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स्वाइन फ्लू के कारण क्या हैं?

स्वाइन फ्लू के कारण क्या हैं?

कैसे होता है स्वाइन फ्लू?

स्वाइन फ्लू जिसे H1N1 या स्वाइन इन्फ्लूएंजा के नाम से भी जाना जाता है। यह मनुष्य में होने वाली संक्रमित बीमारी है। इस बीमारी का नाम स्वाइन फ्लू इसलिए रखा गया है क्योंकि यह सुअर यानी स्वाइन से मनुष्यों में फैलता है। मनुष्यों में फैलने के बाद ये दूसरे मनुष्यों में आसानी से फैल जाता है। इसका वायरस का शरीर के अंदर प्रवेश करने के साथ ही शरीर में कई अलग तरह के बदलाव हो सकते हैं और मरीज कई तरह की परेशानी महसूस कर सकता है।

नेशनल हेल्थ पोर्टल (NHP) के अनुसार H1N1 वायरस जिसकी वजह से पेंडेमिक (स्वाइन फ्लू) होता है, पूरे विश्व में कुछ खास मौसम जैसे दिसंबर से फरवरी महीने के बीच होता है। लेकिन, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। यूनियन हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर मिनिस्ट्रीज की ओर से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 में स्वाइन फ्लू के 2,375 इससे ज्यादा मरीज रजिस्टर्ड किए गए। वहीं इसी वर्ष 221 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

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कैसे समझें स्वाइन फ्लू के लक्षण:

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार स्वाइन फ्लू होने की स्थिति तेजी से फैलने के साथ-साथ मरीज की स्थिति 24 घंटे में भी बिगड़ सकती है। इसलिए इसके लक्षण समझें। स्वाइन फ्लू के लक्षणों में शामिल है:

  • कभी-कभी बुखार आना।
  • ठंड महसूस होना।
  • कफ बनना।
  • गले में खराश होना।
  • सर्दी-जुकाम होना।
  • आंखें लाल होना और आंखों से पानी आना।
  • शरीर में दर्द होना।
  • लगातार सिरदर्द होना।
  • थका हुआ महसूस करना।
  • डायरिया
  • मतली और उल्टी होना।

ऐसे लक्षण संक्रमित होने के 2 से 3 दिनों के बाद नजर आते हैं।

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किन कारणों के वजह से होता है स्वाइन फ्लू ?

स्वाइन फ्लू के कुछ ही कारण हैं। उनमें शामिल हैं:

संक्रमित सुअर

  • किसी भी कारण संक्रमित सुअर के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। क्योंकि इस बीमारी की शुरुआत संक्रमित सुअर या पक्षियों के संपर्क में आने के कारण होता है।

संक्रमित व्यक्ति

  • यह सामान्य कारण होने के साथ-साथ गंभीर भी हो सकती है। क्योंकि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहने वाले लोग या परिवार के सदस्यों में इसका खतरा बढ़ जाता है।

इन कारणों के साथ-साथ कुछ और भी कारण हैं, जिस कारण H1N1 का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। जैसे:

  • 65 साल से अधिक उम्र होना। यह स्वाइन फ्लू के कारण हो सकते हैं।
  • स्वाइन फ्लू के कारण में शामिल हैं बच्चे की उम्र 5 साल से कम होना।
  • किसी गंभीर या पुरानी बीमारी स्वाइन फ्लू के कारण हो सकते हैं।
  • गर्भवती महिलाओं में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। यह गर्भवती महिलाओं में स्वाइन फ्लू के कारण हो सकते हैं।
  • किशोरों में लंबे समय तक एस्पिरिन थेरिपी लेना स्वाइन फ्लू के कारण बन सकते हैं।
  • कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वाइन फ्लू के कारण में शामिल है।
  • स्वाइन फ्लू होने की स्थिति में घबराएं नहीं, डॉक्टर से संपर्क करें। स्वाइन फ्लू का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है।
  • अन्य (मौसमी) फ्लू के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली कुछ ऐसी ही एंटीवायरल दवाएं भी हैं, जो H1N1 स्वाइन फ्लू के खिलाफ काम करती हैं।
  • ओसेल्टामिविर (टैमीफ्लू)जैसी दवाओं की मदद से इलाज की जाती है। लेकिन, फ्लू के गंभीर होने पर डॉक्टर बॉडी चेकअप के साथ इलाज कर सकते हैं।

