backup og meta

फेफड़ों में इंफेक्शन के हैं इतने प्रकार, कई हैं जानलेवा

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/08/2020

    फेफड़ों में इंफेक्शन के हैं इतने प्रकार, कई हैं जानलेवा

    फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो कि पर्यावरण से हवा खींचकर उसमें से ऑक्सीजन अवशोषित करके शरीर के अन्य अंगों के उपयोग में मदद करते हैं। दूसरी तरफ, यह शरीर से हानिकारक कार्बनडाइऑक्साइड गैस को बाहर करता है। लेकिन, फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाने की वजह से इनकी कार्यक्षमता नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगती है और शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। जिससे, अन्य शारीरिक अंगों के क्रियान्वयन में भी दिक्कत आने लगती है।

    फेफड़ों में इंफेक्शन के कौन-कौन से कारण हो सकते हैं?

    फेफड़े हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम का हिस्सा है। जिसमें, अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में नाक, साइनस और गला शामिल होता है। जबकि, लोअर रेस्पिरेटरी सिस्टम में एयर वेज, ब्रोंकाई और लंग यानि फेफड़े शामिल होते हैं। जब फेफड़ों में बैक्टीरिया, वायरस आदि की वजह से संक्रमण होने लगता है, तो उसे फेफड़ों में इंफेक्शन कहा जाता है। लेकिन, कई बार रेस्पिरेटरी सिस्टम के अन्य हिस्सों में पनपा संक्रमण फैलते-फैलते लंग्स तक पहुंच जाता है और फेफड़ों में इंफेक्शन का कारण बनता है।

    और पढ़ें: फेफड़ों की बीमारी के बारे में वाे सारी बातें जो आपको जानना बेहद जरूरी है

    लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन या चेस्ट इंफेक्शन

    लोअर रेस्पिरेटरी सिस्टम के हिस्सों में संक्रमण होने को चेस्ट इंफेक्शन भी कहा जाता है। इसमें, आपके विंड पाइप, ब्रोंकाई और फेफड़ों में इंफेक्शन हो सकता है, जिसमें ब्रोंकाइटिस और निमोनिया सबसे आम बीमारी हैं। चेस्ट इंफेक्शन माइल्ड से लेकर सीवियर तक हो सकता है। फेफड़ों का यह इंफेक्शन बैक्टीरियल या वायरल कुछ भी हो सकता है। जैसे- ब्रोंकाइटिस अक्सर वायरस की वजह से और निमोनिया अधिकतर बैक्टीरिया की वजह से होता है। किसी दूसरे संक्रमित व्यक्ति के द्वारा छींक या खांसी के समय निकले छींटों के संपर्क में आने से आपको यह इंफेक्शन हो सकता है। इसके अलावा, लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन में बैक्टीरिया की वजह से टीबी जैसी समस्या हो सकती है।

    और पढ़ें: Streptokinase : स्ट्रेपटोकाइनेज क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

    काली खांसी (Whooping Cough)

    sick cough GIF by Debby Ryan

    काली खांसी बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella Pertussis) नामक बैक्टीरिया की वजह से होती है। फेफड़ों में इंफेक्शन की इस बीमारी में लगातार और गंभीर खांसी आती है, जिसकी वजह से सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। काली खांसी का खतरा छोटे व नवजात बच्चों में ज्यादा होता है और कई बार यह उनके लिए जानलेवा भी हो सकता है। इससे बचाव के लिए आप बच्चों या वयस्कों में पर्टुसिस वैक्सीन लगवा सकते हैं। इस वैक्सीन की मदद से नवजात और अन्य लोगों में काली खांसी का संक्रमण होने से रोका जा सकता है।

    और पढ़ें: Novel Coronavirus: जानें क्यों बेहद खतरनाक है चीन में फैल रहा कोरोना वायरस

    बर्ड फ्लू

    बर्ड फ्लू इंफ्लूएंजा एक वायरस की वजह से होता है। इस फ्लू की वजह से होने वाली इंसानी बीमारी अधिकतर एलपीएआई यानि लो पैथोजेनिक एवियन फ्लू और एचपीएआई यानि हाई पैथोजेनिक एवियन फ्लू की वजह से होती है, जो कि पक्षियों को संक्रमित करने वाले वायरस से जेनेटिक समानता रखता है। जो व्यक्ति बीमार पक्षियों के संपर्क में ज्यादा रहते हैं, उन्हें यह इंफेक्शन होने की ज्यादा आशंका रहती है। यह फेफड़ों में इंफेक्शन खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण गंभीर होने से मौत भी हो सकती है। बर्ड फ्लू के इलाज के लिए एंटीवायरल मेडिसिन का सुझाव दिया जाता है और गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ती है।

