जाता है। बार्डीकार्डिया में दिल की धड़कन सामान्य से कम हो जाती है। हार्ट ब्लॉक एक प्रकार का डिसऑर्डर है, जिसमें दिल द्वारा दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक सिग्नल कम हो जाते हैं या दिल तक पहुंच नहीं पाते हैं।
हार्ट ब्लॉक की स्थिति उम्र ढलने के साथ होती है। जिसमें हार्ट डेमेज या हर्ट अटैक होता है। कुछ नर्व और मांसपेशियां भी हार्ट ब्लॉक, मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी के लिए जिम्मेदार होती हैं।
निम्न परिस्थितियों में पेसमेकर के लिए डॉक्टर कहते हैं :
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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) को टेम्पररी कराने वाले लोग ए-वी कंडक्शन फेलियर होने के हाई रिस्क में रहते हैं। निम्न लोगों स्थायी पेसमेकर लगाया जाता है:
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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) सर्जरी के कुछ दिनों के बाद पेसमेकर लगाए गए स्थान पर दर्द, सूजन हो सकती है। इसे कम करने के लिए सर्जरी के बाद आपको दवाएं देते हैं।
इसके अलावा पेसमेकर इम्प्लांट के बाद कुछ अन्य समस्या हो सकती हैं :
जरूरी नहीं की ये समस्याएं सभी के साथ हो, लेकिन फिर भी आपको सभी तरह के जोखिम के बारे में जान लेना चाहिए।
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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) सर्जरी करने से पहले आप निम्न तरीके से तैयार रहें :
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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) को करने में एक घंटे का समय लगता है। सर्जरी के दौरान ही तीन लीड वाला बाइवेंट्रिकल पेसमेकर लगाना होता है तो सर्जरी का समय एक घंटे से ज्यादा हो जाता है। सर्जरी कराने के बाद आपको ह़स्पिटल में एक या दो दिन तक रुकना पड़ सकता है।
सर्जरी के पहले आपको एक विशेष कमरे में ले के जाया जाता है। जहां पर आपको सलाइन चढ़ाया जाता है। इसके बाद आपके सीने को एंटीसेप्टिक साबुन से धुला जाता है। जिसके बाद आपके सीने के उस हिस्से से को सुन्न किया जाएगा। इसके बाद कॉलरबोन के नीचे एक छोटा सा कट लगाते हैं। जिसमें एक या एक से ज्यादा इलेक्ट्रोड को डाला जाता है। इसके साथ ही एक्स-रे लगा कर देखा जाता है कि पेसमेकर सही से फिट हुआ है या नहीं। पेसमेकर के इलेक्ट्रोड में लगा हुआ वायर दिल से जोड़ा जाता है। वहीं, उसका दूसरा सिरा पल्स जेनरेटर से जुड़ा हुआ होता है। इससे ही दिल की धड़कनों को नियंत्रित किया जाता है।
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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) कराने के बाद आप एक या दो दिन में घर जा सकते हैं। इसके बाद भी आपको हॉस्पिटल आना पड़ेगा। आपको इम्प्लांट हुए पेसमेकर की जांच करानी पड़ेगी। जिससे ये पता चल सके कि पेसमेकर सही से लगा है या नहीं।
वहीं, वायरलेस तकनीक से बना पेसमेकर रिमोट द्वारा जांचा जाता है कि वह सही से दिल की धड़कनों को नियंत्रित कर रहा है या नहीं। वहीं, आपके दिल की धड़कनों को रिकॉर्ड भी करता है, जिसे समय-समय पर डॉक्टर देखते रहते हैं। वहीं, पेसमेकर में बैट्री लगी होती है जिसकी मदद से वह काम करता है। बैट्री खत्म होने पर पेसमेकर को फिर से लगवाना पड़ता है। पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के बाद आपको भारी एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए। वहीं, अगर आपको सर्जरी वाले स्थान पर दर्द होता है तो आप पेनकीलर ले सकते हैं। वैसे भी सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको पेनकीलर देते हैं।
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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के बाद आपको भारी एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए। एक महीने बाद आप धीरे-धीरे रिकवर कर जाएंगे। पेसमेकर कैसे लगाया जाता है, आप इस बारे में डॉक्टर से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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