ब्लड टेस्ट या रक्त परीक्षण
ब्लड टेस्ट या रक्त परीक्षण से शरीर में अन्य प्रकार की समस्याओं का भी पता चल जाता है। ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया), हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया या डायबिटीज), कम रेड ब्लड सेल्स की गिनती (एनीमिया) के बारे में जानकारी मिल जाती है। लो ब्लड प्रेशर के दौरान इनकी गिनती भी प्रभावित हो सकती है।
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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)-ईसीजी की हेल्प से दर्द छाती, हाथ और पैर की त्वचा से नॉनवेजिव टेस्ट (noninvasive test) किया जाता है। ईसीजी के दौरान शरीर में दर्द नहीं होता है।ईसीजी में सॉफ्ट, स्टिकी पैच (इलेक्ट्रोड) जुड़े होते हैं। पैच दिल के इलेक्ट्रिक सिग्नल का पता लगाते हैं। साथ ही एक मशीन भी होती है, जिसमे ग्राफ पेपर पर रिकॉर्ड होता रहता है। सभी प्रोसेस को स्क्रीन में देखा जा सकता है।
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
बीपी की समस्या होने पर इकोकार्डियोग्राम किया जाता है। इसमे अल्ट्रासाउंड के माध्यम से दिल की संरचना और हार्ट के फंक्शन को देखा जाता है। अल्ट्रासाउंड तरंगों को ट्रांसड्यूसर नामक उपकरण से रिकॉर्ड किया जाता है। कंप्यूटर वीडियो मॉनीटर से मूविंग इमेज रिकॉर्ड की जाती है।
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स्ट्रेस टेस्ट
हार्ट प्रॉब्लम की वजह से भी लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। ऐसे में स्ट्रेस टेस्ट लिया जाता है। पेशेंट को ट्रेडमील में चलने के लिए बोला जाता है। साथ ही कुछ एक्सरसाइज भी करने को बोली जाती है। अगर किसी भी प्रकार की समस्या हो रही होती है तो डॉक्टर मेडिसिन देता है। जब हार्ट के लिए काम करना कठिन हो जाता है तो इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राफी की हेल्प से हार्ट को मॉनिटर किया जाता है।
तेजी से सांस छोड़ना
तेजी से सांस छोड़ने के साथ ही गहरी सांस लेने से लो बीपी की समस्या से राहत मिलती है। गहरी सांस लेकर होठों से हल्की हवा निकालने पर बहुत राहत महसूस होती है। डीप ब्रीथिंग लो बीपी में कारगर उपाय साबित हो सकता है।
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