जिन बच्चों में यह परेशानी होती है। उन्हें अपने आस-पास के लोगों से बात करने और उनसे इंटरेक्ट करने में परेशानी होती है। ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर वाले बच्चों में यह लक्षण दिख सकते हैंः
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अटेंन्शन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD)
एडीएचटी के तीन मुख्य भाग हैं: असावधानी (inattention), हाइपरएक्टिविटी (hyperactivity) और धैर्य की कमी (impulsivity)।
एक बच्चे में एडीएचडी के इन लक्षण में से एक या सभी हो सकते हैं और उनका व्यवहार इस तरह से हो सकता है
- बहुत अधिक बेचैनी और गुस्सा
- किसी और के कुछ बौलने से धैर्य खोना
- अपनी बारी का इंतजार करने में असमर्थ होना
- अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में परेशानी (जिसके कारण नखरे और मूड स्विंग्स होना)
इसके अलवा इस परेशानी के लक्षण टीचर को स्कूल में दिखते हैं। जब टीचर बच्चे को टास्क करने को देते हैं और वह असावधानी के कारण इसको नहीं करता। बच्चों में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) उनका ध्यान भटकाने के लिए काफी होती हैं। वह अपना काम करने के समय पर कुछ और ही करते हैं। कभी-कभी शिक्षक इन व्यवहारों को नोटिस करते हैं और उन्हें माता-पिता को बताते हैं। अगर आपको बच्चों में एडीएचडी होने का संकेत दिखता है या आपको अपने बच्चे के साथ बात करने में परेशानी हो रही है, तो चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ या अपने परिवार के डॉक्टर से तुरंत बात करें।
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एंग्जायटी
बच्चों में चिंता किसी भी तरह का फोबिया या अधिक डर कहलाता है। बच्चों में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) होने की वजह से उन्हें कभी-कभी चीजों से डर या फोबिया हो जाता है। यह डर किसी भी चीज का हो सकता है। वह चाहें तेज आवाज, जानवरों का डर, पानी से लेकर कुछ खास जगहों जैसे स्कूल और अस्पताल जाने का डर हो सकता है। बच्चों में मानसिक बीमारियां होने के कारण बच्चा अपने फोबिया का रिस्पॉन्स अलग-अलग तरह से देता है। जैसे रोना, नखरे दिखाता है, दूर भागना या चीजों को अवॉयड करना। इसके अलावा बच्चों में कभी-कभी साइकोमैटिक लक्षण भी दिखते है जैसे पेट दर्द या सिरदर्द।
हालांकि बच्चो में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) ठीक करने का सबसे बड़ा रास्ता है उनसे बात करना। डॉक्टर भी सुझाव देते हैं कि आप अपने बच्चे की एंग्जायटी को कैसे कम कर सकते हैं। हालांकि, अगर बच्चों की मानसिक बीमारियां आपके कंट्रोल से बाहर होने लगती हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से बात करना बच्चे के तनाव को कम कर सकता है।
डिप्रेशन (Depression)
डिप्रेशन बच्चे द्वारा अनुभव की जाने वाली कभी-कभी उदासी की भावना से अधिक है लेकिन अगर ऐसा लगातार (दो सप्ताह से अधिक) होता है और बच्चे की रोजमर्रा की जिंदगी और कामकाज को प्रभावित करता है।
आपका बच्चा सभी या इनमें से कुछ लक्षणों को महसूस कर सकता हैः
अवसाद के पीछे की चिंता जानबूझकर खुदकुशी और आत्मघाती विचारधारा है, जो बहुत जरूरी है, जिस पर माता-पिता को ध्यान देने की जरूरत है।
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बच्चों में मानसिक बीमारियां होने पर पेरेंट्स खुद को करें तैयार
बच्चों में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) या मेंटल प्रॉब्लम होने पर उनकी सबसे ज्यादा मदद माता-पिता कर सकते हैं। घर में बात करने से लेकर डॉक्टर को दिखाने तक माता-पिता एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। बच्चों में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) माता-पिता के लिए आसान नहीं हैं लेकिन कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखकर माता-पिता बच्चों की मदद कर सकते हैं।
बच्चों का ध्यान रखने के लिए माता-पिता के लिए जरूरी टिप्सः
शिक्षित हों
बच्चों में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) क्यों होती है और कैसे होती है इसके संकेतों को जानना जरूरी है। अगर आप बच्चों में मानसिक बीमारियां होने के लक्षण देखते हैं, तो जितना जरूरी हो मदद लें। जब आपको किसी तरह का शक हो, तो खुद ऑनलाइन सर्च करें, सवाल पूछें, विशेषज्ञों से पूछें और वह सब कुछ पता करें, जो आपको जानना चाहिए।
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सशक्तिकरण
बच्चों में मानसिक बीमारियां या दिमागी बीमारी होना कोई बड़ी समस्या नहीं है। एक बार जब आप अपने बच्चे की देखभाल करने में आत्मविश्वास महसूस करते हैं, तो यह आपको सशक्त बनाने के अगले कदम ले जाता है। अपने बच्चे के डॉक्टर से बात करें और अपने परिवार के सदस्यों के साथ काम करें। आपको यह महसूस करने की जरूरत हैं कि आप अकेले नहीं हैं।
बच्चों में मानसिक बीमारियां करनी है दूर तो मोटिवेशन लें
उन लोगों से प्रोत्साहन लें जो आपकी जैसी स्थिति से गुजरे हैं। इसके अलावा ऐसे पेरेंट्स से मिलें जिनके बच्चों में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) रहीं है या वह आपके जैसे मुद्दों का सामना कर रहे हैं। बच्चों में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) होना या दिमागी बीमारी एक आम समस्या है, जिसपर आपको अपने परिवार और अपने डॉक्टर से खुल कर बात करनी चाहिए।
बच्चों में मानसिक बीमारियां होना किसी एक कारण या बहुत से अलग-अलग कारणों की वजह से हो सकता है। लेकिन, उसको हैंडल करने के लिए माता-पिता का प्रो-एक्टिव होना जरूरी है। बच्चों में मानसिक बीमारियां (Mental illnesses in children) होने पर माता-पिता को तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और बच्चो को डॉक्टर द्वारा बताए गए तरीकों से हैंडल करना चाहिए।