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आंतों की समस्याएं जो आपको पता होनी चाहिए

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/04/2021

    आंतों की समस्याएं जो आपको पता होनी चाहिए

    जब कभी पेट दर्द, उल्टी, थकावट और दस्त का समस्या हमे होती है तो हम उसे पाचन की समस्या से जोड़ के देखते हैं। खाने के दौरान शरीर के कुछ अंग सक्रिय हो जाते हैं और खाने को पचाने में जुट जाते हैं। कई बार खाना आंतों में सही तरह से ऑब्जर्व नहीं हो पाता है और हमें आंतों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको आंतों में पाई जाने वाली मुख्य समस्याओं के बारे में बताएंगे।

    जानिए आंतों की समस्याएं क्या क्या होती हैं

    1. कब्ज और डायरिया

    खाने में फाइबर की कमी के कारण पाचन में समस्या उत्पन्न होती है। जब फल या सब्जियां कम मात्रा में खाई जाती हैं या खाने में फाइबर कम मात्रा में होता तो टाइट मोशन होता है। कब्ज के विपरीत डायरिया में लूज मोशन की समस्या हो जाती है।

    जानिए किस तरह कर सकते हैं कब्ज का इलाज

    पानी

    पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मल का सूखापन कम होता है और कब्ज की समस्या में राहत मिलती है। इसलिए डिलिवरी के बाद बॉडी में पानी की कमी न होने दें। कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए। फाइबर युक्त भोजन का सेवन पाचन की क्रिया को आसान बनाता है। कब्ज की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को स्टूल पास करने में समस्या होती है। कब्ज की समस्या होने पर व्यक्ति को खानपान के साथ ही लाइफस्टाइल पर भी ध्यान देना चाहिए। फाइबर युक्त फूड खाने से पेट भर जाने का एहसास जल्दी होता है और बार-बार भूख लगने का एहसास भी नहीं होता है। अगर कब्ज की समस्या अधिक दिनों तक रहे तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ दवाओं और लाइफस्टाइल में बदलाव से कब्ज की समस्या से राहत पाई जा सकती है।

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    मालिश

    मालिश कब्ज दूर करने का एक आसान तरीका है। बड़ी आंत के विभिन्न हिस्सों की मालिश करने से इसकी दीवारों को मजबूत करने और मल (स्टूल) को ढीला करने में मदद मिलती है। कब्ज में राहत दिलाने के लिए इस उपाय को अपनाया जा सकता है।

    अदरक की चाय भूख और पाचन को बढ़ावा देने में मदद करती है। अदरक की चाय भी डिलिवरी के बाद होने वाले कॉन्स्टिपेशन से राहत दिला सकती है। हालांकि, अगर आप डायबिटीज की रोगी हैं तो इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। क्योंकि यह मधुमेह की दवा के अब्सॉर्प्शन को प्रभावित कर सकती है।

    2. आंतों की समस्या – बवासीर (HAEMORRHOIDS)

    आंतों की समस्या होने पर बवासीर भी हो सकती है। बवासीर में गुदा व मलाशय में मौजूद आसपास की नसों में सूजन आ जाती है। यह सूजन मलाशय के अंदर या गुदा के आसपास दिखाई दे सकती है। स्टूल पास करने के दौरान समस्या होती है। कई बार मल के साथ खून भी आता है। दर्द या दर्द रहित पाइल्स की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। कुछ बवासीर अपने आप ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ प्रकार के बवासीर को उपचार की आवश्यकता हो सकती है। इस समस्या के निपटने के लिए खानपान के साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है।

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    ऐसे करें इलाज

    डायट पर दें ध्यान

    डायट पर ध्यान न देने से कब्ज की समस्या हो जाती है। जिन लोगों को अधिक दिनों तक कब्ज की समस्या रहती है, उन्हें पाइल्स की समस्या भी हो सकती है। पाइल्स की समस्या हो जाने पर खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति को पाइल्स की समस्या है तो उसे अपनी डायट में डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल नहीं करना चाहिए। साथ ही खाने में फाइबर से युक्त अधिक फूड का सेवन करना चाहिए। पाइल्स की समस्या के दौरान ऐसे किसी भी फूड का सेवन नहीं करना चाहिए जो आसानी से न पचता हो। वहीं मसालेदार खाना पाइल्स की समस्या को अधिक बढ़ा सकता है।