यदि आप आमतौर पर स्वस्थ हैं और बुखार, खांसी और शरीर में दर्द जैसे फ्लू के लक्षण हैं, तो डॉक्टर से मिलना आवश्यक नहीं है। लेकिन, गर्भवती, पुरानी बीमारी, अस्थमा, डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम जैसी स्थिति होने पर डॉक्टर से जरूर मिलें। ध्यान रखें की अगर बुखार, खांसी और शरीर में दर्द ज्यादा दिनों से है तो ऐसी स्थिति में खुद से इलाज न करें और

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स्वाइन फ्लू के कारण समझने के बाद यह समझने की कोशिश करते हैं की आखिर इससे बचा कैसे जाए?

स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसलिए निम्नलिखित खनिज तत्त्व का सेवन करना चाहिए। जैसे-

स्वाइन फ्लू के कारण को समझने के बाद अपने दिनचर्या में पानी शामिल करें। रोजाना 2 से 3 लीटर पानी पीने की कोशिश करें। अगर आप कम पानी पीते हैं, तो धीरे-धीरे पानी की मात्रा बढ़ा सकते हैं। क्योंकि बीमारी या फ्लू के दौरान शरीर में पानी की कमी तेजी से होती है। आप चाहें तो ग्रीन टी, जिंजर टी, हर्बल टी या इलेक्ट्रॉल का सेवन किया जा सकता है। हालांकि अगर आप हर्बल टी का सेवन करते हैं, तो दो या तीन कप से ज्यादा का सेवन न करें। यह भी ध्यान रखें की टी या हर्बल टी शाम चार बजे के बाद न लें। देर शाम या रात के वक्त हर्बल टी के सेवन से स्लीप लॉस की समस्या हो सकती है। यह ध्यान रखें की नींद की कमी अन्य शारीरिक परेशानी पैदा कर सकता है।

सामान्य दिनों की तुलना में इस बीमारी से बचने के लिए हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन ज्यादा करें। हरी सब्जियों में विटामिन-सी और विटामिन-ई दोनों ही प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। पालक, फूल गोभी, पत्ता गोभी, तोरी, लौकी और भिंडी जैसी अन्य हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इससे भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इम्यून पावर स्ट्रॉन्ग होने से किसी भी बीमारी से लड़ना आसान हो जाता है।

स्वाइन फ्लू से बचने के लिए विटामिन-सी युक्त फल जैसे कीवी, लीची, अमरुद, चेरी, ब्लैक्बेरी, पपीता, संतरा और स्ट्रॉबेरी का सेवन करने से फायदा मिल सकता है। इनसे प्राप्त होने वाला विटामिन- और अन्य मिनरल्स स्वास्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। ध्यान रखें कि सर्दी-जुकाम होने की स्थिति में खट्टे फलों का सेवन न करें। अगर इन फलों में से किसी फल से आपको एलर्जी है, तो इसका सेवन न करें।

स्वाइन फ्लू के कारण या फ्लू होने की स्थिति में चेस्ट में परेशानी या साइनस की समस्या हो सकती है। इसलिए काली मिर्च और हल्दी का सेवन किया जा सकता है। लेकिन, ध्यान रहे मसालेदार खाने से परहेज करें।

स्वाइन फ्लू होने पर सबसे पहले स्वाइन फ्लू के कारण को समझें और डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देश का पालन करें।

अगर आप स्वाइन फ्लू के कारण या इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Clinical management of human infection with pandemic (H1N1) 2009: revised guidance/https://www.who.int/csr/resources/publications/swineflu/clinical_management_h1n1.pdf/ Accessed on 09/12/2019

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Swine flu (H1N1)/https://www.nhs.uk/conditions/swine-flu/ Accessed on 09/12/2019

Current Version

18/03/2021

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Nikhil deore


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/03/2021

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