के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
क्लॉटिंग प्रक्रिया जिसे कोगुलेशन (Coagulation) भी कहते हैं, इसमें ब्लड लिक्विड रूप से ठोस में बदलता है। जब आपको चोट लगती है तो आपका खून जमने लगता है जिससे अधिक ब्लड के नुकसान को आसानी से रोका जा सके। इस पूरी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले समस्या को ही ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर (Blood clotting disorder) कहते हैं। जिसके अंतर्गत चोट लगने की स्थिति में आपका ब्लड बहता ही जाता है रुकता नहीं है।
कुछ डिसऑर्डर (Disorder) ऐसे होते हैं, जिसमें चोट या दुर्घटना होने पर अत्यधिक ब्लीडिंग होती है, जबकि कुछ ऐसे होते हैं जिसमें ब्लीडिंग होती है लेकिन उनका कोई सही कारण नहीं होता है। जिन महिलाओं में क्लॉटिंग डिसऑर्डर की समस्या होती है उनमें पीरियड्स के समय ब्लीडिंग ज्यादा होती है। इसकी वजह से एनीमिया (Anemia) हो जाती है जिसमें बॉडी पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं कर पाती है।
आपको बता दें कि क्लॉटिंग डिसऑर्डर आपके शरीर के बाहर और अंदर दोनों जगह पर असामान्य ब्लीडिंग का कारण बन सकता है। कुछ डिसऑर्डर ऐसे होते हैं जो आपके शरीर से निकलने वाले ब्लड (Blood) की मात्रा में भारी वृद्धि कर सकते हैं जबकि दूसरे ऐसे डिसऑर्डर हैं जिनमें त्वचा के नीचे या महत्वपूर्ण अंगों में रक्तस्राव होता है, जैसे कि आपका मस्तिष्क। आपको बता दें कि अगर इसका जल्दी इलाज नहीं किया गया, तो महिलाओं में यह समस्या ज्यादा खतरनाक होती है।
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ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर (Blood clotting disorder) के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कैसा ब्लीडिंग डिसऑर्डर है। हालांकि कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं;
इन लक्षणों के सामने आने पर आप अपने डॉक्टर से तुरन्त बात करें। डॉक्टर आपकी स्थिति को चेक करके सही इलाज करेगा।
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ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर (Blood clotting disorder) अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से जरुर बात कर लें।
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अगर आपको ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर है तो ऐसी स्थिति में चोट लगने पर ब्लड का नुकसान नहीं रुकता है। यह डिसऑर्डर अनुवांशिक भी हो सकता है। ब्लड को क्लॉट होने के लिए ब्लड प्रोटीन्स की जरूरत होती है, जिसे क्लॉटिंग फैक्टर कहते हैं। इसके अलावा ब्लड क्लॉटिंग के लिए ब्लड सेल्स (Blood cells) की भी जरूरत होती है जिन्हें प्लेटलेट्स कहते हैं।
सामान्य तौर पर प्लेटलेट्स एक दूसरे से चिपककर डैमेज हुए ब्लड वेसेल्स की साइट पर एक प्लग का निर्माण करते हैं। इसके अलावा क्लॉटिंग फैक्टर एक दूसरे से चिपककर फाइब्रिन क्लॉट (Fibrin clot) का निर्माण करते हैं। ये प्लेटलेट्स को एक ही स्थान पर स्थिर करते हैं और ब्लड वेसेल्स से ब्लड को बाहर निकलने से रोकते हैं।
जिन लोगों में क्लॉटिंग डिसऑर्डर की समस्या होती है ये क्लॉटिंग फैक्टर और प्लेटलेट्स वैसे काम नहीं करते हैं, जैसे इन्हें करना चाहिए। इसलिए जब ब्लड क्लॉट नहीं होता है तब चोट लगने पर बहुत ज्यादा मात्रा में ब्लड बाहर आता है।
आपको बता दें कि ज्यादातर ब्लड डिसऑर्डर अनुवांशिक होते हैं, जिसकी वजह से यह समस्या माता पिता से उनके बच्चों में होती है। लेकिन कुछ डिसऑर्डर ऐसे होते हैं जो, दूसरे मेडिकल स्थितियों की वजह से होते हैं जैसे कि लिवर डिजीज।
ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर होने के और भी कारण होते हैं जैसे;
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क्लॉटिंग डिसऑर्डर के साथ ज्यादातर समस्याएं ऐसी होती हैं जिन्हें इलाज के द्वारा रोका जा सकता है या नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी ट्रीटमेंट होना चाहिए। समस्याएं इसलिए होती हैं क्योंकि क्लॉटिंग डिसऑर्डर का इलाज बहुत देर से होता है। ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर (Blood clotting disorder) के साथ निम्नलिखित समस्याएं इस प्रकार हैं;
इसके अलावा ज्यादा मात्रा में ब्लड का नुकसान होने की वजह से भी समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं को रोकने के लिए आप डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
इस समस्या का निदान करने के लिए आपका डॉक्टर आपसे इसके लक्षणों और आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकता है। इसका निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट कर सकता है जो इस प्रकार हैं;
1- कम्प्लीट ब्लड काउंट (complete blood count):इसके तहत आपके शरीर में मौजूद रेड और व्हाइट ब्लड सेल्स को मापा जाता है।
2- प्लेटलेट्स एग्रीगेशन टेस्ट (platelet aggregation test): इसमें यह चेक किया जाता है कि आपका प्लेटलेट्स अच्छे से एक दूसरे से चिपकता है या नहीं।
3- ब्लीडिंग टाइम टेस्ट (bleeding time test): इसमें यह चेक किया जाता है कि कैसे आपका ब्लड क्लॉट होता है जिससे ब्लीडिंग को रोका जा सके।
इस समस्या का इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। इलाज से इस समस्या को ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन इलाज से इसमें आराम जरुर मिल सकता है। इसके लिए निम्नलिखित चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे
इसके अलावा ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर (Blood clotting disorder) का टॉपिकल प्रोडक्ट या नैजल स्प्रे (Nasal spray) के साथ भी इलाज किया जा सकता है।
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ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर (Blood clotting disorder) की रोकथाम के लिए आपको अपने जीवनशैली में बदलाव करने होंगे जैसे अपनी डाइट में बदलाव किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक़ आपको अपने डाइट में आयरन युक्त भोजन का इस्तेमाल करना चाहिए।
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