के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
पित्ताशय की पथरी को गॉलस्टोन (Gallstone) भी कहते हैं। गॉलस्टोन पित्ताशय की थैली में एक पत्थर के रूप में जमा हुआ पदार्थ होता है। पित्ताशय की थैली यानी गॉलब्लैडर लिवर के नीचे नाशपाती के आकार का एक छोटा अंग होता है। गॉलब्लैडर लिवर द्वारा बनाए गए तरल पदार्थ को स्टोर और रिलीज करता है। इस तरल पदार्थ को पित्त (Bile) कहा जाता है। गॉलब्लैडर इस तरल पदार्थ को छोटी आंत में पहुंचाता है। पित्त में कुछ केमिकल्स भी होते हैं, जो जमकर एक बड़ा स्टोन या कई छोटे स्टोन का रूप ले सकते हैं। इसे ही गॉलस्टोन कहते हैं। पित्ताशय की पथरी गेहूं के दाने से लेकर गोल्फ बॉल की साइज की हो सकती है।
जिन लोगों में पित्ताशय की पथरी के लक्षण नजर आते हैं उन्हें आमतौर पर गॉलब्लैडर रिमूवल सर्जरी करानी होती है। जिन लोगों में गॉलस्टोन के किसी तरह लक्षण नजर नहीं आते हैं उन्हें ज्यादातर मामलों ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है।
गॉललस्टोन दो तरह के होते हैं:
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ऐसा भी हो सकता है गॉल्सटोन के किसी तरह के लक्षण नजर न आएं। यदि गॉल्सटोन डक्ट में रहती है और रुकावट का कारण बनता है तो इसके निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं:
उपरोक्त बताए गए किन्ही भी लक्षण के नजर आने पर डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लें। यदि आपको नीचे बताए सीरियस साइड इफेक्ट्स नजर आए तो बिना देरी करें डॉक्टर से कंसल्ट करें:
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गॉलस्टोन (Gallstone) कई कारणों से विकसित हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
इन लोगों को गॉलस्टोन (Gallstone) होने का खतरा अधिक होता है:
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फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम निदेशक और प्रमुख डॉ. राजीव यादव ने यूरोलॉजिकल समस्याओं के बारे में बताते हुए कहा कि कई केसेज में बीमारी को रोकना संभव नहीं होता है लेकिन कुछ अच्छी आदतें इन बीमारियों को कम करने में मदद कर सकती हैं। खाने में हेल्दी फूड्स और फाइबर से भरपूर डायट लें। फलों और सब्जियों में विटामिन और खनिज अच्छी मात्रा में पाया जाता है। साथ ही आपको प्रोसेस्ड चीज, पिकल्स, प्रिजर्वेटिव रिच फूड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इन सभी में सॉल्ट ज्यादा होता है। ज्यादा नमक के कारण किडनी में पथरी की समस्या पैदा हो सकती है। आपको रोजाना 7-8 ग्लास पानी पीना चाहिए। साथ ही रोजाना एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। कोल्ड ड्रिंक को इग्नोर करेंगे, तो बेहतर होगा। दी गई बातों का गौर से पढ़ें।
समय पर भोजन करें: नाश्ता, लंच और डिनर को समय पर करें। किसी भी समय मील को स्किप न करें। फास्टिंग करने से पित्त की थैली में पथरी होने की संभावना अधिक होती है।
वजन को धीरे-धीर कम करें: यदि आपको वजन कम करने की जरूरत है तो इस पर धीरे धीरे काम करें। तेजी से वजन कम होने पर भी गॉलस्टोन होने की संभावना बढ़ जाती है। हर हफ्ते एक किलो वजन कम करने का टार्गेट सैट करें।
डायट में हाई फाइबर फूड को अधिक शामिल करें: जितना हो सकें डायट में फाइबर युक्त चीजों को शामिल करें। आप डायट में फलों, सब्जियों और साबुत अनाज को शामिल कर सकते हैं।
वजन को मेंटेन रखें: मोटापा और ओवरवेट भी गॉलस्टोन का कारण बन सकते हैं। इसलिए हेल्दी डायट के साथ एक्सरसाइज कर हेल्दी वेट मेंटेन करें।
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गॉलस्टोन का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट कराने की सलाह देते हैं:
एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड (Abdominal ultrasound.): पित्ताशय की पथरी का पता लगाने के लिए सबसे ज्यादा इस टेस्ट को कराया जाता है। इसमें तकनीशियन आपके पेट पर आगे और पीछे ट्रांसड्यूसर (Transducer) को घुमाता है। ट्रांसड्यूसर कंप्यूटर को सिग्नल भेजता है, जो स्क्रीन पर आपके पेट में संरचनाओं को दिखाने वाली छवियां बनाता है।
एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (Endoscopic ultrasound): इस प्रक्रिया में छोटी पथरियों की पहचान करने में मदद होती है, जो एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड में साफ नजर नहीं आती हैं। एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड के दौरान तकनीशन आपके मुंह और पाचन तंत्र के माध्यम से एक पतली, लचीली ट्यूब (एंडोस्कोप) को पास करता है। इस ट्यूब में एक छोटा अल्ट्रासाउंड डिवाइस (ट्रांसड्यूसर) होता है जो आसपास के ऊतक की एक सटीक छवि बनाता है।
मैग्नेटिक रेजोनेन्स कोलैन्जियोपैनक्रियाटोग्राफी (Magnetic resonance cholangiopancreatography): इस टेस्ट में लिवर और गॉलब्लेैडर के साथ शरीर के अंदर की तस्वीरों के लिए मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो वेव एनर्जी का इस्तेमाल किया जाता है।
बहुत सारे लोग जिनमें गॉलस्टोन के लक्षण नजर नहीं आते उन्हें ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होत है। यदि गॉलब्लेडर में सूजन या पित्त नलिकाओं में रुकावट होती है तो इसका इलाज करना जरूरी होता है। पित्ताशय की पथरी के इलाज के लिए डॉक्टर निम्न तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं:
सर्जरी कर गॉलब्लेडर को रिमूव करना कोलेसिस्टेक्टोमी (cholecystectomy): आपका डॉक्टर आपकी सर्जरी कर गॉलब्लेडर रिमूव कर सकता है। यदि पित्त की थैली को हटा दिया जाए तो पित्त (bile) लिवर से सीधा छोटी आंत में जाता है। जिंदा रहने के लिए गॉलब्लेडर का होना जरूरी नहीं होता है। इससे आपके खाने के पाचन पर कोई असर नहीं होता है लेकिन कई बार डायरिया की शिकायत हो सकती है।
गॉलस्टोन को गलाने के लिए डॉक्टर आपको दवाइयां भी दे सकते हैं जो पथरी को कमजोर कर उसे गलाने में मदद कर सकती हैं। लेकिन इस ट्रीटमेंट में कई महीने और साल लग सकते हैं। साथ ही इससे पथरी के दोबारा होने का भी खतरा होता है।
हमें उम्मीद है कि पित्ताशय की पथरी के बारे में अब आप समझ गए होंगे। इससे बचने के लिए आपको यहां बताई गई बातों को फॉलो करना चाहिए।पित्ताशय की पथरी से छुटकारा पाया जा सकता है, लेकिन आपको अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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