    गर्म पानी से करें सिकाई

    डॉक्टर बवासीर के मरीजों को 15 मिनट के लिए गर्म पानी में बैठकर सिकाई करने की सलाह देते हैं। ऐसा दिन में कई बार कर सकते हैं। आप चाहें तो, हर बार मल त्यागने के बाद यह सिकाई कर सकते हैं। इसके लिए आप किसी बड़े टब में हल्का गर्म पानी भरें और उसी में 15 मिनट के लिए बैंठ जाएं। ऐसा करने से बवासीर से होने वाले दर्द में राहत मिलती है।

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    नारियल तेल

    नारियल का तेल एक प्राकृतिक मॉश्चराइजर का काम करता है। नारियल का तेल लगाने से जलन और सूजन से राहत पाई जा सकती है। परेशानी कम  बवासीर का इलाज नारियल तेल से भी किया जा सकता है।

    ऐलोवेरा

    ऐलोवेरा हर घर में बहुत आसानी से पाया जाता है। बायोमेड रिसर्च इंटरनेशनल के शोध के अनुसार, ऐलोवेरा बवासीर के घावों को बहुत जल्दी भर सकता है। इसको गूदे को लगाने से बवासीर होने के कारण होने वाली जलन, खुजली और सूजन से राहत मिल सकती है। इसलिए बवासीर का इलाज के लिए ऐलोवेरा का प्रयोग किया जा सकता है।

    3. इंटेस्टाइनल प्रॉब्लम : हार्ट बर्न और एसिड रिफ्लेक्स

    हम जो भी खाना खाते हैं वो भोजन नली से होते हुए स्टमक में जाता है।अगर खाना पहुंचने की दिशा में बदलाव (Reflux) आता है तो स्टमक का एसिड गलें (Throat) में पहुंच जाता है। इस प्रकिया के दौरान आपको छाती में जलन होती है जिसे हार्टबर्न कहते हैं। एल्कोहॉल, कॉफी, फैटी फूड, स्पाइसी फूड,चॉकलेट, स्ट्रैस आदि इसके रिस्क को बढ़ाते हैं। (हार्टबर्न या सीने में होने वाली एक प्रकार की जलन की जांच करने के लिए ही बर्नस्टेन टेस्ट किया जाता है।

    ऐसे करें इलाज

    हार्ट बर्न की समस्या के कारणों में मुख्य रूप से हमारा खानपान शामिल है। अगर हम अपने खानपान में सुधार करें तो हार्टबर्न की समस्या से भी बचा जा सकता है। कॉफी, ओरेंज और दूसरे एसिडिक जूस या ड्रिंक्स लेने से हार्टबर्न की समस्या अधिक बढ़ सकती है। वहीं

    लहसुन का अधिक सेवन, प्याज, पुदीना का सेवन या फिर चॉकलेट का अधिक सेवन भी हार्टबर्न की समस्या का कारण बन सकता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी व्यक्तियों के लिए हार्टबर्न का कारण कोई एक फूड ही। शरीर में अलग-अलग खाने पीने की चीजे विभिन्न प्रकार से प्रतिक्रिया करती हैं। आप चाहे तो इसे ऑब्जर्व भी कर सकते हैं ताकि आप ऐसे फूड को अवॉयड कर सके, जो आपको परेशानी में डालते हो।

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    4. आंतों की समस्या – इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IRRITABLE BOWEL SYNDROME)

    पेट में ऐंठन, सूजन, दस्त और कब्ज चार मुख्य लक्षण हैं, जो आंत में समस्या को बढ़ाते हैं। IBS पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दो गुना तेजी से प्रभावित करता है। ये समस्या 30-35 की उम्र में अधिक पाई जाती है। खान-पान में बदलाव करके या फिर कुछ दवाओं का यूज करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।

    कई बार बच्चों के पेट में अचानक दर्द या खिंचाव इंटससेप्शन के लक्षण हो सकते हैं। यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें आंत का एक हिस्सा आंत के साथ वाले भाग में स्लाइड करता है। इसके कारण अक्सर भोजन या तरल पदार्थ को सामान्य रूप से गुजरने में समस्या होती है।

