आयरन डेफिसिएंसी एनीमिया का एक मात्र इलाज है, आयरन युक्त डायट (Diet) को अपने भोजन में शामिल करना। साथ ही डॉक्टर के परामर्श पर आयरन सप्लीमेंट्स (Iron supplements) का सेवन करने से आयरन डेफिसिएंसी एनीमिया (Iron Deficiency Anemia) की समस्या दूर होती है।
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थैलिसीमिया (Thalassaemia)
थैलिसीमिया एक प्रकार का आनुवांशिक डिसऑर्डर है। जिसमें खून में होमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य से कम रहती है। ऐसे में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) रेड ब्लड सेल्स (RBC) के साथ पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन कोशिकाओं तक नहीं ले जा पाता है। जिस कारण से थकान और चक्कर आते हैं। थैलिसीमिया का कोई सटीक इलाज नहीं है, क्योंकि ये एक आनुवांशिक बीमारी है, लेकिन अगर थैलिसीमिया बहुत निम्न है, तो वह दवा से ठीक हो सकता है। वहीं अगर थैलिसीमिया मेजर है तो ब्लड ट्रांसफ्यूजन और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem cell transplant) से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
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पर्निसियस एनीमिया (Pernicious Anemia)
पर्निसियस एनीमिया विटामिन बी12 (Vitamin B12) की कमी के कारण होने वाला एनीमिया के प्रकार (Types of Anemia) में से एक है। पर्निसियस एनीमिया शरीर द्वारा विटामिन बी12 अवशोषित नहीं हो पाता है। विटामिन बी12 (Vitamin B12) हेल्दी रेड ब्लड सेल्स बनाने के लिए जिम्मेदार होता है।
एनीमिया के प्रकार पर्निसियस एनीमिया को घातक कहा जाता है। इसका कारण यह है कि पारनिसियस एनीमिया का समय पर इलाज न कराने से वह जानलेवा बीमारी में बदल सकता है। लेकिन अब पारनिसियस एनीमिया का इलाज बी12 इंजेक्शन या उसके सप्लिमेंट्स से आसानी से किया जा सकता है।
पर्निसियस एनीमिया निम्न कारणों से होती है :
पर्निसियस एनीमिया के इलाज के लिए विटामिन बी12 लेने की सलाह द जाता है।
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सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia)

सिकल सेल एनीमिया एक वंशानुगत (हेरिडिटरी) एनीमिया है। यह वह स्थिति होती है, जिसमें शरीर के अन्य भागों में ऑक्सिजन ले जाने के लिए पर्याप्त हेल्दी रेड ब्लड सेल्स नहीं होती हैं। सामान्यतः रेड ब्लड सेल्स का आकार गोल होता हैं और खून की नसों के माध्यम से आसानी से आगे बढ़ सकती हैं, जिससे शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सिजन ले जाने में मदद मिलती है।
सिकल सेल एनीमिया होने पर ये कोशिकाएं सिकल (हसिएं) के शेप में बदल जाती हैं और कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं। सिकल सेल्क को पतली ब्लड वेसल्स में जाने में परेशानी हो सकती है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में खून का संचार और ऑक्सिजन का जाना धीमा हो सकता है या रुक सकता है। इस स्थिति में पर्याप्त मात्रा में ब्लड न मिलने पर टिश्यू डैमेज होने के साथ ही अंगों को नुकसान पहुंचता है।
सिकल सेल एनीमिया जीन में परिवर्तन (Mutation) के कारण होता है, जो हीमोग्लोबिन बनाता है। सिकल सेल एनीमिया में अबनॉर्मल हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स को कठोर, चिपचिपा और विकृत बना देता है। सिकल सेल के जीन पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं, यानी कि अगर पेरेंट्स में हैं तो उनके बच्चे में भी होंगे।
- सिकल सेल का सटीक इलाज नहीं है। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर ही इसका इलाज कर सकते हैं।
