सूखी खांसी में खांसने के दौरान बलगम नहीं आता है। इसके कारण गले में सूजन या जलन की समस्या हो सकती है। सूखी खांसी में खांसने का समय गीली खांसी से अधिक होता है। सूखी खांसी आमतौर पर सर्दी या फ्लू के कारण सांस के बाहरी मार्ग में संक्रमण होने के कारण होती है।
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3. काली खांसी या कंपकंपी वाली खांसी (Whooping/Paroxysmal/pertussis Cough)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2010 से 2014 के बीच अमेरिका में कंपकंपी वाली खांसी के कारण लगभग 40,000 मौतें हुई थी। कंपकंपी वाली खांसी बच्चों के लिए अधिक घातक हो सकती है। क्योंकि, यह खांसी बड़ी होती है और इसके बाद एक लंबी सांस आती है। इसके खांसने को रोकना बहुत मुश्किल होता है। यह शरीर को थकावट और दर्द देने वाली खांसी का प्रकार होती है। इसमें खांसने के दौरान भी उल्टी हो सकती है।
इसे हूपिंग खांसी के रूप में भी जाना जाता है। आमतौर पर यह जीवाणु संक्रमण के कारण होती है। इसमें खांसने के दौरान फेफड़ों में उनके पास मौजूद सभी ऑक्सीजन शरीर से बाहर निकलते है, इसके कारण “हूप’ की आवाज के साथ एक लंबी सांस आती है।
4. भौंकने वाली खांसी या क्रुप खांसी (Barky/Croup cough)
भौंकने वाली खांसी या क्रुप खांसी वायुमार्ग में वायरस होने के कारण होता है। आमतौर पर यह 5 साल या उससे छोटी उम्र के बच्चे को प्रभावित करती है। वायुमार्ग में सूजन के कारण सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसके आलाव वॉयस बॉक्स में और उसके आस-पास सूजन होने के कारण आवाज भी खराश वाली हो जाती है, जिसकी वजह से इसे भौंकने वाली खांसी भी कही जाती है।
5. पोस्ट-वायरल खांसी (Post Viral Cough)
खांसी के प्रकार में वायरल खांसी, गले की सूजन के कारण ऊपरी श्वसन पथ में संक्रमण होने के कारण होने वाली सबसे आम समस्या होती है। आमतौर पर इसके इस खांसी के प्रकार के उपचार के लिए डॉक्टर ज्यादातर रोगियों के लिए एंटीबायोटिक्स के सेवन की सलाह नहीं देते हैं। क्योंकि पोस्ट-वायरल खांसी बैक्टीरिया के कारण नहीं होती है। ध्यान रखें कि खांसी के दौरान एंटीबायोटिक्स का सेवन तभी करना चाहिए, जब खासी के प्रकार का कारण बैक्टीरिया हो। इसलिए, संक्रमण से होने वाली खांसी के उपचार के लिए चिकित्सक बेचैनी से राहत पाने के लिए डेक्सट्रोमेथोर्फन या मेन्थॉल युक्त कफ सिरप की सिफारिश कर सकते हैं। यह आम तौर पर आपको किसी भी मेडिकल स्टोर पर मिल सकती है।
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