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एक्यूट ब्रोंकाइटिस (Acute Bronchitis)
वायरस की वजह से फेफड़ों में मौजूद ब्रॉन्काई में संक्रमण होने को एक्यूट ब्रोंकाइटिस कहा जाता है, जिसमें काफी खांसी आती है।
सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis)
सारकॉइडोसिस में शरीर में छोटी-छोटी सूजन आने की वजह से सभी शारीरिक अंगों पर प्रभाव पड़ता है, जिसमें से सबसे ज्यादा फेफड़ों पर असर पड़ता है। इस फेफड़ों की बीमारी के लक्षण ज्यादा परेशान नहीं करते, जिस वजह से यह समस्या आमतौर पर, दूसरे कारणों की वजह से किए गए एक्सरे की मदद से पता लगती है।
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पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary Fibrosis)
यह फेफड़ों की बीमारी इंटरस्टिटियल लंग डिजीज का एक रूप है। जिसमें, इंटरस्टिटियम खराब होने लगती है और इस वजह से फेफड़े अकड़ जाते हैं और सांस लेने के लिए ढंग से फैल नहीं पाते हैं।
प्लूरल इफ्यूजन (Pleural Effusion)
फेफड़ों की इस बीमारी में फेफड़ों और छाती की अंदरुनी दीवार के बीच छोटी जगहों में फ्लूड जमने लगता है। जो कि ज्यादा होने पर सांस संबंधित समस्या पैदा कर सकती है।
ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (Obesity Hypoventilation Syndrome)
ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम में ज्यादा वजन बढ़ने के कारण सांस लेने के लिए छाती पूरी तरह नहीं फूल पाती। इसकी वजह से सांस संबंधी लंबी बीमारियां हो सकती हैं।
प्लूरिसी (Pleurisy)
फेफड़ों की इस समस्या में फेफड़ों की बाहरी रेखा में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेते हुए दर्द महसूस होता है। ऑटोइम्यून कंडिशन, संक्रमण और पल्मोनरी एंबोलिज्म की वजह से प्लूरिसी हो सकती है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis)
यह एक जेनेटिक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें ब्रॉन्काई में मौजूद म्यूकस आसानी से साफ नहीं होता। अत्यधिक म्यूकस रहने की वजह से जिंदगीभर ब्रोंकाइटिस और निमोनिया की शिकायत रहती है। यह डायजेस्टिव सिस्टम और शरीर के दूसरे अंगों को बुरी तरह डैमेज कर देती है।
ब्रोंकिइक्टेसिस (Bronchiectasis)
इस बीमारी में बार-बार संक्रमण आने की वजह से ब्रॉन्काई में सूजन और असामान्य फैलाव आ जाता है। जिसकी वजह से अत्यधिक बलगम के साथ खांसी आना इस फेफड़ों की बीमारी का मुख्य लक्षण हो जाते हैं।
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लिंफ-एंजिओलियो-माइओमेटोसिस (Lymphangioleiomyomatosis; LAM)
यह दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें पूरे फेफड़ों में सिस्ट बन जाता है। जिसकी वजह से एंफायसेमा की तरह ही सांस संबंधित परेशानी होती है।
फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer)
फेफड़ों के किसी भी हिस्से में कैंसरकृत ट्यूमर विकसित हो सकता है। जो कि एक गंभीर बीमारी है और यह जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए, इसके लक्षणों आदि के बारे में जानकारी जरूर रखें और जब भी इससे संबंधित कोई भी समस्या पता लगे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
इंटरस्टिटियल लंग डिजीज (Interstitial Lung Disease)
इस बीमारी में एयर सैक के बीच में मौजूद लाइनिंग यानि इंटरस्टिटियम प्रभावित होता। जिस वजह से इंटरस्टिटियम सूख जाता है और सांस की दिक्कत हो सकती है।
ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis)
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलॉसिस बैक्टीरिया की वजह से धीरे-धीरे पनप रहे इस इंफेक्शन को ट्यूबरकुलोसिस कहा जाता है। इस बीमारी में क्रोनिक खांसरी, बुखार, वजन घटना और सोते हुए पसीने आ सकते हैं।
एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (Acute Respiratory Distress Syndrome; ARSD)
गंभीर बीमारी की वजह से गंभीर और अचानक फेफड़ों को चोट पहुंचने को एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसी स्थिति में फेफड़ों के रिकवर हो जाने तक मैकेनिकल वेंटिलेशन के साथ लाइफ सपोर्ट दी जाती है।
हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस (Hypersensitivity Pneumonitis)
धूल या अन्य हानिकारक तत्वों को सांस के साथ अंदर लेने की वजह से फेफड़ों में एलर्जिक रिएक्शन होने लगता है। आमतौर पर, यह फेफड़ों की बीमारी किसानों या सूखे व धूल वाले पौधों के उत्पादों के साथ काम करने वाले लोगों में होती ही।
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हिस्टोप्लास्मोसिस (Histoplasmosis)
मिट्टी में मौजूद हिस्टोप्लास्मा कैपसुलेटम फंगस को सांस के द्वारा अंदर लेने पर होने वाले संक्रमण को हिस्टोप्लास्मोसिस कहा जाता है। यह एक माइल्ड समस्या है, जिसमें खांसी और फ्लू के लक्षण दिखते हैं।
पल्मोनरी एंबोलिज्म (Pulmonary Embolism)
इस बीमारी में पैर की नसों में बनने वाला ब्लड क्लॉट जब दिल तक जा पहुंचता है और यहां से दिल उसे फेफड़ों की तरफ पंप कर देता है। जिस वजह से अचानक सांस फूलने की समस्या हो जाती है।