    स्वाइन फ्लू

    स्वाइन फ्लू भी इंफ्लूएंजा ए वायरस की वजह से होने वाला संक्रमण है। यह वायरस इंसान, बिल्ली, कुत्ता, बंदर आदि के शरीर में प्रवेश करके उन्हें संक्रमित कर सकता है। स्वाइन फ्लू का नाम इसके जेनेटिक समानताओं का सुअरों को संक्रमित करने वाले वायरस से मिलने पर रखा गया है। हर सीजनल फ्लू की तरह स्वाइन फ्लू में भी बुखार, गले में दर्द या थकावट या बीमार महसूस होना, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द आदि होता है। इस फेफड़ों के इंफेक्शन में उल्टी और डायरिया की समस्या भी हो सकती है। स्वाइन फ्लू सुअरों से इंसानों में फैल सकता है और स्वाइन फ्लू (नोवेल एच1एन1 और एच3एन2वी) एक इंसान से दूसरे इंसान में या तो वायरस इनहेल करने से या फिर वायरस से संक्रमित सतह को छूने और उसके बाद हाथों को मुंह या नाक से छूने पर फैल सकता है। इंफेक्टेड ड्रॉप्लेट्स आसानी से हवा में छींकने या खांसने के दौरान फैल जाती हैं। हालांकि, एच3एन2वी के फैलने की आशंका एच1एन1 के मुकाबले कम होती है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए आप स्वाइन फ्लू वैक्सीन का उपयोग कर सकते हैं, जो कि वायरस को मारने का काम करती है। छह महीने की उम्र से बड़ा कोई भी व्यक्ति स्वाइन फ्लू की वैक्सीन लगवा सकता है।

    एंटेरोवायरस

    नॉन-पोलियो एंटेरोवायरस आम वायरसों के समूह को कहा जाता है, जिसका ट्रांसमिशन आंतों के द्वारा होता है। ऐसे कई नॉन पोलियो एंटेरोवायरस से जो, हाथ, पैर और मुंह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं, लेकिन इनकी वजह से अधिकतर सामान्य जुकाम जैसे लक्षण ही होते हैं। यह वायरस नवजात, बच्चों व किशोरों में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संपर्क के द्वारा फैलता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत और सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आ सकती है। इसके अलावा, बुखार, नाक बहना, छींक आना, त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना, मुंह में छाले आना और शरीर में दर्द होना इस फेफड़ों के इंफेक्शन के लक्षण हैं। इसके इलाज के लिए प्राइमरी केयर फिजिशियल की मदद ली जा सकती है। लेकिन, इसकी गंभीरता बढ़ने के साथ विशेषज्ञों को भी दिखाने की जरूरत पड़ जाती है।

    और पढ़ें: Lungwort: लंगवॉर्ट क्या है?

    बच्चों में फ्लू

    sad hospital GIF by Scooby-Doo

    सीजनल इंफ्लूएंजा एक एक्यूट रेस्पिरेटरी बीमारी है, जो कि इंफ्लूएंजा-ए और इंफ्लूएंजा-बी वायरस की वजह से होती है। यह फेफड़ों में इंफेक्शन बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों के लिए खतरनाक हो सकता है। आपके वायरस के संपर्क में आने के 1 से 4 दिन के भीतर शरीर में इंफेक्शन हो सकता है। जिसकी वजह से बुखार, गले में दर्द, नाक बहना और नाक बंद होना, सिरदर्द, थकान और शारीरिक दर्द हो सकता है।

    लेकिन बच्चों में फ्लू और स्टमक फ्लू के बीच अंतर होता है। क्योंकि, बच्चों में फ्लू की वजह से उल्टी और डायरिया हो सकती है, लेकिन इसका मतलब स्टमक फ्लू नहीं होता है। स्टमक फ्लू वायरस खासतौर से रोटावायरस और नोरोवायरस की वजह से आंतों में इंफेक्शन होने की वजह से होता है। आसान शब्दों में स्मटक फ्लू सामान्य फ्लू से बिल्कुल अलग बीमारी है। इससे बचाव के लिए 6 महीने से बड़े बच्चे को हर साल फ्लू शॉट लगवाने चाहिए, जिससे इंफेक्शन के वायरस को मारा जा सकता है। इसके अलावा, बच्चों को फ्लू से बचाने के लिए आपको उनकी देखरेख करनी चाहिए। जिसमें, उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीजें, जैसे- बर्तन, कपड़े, बिस्तर, चादर, खिलौने आदि को एंटीसेप्टिक लिक्विड से साफ करना आदि शामिल हैं।

    और पढ़ें: Asbestosis : एस्बेस्टॉसिस क्या है?