- अगर मरीज को बहुत अधिक दर्द हैं और दवाइयां बेअसर हो रही हैं, तो ऐसे में डॉक्टर स्ट्रॉन्ग पेनकिलर सीधे मांसपेशियों और जोड़ों में इंजेक्ट करते हैं। हाइड्रॉक्स्यूरिया एरिथ्रोसाइट पल्प अक्सर होने वाले दर्द को रोकने के लिए दिया जाता है।
- मरीज को लगातार अतिरिक्त पानी और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। साथ ही नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूजन की भी जरूरत होती है। इसमें सिकल ब्लड को हेल्दी ब्लड से रिप्लेस किया जाता है।
- डॉक्टर मरीज की मैरो ट्रांसप्लांट (मज्जा प्रत्यारोपण) सर्जरी कर सकते हैं।
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मेगैलोब्लास्टिक एनीमिया (Megaloblastic Anemia)
एनीमिया के प्रकार में से एक मेगैलोब्लास्टिक एनीमिया है। मेगैलोब्लास्टिक एनीमिया में बोन मैरो असामान्य से रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करने लगता है। रेड ब्लड सेल्स का आकार या तो सामान्य से बड़ा होता है या सामान्य से छोटा होता है। लेकिन ये अबनॉर्मल ब्लड सेल्स ऑक्सीजन को कैरी नहीं कर पाती हैं, क्योंकि ये सेल्स स्वस्थ्य और मेच्योर नहीं होती हैं।
मेगैलोब्लास्टिक एनीमिया होने का प्रमुख कारण विटामिन बी12 या विटामिन बी9 की कमी होना है। हमारे शरीर को इन दोनों विटामिन की बहुत अधिक जरूरत होती है। कुछ लोगों में मेगैलोब्लास्टिक एनीमिया के लक्षण कई सालों तक नजर ही नहीं आते हैं। मेगैलोब्लास्टिक एनीमिया को इलाज के लिए डॉक्टर विटामिन बी12 और विटामिन बी9 के सप्लीमेंट्स देते हैं, साथ ही डायट में भी विटामिन की मात्रा को जोड़ने के लिए कहते हैं।
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एप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia)
एप्लास्टिक एनीमिया में बोन मैरो डैमेज हो जाती है और रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स बनाना बंद कर देती है। जिससे एप्लास्टिक एनीमिया हो जाता है। एप्लास्टिक एनीमिया आनुवांशिक है। जो पेरेंट्स से बच्चों में जाता है। एप्लास्टिक एनीमिया होने का जोखिम रेडिएशन या कीमोथेरिपी कराने वाले लोगों में ज्यादा होता है। इसके अलावा किसी बीमारी के कारण बोन मैरो डैमेज होने के कारण भी एप्लास्टिक एनीमिया हो सकता है।
एप्लास्टिक एनीमिया का इलाज लक्षणों और कारणों के आधार पर किया जाता है, जिसके लिए जरूरत पड़ने पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood transfusion), दवाएं या मैरो स्टेम सेल ट्रांसप्लांट करना पड़ता है।
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विटामिन डेफिसिएंसी एनीमिया (Vitamin Deficiency Anemia)
इस एनीमिया के प्रकार में रेड ब्लड सेल्स के निर्माण के लिए आयरन के साथ-साथ विटामिन बी12, विटामिन सी और फोलेट की जरूरत पड़ती है। जिसकी कमी होने से रेड ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं हो पाता है, जिसे विटामिन डेफिसिएंसी एनीमिया कहते हैं। विटामिन डेफिसिएंसी एनीमिया तब होती है, जब हम अपने आहार में विटामिन बी12, विटामिन सी और फोलेट नहीं लेते हैं। कभी-कभी हमारा शरीर विटामिन बी12, विटामिन सी और फोलेट को अवशोषित करना बंद कर देता है तो भी विटामिन डेफिसिएंसी एनीमिया की स्थिति पैदा हो जाती है।
विटामिन डेफिसिएंसी एनीमिया का इलाज डॉक्टर कारणों और लक्षणों के आधार पर करते हैं। विटामिन बी12 (Vitamin B12), विटामिन सी (Vitamin C) और फोलेट (Folat) के सप्लिमेंट्स दे कर डॉक्टर विटामिन डेफिसिएंसी एनीमिया (Vitamin deficiency anemia) का इलाज करते हैं।