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शुगर (Sugar)

शुगर का नाम लेते ही सबसे पहले मन में मिठास का एहसास होता है। लेकिन, अगर आपको ऑटोइम्यून डिजीजेस हैं तो वहीं मिठास आपकी जिंदगी में तकलीफ ला सकता है। फ्रंटियर ऑफ इम्यूनोलॉजी की एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि अगर आप शुगर की अनियमित मात्रा लेते हैं तो बचपन में ही डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाएगा। साथ ही, शरीर पर शुगर का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
वहीं, अमेरिकन जॉर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन के अनुसार ग्लूकोज और सुक्रोज इम्यून सिस्टम को खराब कर देता है। जिससे व्हाइट ब्लड सेल्स को ही इम्यून सिस्टम नष्ट करने लगता है। इसलिए अपने डायट में शुगर की मात्रा को कम करें या बंद करें। उसकी जगह पर आप नेचुरल शुगर ले सकते हैं।
एनिमल प्रोडक्ट्स

जंतुओं में प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा पाई जाती है। जिसमें दूध, अंडे और मांस शामिल हैं। इन्हें ऑटोइम्यून डिजीजेस खाने से शरीर में सूजन और जलन बढ़ती जाती है।
कॉम्प्लिमेंट्री थेरिपीज इन मेडिसिन जॉर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में ये बात प्रकाश में आई कि जो लोग तीन हफ्ते से वेगन डायट पर निर्भर रहते हैं, उनके शरीर में दर्द और सूजन कम पाई गई। क्योंकि उनमें सी-रिएक्टिव प्रोटीन कम पाए गए थे।
अमेरिकन डायटिक एसोसिएशन ने एक रिसर्ज में पाया कि जो लोग वेगन डायट लेते हैं, उन्हें ऑटोइम्यून डिजीजेस में काफी राहत मिलती है। वहीं, जो लोग नॉनवेज खाते हैं, उनके दर्द में इजाफा पाया गया।
ज्यादा मात्रा में एनिमल फैट्स लेने पर हमारे धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जम जाता है। जिससे उनमें खून का संचार बहुत कम हो जाता है। अन्य कई रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग हर मील में मांस खाते हैं, उनमें आर्थराइटिस की समस्या बहुत ज्यादा होती है। इसलिए अगर आप मांसाहारी हैं तो एक नियमित मात्रा में ही नॉनवेज का सेवन करें।
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ग्लूटेन

ग्लूटेन ज्यादातर स्टार्च युक्त भोजन में पाया जाता है। ग्लूटेन गेंहू, जौ, बाजरे आदि में पाया जाता है। ग्लूटेन सेलिएक डिजीज को बढ़ावा देने में अव्वल होता है। इसलिए ऑटोइम्यून डिजीजेस में ग्लूटेन का सेवन करने से आपको समस्या होगी।
क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी की एक रिसर्च में पाया गया है कि शरीर में ग्लूटेन की ज्यादा मात्रा होने से स्क्लेरोसिस, अस्थमा और रयूमेटॉइड आर्थराइटिस होता है।जिसका सेवन न करने से आपको अपने अंदर होने वाले बदलाव नजर आने लगेंगे। साथ ही ऑटोइम्यून डिजीजेस के लक्षणों में भी कमी आएगी।
ऑटोइम्यून डिजीजेस में क्या खाएं?
ऑटोइम्यून डिजीजेस में अभी तक बात हुई कि क्या न खाएं। आइए अब बात करते हैं कि क्या खाएं, जिससे ऑटोइम्यून डिजीजेस से आपको राहत मिले।
मशरूम

कहने को मशरूम एक फफूंद है, लेकिन बहुत ही काम की चीज है। मेडिएटर्स ऑफ इंफ्लामेशन के मुताबिक मशरूम का सेवन करने से जहां एक तरफ ऑटोइम्यून डिजीजेस से राहत मिलती है, वहीं दूसरी तरफ कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाव होता है। क्योंकि मशरूम में एंटीकैंसर गुण होते हैं।
हरे पत्ते

पालक, ब्रॉकली, पत्तागोभी, सरसों का साग, सलाद पत्ता आदि का सेवन करें। हरी पत्तियों का सेवन करने से ऑटोइम्यून डिजीजेस में आराम मिलता है। हरी पत्तियों में विटामिन और मिनरल पाया जाता है। आप सलाद, स्मूदी, फ्राई आदि में इन हरी पत्तियों को डाल कर खा सकते हैं।
प्याज

प्याज एक स्वाद बढ़ाने वाली सब्जी है। जिसके बहुत सारे लाभ होते हैं। प्याज में क्यूरसेटिन नामक एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है। जो ऑस्टियोआर्थराइटिस और रयूमेटॉइड आर्थराइटिस के लिए लाभदायक होता है।
स्क्वैश
स्क्वैश फैमिली की सब्जियां खाने से आप में ऑटोइम्यून डिजीजेस के लक्षण कम हो जाएंगे। स्क्वैश में बीटा कैरोटिन और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स पाए जाते हैं। जिससे आपको गठिया रोगों में आराम मिलता है।
सब्जियों की जड़ें

सब्जियों की जड़ें, जैसे- चुकंदर, शलजम, गाजर, मूली आदि खाने से ऑटोइम्यून डिजीजेस में राहत मिलती है। क्योंकि, इनमें विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्निशीयम, जिंक, आयरन आदि तत्व पाए जाते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।