    ऐसे करें इलाज

    आंतों की समस्या –  खाने के पैटर्न में लाएं ये बदलाव

  •  दूध से बनी हुई चीजों के अधिक सेवन से बचें।
  • कम वसा युक्त खाना खाएं।
  • फायबर युक्त भोजन करें।
  • बर्गर, चाऊमीन और फास्ट फूड न खाएं।
  • एल्कोहल , सिगरेट और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
  • आंतों की समस्या –  इन बातों का भी रखें ख्याल

    इसके साथ ही निम्नलिखित चीजों से भी इस पर नियंत्रण पा सकते हैं :

    1. प्रोबायोटिक्स
    2. मछली
    3. एलोवेरा
    4. हल्दी
    5. एक्यूपंचर

    5. आंतों की समस्या – पेट दर्द रोग

    आंतों की समस्या –  क्रोहन रोग (CROHN’S DISEASE)

    इस रोग में पेट में सूजन की समस्या होती है। इसमे दर्द, डायरिया,थकान के साथ ही मुंह में छालें हो सकते हैं। पाचन संबंधी इस समस्या को दूर करने के लिए 60-75 % लोगों को सर्जरी का सहारा लेना पड़ा है।

    और पढ़ें :क्या हैं पाचन समस्याएं कैसे करें इन समस्याओं का निदान?

    अल्सरेटिव कोलाइटिस (ULCERATIVE COLITIS)

    सामान्य आंत्र समस्याओं की सूची में यह दूसरा IBD है। क्रोहन रोग के साथ, अल्सरेटिव कोलाइटिस में भी सूजन की समस्या का सामना करना पड़ता है। मलाशय और बृहदान्त्र (बड़े आंत्र) में परेशानी हो सकती है। कई बार अल्सर की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है जो खून या म्युकस को प्रोड्यूस करता है।

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    6. आंतों की समस्या – डायवरटिक्यूलाइटिस

    जब आंतों में पॉकेट के रूप में संरचना बन जाती है तो उसे डायवरटिक्यूलाइटिस कहते हैं। इस समस्या की वजह से पेट में दर्द हो सकता है। आहार में कम फाइबर की वजह से ये समस्या हो सकती है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

    7.  इंटेस्टाइनल प्रॉब्लम: इंटेस्टाइनल इस्किमिया

    आंतों में दर्द का कारण इंटेस्टाइनल इस्किमिया भी हो सकता है। इसमें आंतों का ठीक से काम करना मुश्किल हो जाता है। गंभीर मामलों में, आंतों में रक्त के प्रवाह को नुकसान पहुंचना, आंतों के टिशू को नुकसान पहुंचा सकता है और इससे मृत्यु भी हो सकती है। इंटेस्टाइनल इस्किमिया की समस्या होने पर छोटी इंटेस्टाइन के साथ ही बड़ी इंटेस्टाइन भी प्रभावित हो सकती है। व्यक्ति को स्टूल के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है और साथ ही स्टूल के समय अधिक प्रेशर लगाने की जरूरत भी पड़ती है। इंटेस्टाइनल इस्किमिया के कारण पेट में मरोड़ उत्पन्न हो सकती है। बीमारी के लक्षण के रूप में कमजोरी का एहसास, वेट का कम होना, जी मिचलाना आदि समस्या हो सकती है। अगर आपको कभी भी पेट दर्द का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

    ऐसे करें इलाज

    इंटेस्टाइनल इस्किमिया का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। इस बीमारी के ट्रीटमेंट के लिए शुरुआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है और साथ ही तुरंत मेडिकल सहायता प्राप्त करना बहुत जरूरी है। आप इस बारे में डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। डॉक्टर आपको एंजियोग्राम(Angiogram), पेट का डॉपलर अल्ट्रासाउंड, पेट का सीटी स्कैन आदि की सलाह दे सकता है। इस बीमारी का शिकार 50 साल से अधिक उम्र के लोग अधिक होते हैं। डॉक्टर सर्जरी करने के साथ ही पेशेंट को हेल्दी डायट के साथ ही बीपी पर ध्यान देने की सलाह दे सकता है। आपको सर्जरी की आवश्यकता है या फिर नहीं, ये आपकी कंडीशन पर निर्भर करता है।

    उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। आशा है कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आंतों की समस्या होने पर क्या-क्या परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इस बारे में जानकारी मिल गई होगी। आप हेल्दी खाएं और जंक फूड से दूरी बनाएं। ऐसा करने से भी आपको आंतों की समस्या से राहत मिलेगी। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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