लंग कैंसर (Lung cancer) के दौरान किसी भी व्यक्ति में उपरोक्त लक्षण दिख सकते हैं। हो सकता है कि व्यक्ति को अधिक दर्दनाक लक्षण दिखाई दें। व्यक्ति फेफड़ों के कैंसर के कारण अधिक गंभीर लक्षणों का अनुभव कर सकता है। इनमें सीने में तेज दर्द या हड्डी (Bone) में दर्द या खून का जमाव भी हो सकता है।
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लंग कैंसर का कैसे किया जाता है निदान (Diagnosis of Lung cancer)
लंग कैंसर के निदान के लिए लंग स्क्रीनिंग करना जरूरी होता है। यदि कोई डॉक्टर फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) की जांच के दौरान व्यक्ति के लक्षणों का भी पता लगा लेता है तो निदाना आसान हो जाता है।अगर व्यक्ति ऐसे लक्षणों का अनुभव कर रहा है जो फेफड़ों के कैंसर का संकेत दे सकते हैं, तो अगले स्टेप को कंफर्म करने के लिए अलग टेस्ट (Test) किए जाते हैं।
इनमें से उदाहरणों में शामिल हैं
लंग कैंसर के निदान के लिए इमेजिंग स्टडी
इमेजिंग स्टडी के दौरान कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed tomography) सीटी स्कैन और पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (Positron emission tomography)या पीईटी स्कैन (PET SCAN) से कैंसर के साथ फेफड़े के ऊतकों के क्षेत्रों का पता चल सकता है। हड्डी (Bone) के स्कैन से भी कैंसर (Cancer) के विकास का पता चल जाता है। डॉक्टर स्कैन का यूज ट्रीटमेंट की प्रोग्रेस के दौरान भी यूज कर सकते हैं। साथ ही कैंसर वापस न आएं, इसके लिए भी चेकअप किया जाता है।
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लंग कैंसर के निदान के लिए टिशू सैम्पलिंग
अगर डॉक्टर को इमेजिंग स्टडी के दौरान कोई घाव की जानकारी मिलती है तो संभावित कैंसर की कोशिकाओं के टेस्ट के लिए फेफड़ों के टिशू का नमूना लिया जाता है। टिशू का कितना भाग टेस्ट के लिए लिया जाएगा, ये घाव पर निर्भर करता है। डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी (Bronchoscopy) के दौरान स्पेशल लाइट, थिन कैमरे का यूज किया जाता है। ऐसा करने से डॉक्टर को घाव को देखने और नमूना प्राप्त करने में हेल्प मिलती है। फेफड़ों में घाव की सही से पहुंच न होने की स्थिति में इंसेसिव सर्जिकल प्रोसीजर का उपयोग किया जाता है।ऐसे में थोरैकोस्कोपी (Thoracoscopy) या वीडियो-असिस्टेड थोरैसिक सर्जरी(Video-assisted thoracic surgery) की जाती है।
लैब टेस्टिंग
एक डॉक्टर फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) की जांच के लिए थूक परीक्षण या रक्त परीक्षण भी कर सकता है। लैब टेस्टिंग के माध्यम से डॉक्टर लंग कैंसर के प्रकार का पता लगाता है और साथ ही एडवांस कैंसर के बारे में भी पता लगाता है।
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अर्ली डायग्नोसिस के क्या लाभ होते हैं? (Benefits of early diagnosis)
लंग कैंसर के लक्षणों (Symptoms of lung cancer) के बारे में अगर जानकारी मिल जाए तो इलाज के दौरान बहुत सुविधा होती है। सही समय पर लंग कैंसर का पता न चल पाने पर कैंसर सेल्स (Cancer cells) अन्य जगहों में भी जा सकती है। अगर लंग कैंसर शरीर में फैल गया तो मेटास्टेसिस की स्थिति भी पैदा हो सकती है। ऐसी स्थिति में इस बीमारी का इलाज करना कठिन हो जाता है। लो डोज सीटी स्कैनर के माध्यम से भी बीमारी का पता लगाने की कोशिश की जाती है। जरूरी नहीं है कि सभी व्यक्तियों का लो डोज सीटी स्कैनर किया जाए, लेकिन ये प्रक्रिया डॉक्टर को बीमारी का पता लगाने में हेल्प करती है।