सारकॉइडोसिस क्या है?
सारकॉइडोसिस बीमारी शरीर के विभिन्न हिस्सों में इंफ्लेमेट्री सेल्स के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने की वजह से होती है। लंग्स, ब्लड के लिम्फ नोड, आंखें और त्वचा पर सूजन इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
सारकॉइडोसिस बीमारी शरीर के विभिन्न हिस्सों में इंफ्लेमेट्री सेल्स के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने की वजह से होती है। लंग्स, ब्लड के लिम्फ नोड, आंखें और त्वचा पर सूजन इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।
सारकॉइट ग्रेन्युलोमास को ग्रनुलोमाटोस डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। ग्रेन्युलोमास को ट्यूमर का शुरुआती स्टेज भी माना जाता है। माइक्रोस्कोप की मदद से ऐसे ट्यूमर को देखा जा सकता है।
सारकॉइडोसिस प्रायः महिलाओं में होता है। सारकॉइडोसिस की समस्या 15 से 65 साल की महिलाओं में ज्यादा होता है। कारण समझकर इस समस्या को कम किया जा सकता है। लक्षणों में बदलाव हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
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सारकॉइडोसिस शरीर में कितना फैला हुआ है यह लक्षणों से समझा जा सकता है। सारकॉइडोसिस धीरे-धीरे बढ़ता है और इसके लक्षणों को गौर न करने पर अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार ऐसे भी कई पेशेंट होते हैं जिनमे लक्षण नजर नहीं आते हैं।
अन्य लक्षणों में साफ दिखाई न देना ऐसा बीमारी के गंभीर रूप लेने पर होता है, ब्लड में कैल्शियम लेवल का बढ़ना, लंग्स-लिवर में परेशानी शुरू हो सकती है।
इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको किसी लक्षण के बारे में कोई चिंता है, तो कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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सारकॉइडोसिस गंभीर बीमारी नहीं है लेकिन, यह लंबे वक्त तक रह सकता है। सरकोइडोसिस के दो या अधिक लक्षण और भी हैं। इनमें शामिल है बुखार, कंपकंपी, धुंधली दृष्टि, छाती में दर्द या धड़कन का बढ़ना शामिल है। हर किसी का शरीर अलग तरह से कार्य करता है। बेहतर होगा आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
बीमारी के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। सारकॉइडोसिस होने पर ट्यूमर बनने लगता है। दरअसल, सूजन की वजह से ट्यूमर बनता है।
निम्नलिखित कारणों से सारकॉइडोसिस का खतरा बढ़ सकता है:
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दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
सारकॉइडोसिस का निदान कैसे किया जाता है?
सारकॉइडोसिस का निदान करना मुश्किल है क्योंकि कभी-कभी लक्षणों को समझना आसान नहीं होता है। डॉक्टर चेस्ट की रेडिओग्राफी के साथ हेल्थ चेकप भी करते हैं। इन दोनों जांच के अलावा डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट, ब्रीदिंग टेस्ट, टोमोग्राफी (सीटी), बायोप्सी, टीबी और ईसीजी जांच करवा सकते हैं। अगर जांच के दौरान लंग ग्रेन्युलोमा की समस्या नजर आती है तो डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी कर सकते हैं। डॉक्टर सर्जिकल फेफड़े की बायोप्सी कर सकते हैं।
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अगर आप बीमारी के शुरुआती चरणों ध्यान देंगे तो बीमारी से बचा जा सकता है। हालांकि, समस्या सालों पुरानी है तो इलाज में वक्त लग सकता है। ग्रेन्युलोमा और ज्यादा न बढ़ें इसलिए सबसे कम खुराक में कम से कम 6 से 12 महीने तक प्रेडनिसोन कॉर्टिसोलस्टेरॉइड इम्यूनोस्प्रेसिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे ड्रग्स आमतौर पर दिए जाते हैं।
सारकॉइडोसिस के दुबारा होने की संभावना होती है। इसलिए डॉक्टर इलाज से पहले लक्षणों को समझ सकते हैं। इस दौरान एक्स-रे और सांस से जुड़े टेस्ट कर सकते हैं। यदि आपकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है, तो एंटीबायोटिक्स प्रभावी नहीं होते हैं। इसलिए डॉक्टर मेथोट्रेक्सेट, इम्युनोसुप्रेसेंट एजैथोप्रिन या हाइड्रोक्सीक्लोरोलाइन एंटीवायरल जैसी ज्यादा प्रभावी वाली दवाएं दे सकते हैं। इलाज मनमाने ढंग से नहीं किया जाना चाहिए और इसे डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए।
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निम्नलिखित टिप्स अपना कर सारकॉइडोसिस से बचा जा सकता है:
इस आर्टिकल में हमने आपको सारकॉइडोसिस से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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