    वयस्कों में फ्लू

    वयस्कों में सीजनल इंफ्लूएंजा भी इंफ्लूएंज-ए और इंफ्लूएंजा-बी वायरस की वजह से होता है। जिसके लक्षण और गंभीरता कम स्तर से उच्च स्तर तक जा सकती है। फ्लू के लक्षण आमतौर पर बच्चों में फ्लू के लक्षणों की तरह ही होते हैं। जैसे- वयस्कों में भी बुखार, गले में दर्द, नाक बहना और नाक बंद होना, शारीरिक दर्द व थकान शामिल है। बैक्टीरियल निमोनिया, कान में इंफेक्शन, साइनस इंफेक्शन, डिहाइड्रेशन, अस्थमा, हार्ट फेलियर और डायबिटीज जैसी क्रोनिक बीमारियां भी गंभीर हो सकती हैं।

    फ्लू का सीजन कब आता है?

    हर साल, हर फ्लू वायरस का सीजन अलग-अलग हो सकता है। वैसे, सामान्य तौर पर, फ्लू का सीजन ऑक्टूबर से मई के बीच रहता है।

    और पढ़ें: लंग कैंसर क्या होता है, जानें किन वजहों से हो सकती है ये खतरनाक बीमारी

    बैक्टीरियल निमोनिया

    निमोनिया आमतौर पर बैक्टीरिया की वजह से होता है। जिसमें आपके फेफड़ों में म्यूकस जम जाता है और उसकी वजह से खांसी होने लगती है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा खतरा वायरल इंफेक्शन से ग्रसित व्यक्ति, किसी सर्जरी से उबरने के दौरान, या कोई अन्य रेस्पिरेटरी डिजीज के होने के दौरान होता है। इस बीमारी में एंटीबायोटिक्स सबसे ज्यादा प्रभावशाली होती हैं। इसकी वजह से अधिकतर लोगों में एंटीबायोटिक्स लेने के दो से तीन दिन के भीतर आराम दिखने लगता है। ट्यूबरकुलोसिस के अलावा अन्य बैक्टीरियल निमोनिया ज्यादा फैलने वाले नहीं होते। यह अमूमन आपकी नाक और गले में मौजूद बैक्टीरिया के फेफड़ों तक पहुंचने की वजह से होता है।

    वायरल निमोनिया

    वायरल निमोनिया फेफड़ों में इंफेक्शन का एक प्रकार है, जो कि किसी भी उम्र, लिंग और वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, इसके होने का खतरा सबसे ज्यादा छोटी उम्र के बच्चों और बुजुर्गों में होता है। यह आमतौर पर इंफ्लुएंजा ए और बी, रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस, पैराइंफ्लुएंजा और एडनोवायरस की वजह से होता है। लेकिन, यह बैक्टीरियल निमोनिया से अलग फैलने वाला होता है, लेकिन यह आम फ्लू से कम फैलता है। इस बीमारी में आपको बलगम, बुखार, सांस फूलने की समस्या, थकान, सिरदर्द, पसीना आना, उलझन की स्थिति और शारीरिक दर्द की परेशानी हो सकती है। इस बीमारी के इलाज के लिए आपको एंटीबायोटिक्स की जगह एंटीवायरल दवाइयों का उपयोग करना पड़ता है। इससे बचाव के लिए आपको दूसरे बीमारी व्यक्ति से एहतियात के साथ मिलना चाहिए।

    ब्रोंकाइटिस

    इस फेफड़ों में संक्रमण में आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम ब्रोंकाई जो कि एयर वेज होता है, उसमें सूजन आ जाती है। इसे कभी-कभी चेस्ट कोल्ड भी कहा जाता है। इस बीमारी में आपके फेफड़े सूज जाते हैं और म्यूकस का उत्पादन करने लगते हैं। इसकी वजह से आपको सिरदर्द, गले में दर्द, आंखों में पानी, थकान, शारीरिक दर्द आदि लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, ब्रोंकाइटिस आमतौर पर एक्यूट होता है, जो कि पांच दिन से तीन हफ्तों के बीच तक जारी रह सकता है। लेकिन, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस भी होता है, जो कि तीन महीने से दो साल तक रह सकता है। इसका सबसे आम कारण स्मोकिंग होता है और यह बीमारी धूल या खतरनाक गैस की वजह से और गंभीर हो सकती है।

