डिफेकोग्रफी (Defecography)
यह परीक्षण एनल और रेक्टल एरिया का एक्स-रे है। इस टेस्ट से यह जांचा जाता है कि रेक्टल मसल्स ठीक से काम कर रही है या नहीं। इससे एनल या रेक्टल एरिया में किसी भी तरह की असामान्यताएं भी पता लगाई जा सकती हैं।
लोअर जीआई (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) सीरीज
इस परीक्षण को बेरियम एनीमा भी कहा जाता है। यह मलाशय, बड़ी आंत और छोटी आंत के निचले हिस्से में मौजूद समस्या को दिखाता है। बेरियम (एक तरह का केमिकल) को एनीमा के रूप में मलाशय में दिया जाता है। इसे कोलन एक्स-रे (colon x-ray) भी कहा जाता है। एक्स-रे से सख्त (संकुचित क्षेत्रों), अवरोध और अन्य समस्याओं का पता लगाया जाता है।
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एमआरआई स्कैन (MRI scan)
इस परीक्षण में शरीर के भीतर अंगों और संरचनाओं की डिटेल में इमेज बनाने के लिए बड़े मैग्नेट, रेडियोफ्रीक्वेंसी और कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। विभिन्न गैस्ट्रोइंटेस्टिनल डिजीज के मूल्यांकन की एमआरआई का इस्तेमाल किया जाता है।
रेडियोआइसोटोप गैस्ट्रिक-एमपेटिंग स्कैन
इस परीक्षण के दौरान, आप एक रेडियो आइसोटोप युक्त भोजन का सेवन करते हैं। यह थोड़ा-सा रेडियोएक्टिव पदार्थ है जो स्कैन पर दिखाई देगा। आपको बता दें कि यह हानिकारक नहीं है। इस टेस्ट से पता चलता है कि आपका पेट भोजन को कितनी जल्दी पचाता है?
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अपर जीआई (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) सीरीज
इसे बेरियम स्वैलो टेस्ट भी कहा जाता है। इस परीक्षण से पाचन तंत्र के ऊपरी हिस्से के अंगों का निरीक्षण किया जाता है। इसमें अन्नप्रणाली, पेट और ग्रहणी (छोटी आंत का पहला भाग) शामिल है। डिसफैगिया (dysphagia), हाइटल या हाइटस हर्निया जैसे कई पाचन तंत्र रोगों के निदान के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
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एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं
कोलॉनोस्कोपी (Colonoscopy)
कोलॉनोस्कोपी टेस्ट बड़ी आंत, कोलन और रेक्टम में मौजूद समस्याओं की जांच करने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया है। इससे अक्सर असामान्य वृद्धि, सूजन वाले ऊतक, अल्सर और रक्तस्राव की जांच करने में मदद मिलती है।
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इंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेजनोपैंक्रीटोग्राफी (ईआरसीपी)
इस टेस्ट से लिवर, पित्ताशय की थैली, पित्त नलिकाओं और अग्न्याशय में होने वाली समस्याओं का निदान किया जाता है। यह परीक्षण प्रशिक्षित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है।
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एसोफैगोगैस्ट्रोडोडेनोस्कोपी (ईजीडी या अपर एंडोस्कोपी)
अन्नप्रणाली, पेट और छोटी आंत के पहले भाग की परत की जांच करने के लिए यह परीक्षण किया जाता है।
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सिग्मयोडोस्कोपी
इस प्रोसेस से बड़ी आंत के एक हिस्से के अंदर की जांच की जाती है। यह दस्त, पेट दर्द, कब्ज, असामान्य वृद्धि और रक्तस्राव के कारणों का पता लगाने में सहायक है।
इन सब टेस्ट के अलावा भी कई और अन्य परीक्षण जैसे एनोरेक्टल मैनोमेट्री, गैस्ट्रिक मैनोमेट्री, एसोफैगल मैनोमेट्री, एसोफैगल पीएच मॉनीटरिंग आदि भी किए जा सकते हैं।
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पाचन तंत्र की बीमारी का इलाज
पाचन समस्यायों का इलाज कैसे किया जाता है? डाइजेस्टिव डिजीज के प्रकार को देखते हुए ही डॉक्टर उसका उपचार करते हैं। एक तरफ जहां पाचन संबंधी कुछ बीमारियां सिर्फ लाइफस्टाइल में बदलाव करने पर ठीक हो जाती हैं तो दूसरी तरफ कुछ डाइजेस्टिव प्रॉब्लम्स को दवाओं की जरूरत होती है। अगर ये पाचन समस्यायें दवा से ठीक नहीं होती हैं तो डॉक्टर सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं। यह पूरी तरह से आपकी समस्या और उसकी स्थिति पर निर्भर करता है।
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पाचन समस्याएं से बचने के लिए क्या करें?
बड़ी आंत और रेक्टम के कई रोगों को एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर रोका या कम किया जा सकता है। जैसे-
पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें
फाइबर स्वाभाविक रूप से फल, सब्जियों, फलियों और साबुत अनाज में पाया जाता है। 50 वर्ष से कम आयु के पुरुषों के लिए 38 ग्राम और महिलाओं के लिए 25 ग्राम फाइबर लेने की सलाह दी जाती है। 50 से अधिक उम्र वालों को थोड़ा कम फाइबर की आवश्यकता होती है, पुरुषों के लिए 30 ग्राम और महिलाओं के लिए 21 ग्राम फाइबर लेने की सलाह दी जाती है। इसलिए पाचन समस्याएं से बचने के लिए इनका सेवन करें ।
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