    सामान्य जुकाम

    सामान्य जुकाम सभी को कभी न कभी होता ही है। यह सबसे आम अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है, जो एडोनवायरस के 57 प्रकार की वजह से हो सकता है। सामान्य जुकाम के लक्षण दिखने से पहले ही इस बीमारी के फैलने की आशंका हो सकती है। इस बीमारी में, नाक बहना, गले में दर्द, सिरदर्द, लिंफ नोड्स में सूजन आदि बीमारियां हो सकती हैं।

    और पढ़ें: किडनी रोग होने पर दिखते हैं ये लक्षण, ऐसे करें बचाव

    फेफड़ों में इंफेक्शन के लक्षण क्या हो सकते हैं?

    फेफड़ों में इंफेक्शन अलग-अलग प्रकार या वजह से हो सकते हैं, जिनके कुछ लक्षणों के बारे में हमने ऊपर चर्चा की है। लेकिन, आइए एक बार हम सभी फेफड़ों में इंफेक्शन के लक्षणों के बारे में बात कर लेते हैं और उनके कारण के बारे में जानते हैं।

    लगातार खांसी

    क्रोनिक खांसी फेफड़ों में इंफेक्शन का एक मुख्य लक्षण हो सकता है, जो कि समय के साथ ज्यादा गंभीर हो सकता है। यह एक संकेत है कि आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम में कुछ समस्या है, जिससे लड़ने के लिए आपका शरीर कोशिश कर रहा है।

    बुखार

    हर किसी का सामान्य शरीरिक तापमान अलग-अलग हो सकता है। लेकिन, फिर भी 100.4 डिग्री सेल्सियस को सामान्य शारीरिक तापमान माना जाता है। जिसका मतलब है कि आपका शरीर फेफड़ों के इंफेक्शन से लड़ने की कोशिश कर रहा है।

    सांस फूलने की बीमारी

    फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से सांस फूलने की बीमारी हो सकती है। जो कि दर्शाता है कि किसी समस्या की वजह से आपके फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो रही है और यह समस्या फेफड़ों में इंफेक्शन भी हो सकता है।

    और पढ़ें: सांस फूलना : इस परेशानी से छुटकारा दिलाएंगे ये टिप्स

    म्यूकस में बदलाव

    फेफड़ों में इंफेक्शन होने की वजह से आपके द्वारा उत्पादित किए जा रहे म्यूकस की मात्रा और रंग में भी बदलाव हो सकता है। इसके अलावा, म्यूकस की गंध में भी बदलाव आ सकता है।

    थकान

    फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से आपको शारीरिक थकान महसूस हो सकती है। क्योंकि आपका शरीर और इम्यून सिस्टम संक्रमण से लड़ने की कोशिश कर रहा होता है, जिस वजह से आपके शरीर की ताकत और ऊर्जा इस्तेमाल हो रही होती है।

    नील पड़ना

    जब हमारे फेफड़ों में इंफेक्शन होता है, तो उसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। जिस वजह से शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं जा पाती। शरीर को ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से आपकी त्वचा या होठों पर नील जैसा निशान पड़ सकता है।

    छाती में दर्द

    फेफड़ों में इंफेक्शन होने की वजह से कई बार आपको छाती में ऐसा दर्द महसूस हो सकता है कि, जैसे आपके सीने में कुछ चुभ रहा हो। यह दर्द खांसने के दौरान या सांस लेने के दौरान और ज्यादा गंभीर हो सकता है और कभी-कभी यह दर्द आपकी कमर के मध्य हिस्से से ऊपरी हिस्से तक महसूस हो सकता है।

    और पढ़ें : Pneumonitis: निमोनाइटिस क्या है?

    सांस में घरघराहट की आवाज आना

    फेफड़ों में इंफेक्शन होने की वजह से आपके सांस छोड़ने पर एक हाई पिच वाली सीटी की आवाज या घरघराहट की आवाज आ सकती है। दरअसल, यह दर्शाता है कि आपके फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से एयर वेज यानी विंड पाइप में सूजन और सिकुड़न आ चुकी है, जिसकी वजह से सांस छोड़ने या लेने में घरघराहट की आवाज आने लगती है।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Dr Sharayu Maknikar


    Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/08/2020

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement