और पढ़ें: दस्त का आयुर्वेदिक इलाज क्या है और किन बातों का रखें ख्याल?
जोड़ो में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
जोड़ो में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : हर्ब्स
निर्गुंडी (Nirgundi)
निर्गुंडी जॉइंट पेन की सबसे आम जड़ी-बूटियों में से एक है। इसका उपयोग करने से सूजन को कम करने के साथ-साथ दर्द में राहत मिलती है। इसमें एंटी-इंफ्लमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिससे जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है। जॉइंट पेन के आयुर्वेदिक इलाज के लिए आप निर्गुन्डी के तेल का उपयोग भी कर सकते हैं और इसे जोड़ों पर लगा सकते हैं।
अजवाइन
अजवाइन में एंटी-इंफ्लमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसकी वजह से इसे गठिया के दर्द के घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एनेस्थेटिक गुण भी होते हैं, जो सर्दियों के दौरान अत्यधिक दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
दशमूल (Dashmool)
दशमूल खुद एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी नहीं है, बल्कि दस औषधीय जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। जिसका उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसमें बेरहटी, शालपर्णी जैसी हर्ब्स शामिल की जाती हैं। दशमूल वात रोग में प्रभावी है। इसके एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और शामक गुण जोड़ों के दर्द को ठीक करने में मदद करते हैं। यह तेल और पाउडर के रूप में उपलब्ध है।
शल्लकी
शल्लकी जड़ी-बूटी जोड़ों को मजबूत रखने और उन्हें किसी भी दर्द से राहत देने के लिए जानी जाती है। यह न केवल दर्द को कम करता है, बल्कि सूजन को कम करने में भी मददगार है। ऑस्टियोअर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में दर्द और अकड़न को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में इसे वात दोष के असंतुलन के कारण हुई बीमारियों के इलाज के लिए जाना जाता है।
शतावरी (Shatavari)
शतावरी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसमें चिकनाई प्रदान करने वाले गुण होते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि इसका इस्तेमाल शरीर में सूजन पैदा करने वाले रसायनों (जैसे कि TNF- अल्फा और IL-1B) को खत्म करने में किया जाता है।
अश्वगंधा
अश्वगंधा मांसपेशियों की कमजोरी को कम करने में उपयोगी है। अर्थराइटिस की वजह से होने वाली सूजन के उपचार में भी यह मददगार है। जोड़ों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
और पढ़ें: अपेंडिक्स का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है?
जोड़ों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : थेरेपी
जोड़ों में दर्द के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के रूप में थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे-
निदान परिवार्जन
इस आयुर्वेदिक कर्म में रोग के कारण को दूर किया जाता है। इससे बीमारी को बढ़ने, उससे बचाव और दोबारा होने से रोका जा सकता है। जोड़ों में दर्द के इलाज के लिए अनशन (व्रत), अल्पशन (कम मात्रा में खाना), रुक्षन्नपान सेवन (सूखे खाद्य पदार्थों का सेवन), प्रमितशन (सीमित आहार लेना) और लंघन (व्रत) जैसी कई आयुर्वेदिक क्रियाएं शामिल है। इनका इस्तेमाल व्यक्ति की प्रकृति और दोष पर निर्भर करता है।
स्वेदन
शरीर में जमी अमा यानी टॉक्सिन्स को बाहर निकालने के लिए यह आयुर्वेदिक क्रिया महत्वपूर्ण है, जिसमें पसीने के जरिए विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। अर्थ्राल्जिया के आयुर्वेदिक इलाज के रूप में प्रभावित हिस्से को गर्म करके अमा को पिघलाया जाता है, जिससे टॉक्सिन्स बाहर निकल सकें।
अभ्यंग
अभ्यंग आयुर्वेदिक कर्म में कई हर्ब्स से बने तेल की मालिश प्रभावित हिस्से पर की जाती है। इससे जिस हिस्से में जॉइंट पेन होता है, उस अंग में दर्द से राहत मिलती है।
इसके अलावा जोड़ों में दर्द के आयुर्वेदिक इलाज के लिए विरेचन, लेप, अग्नि कर्म, बस्ती जैसी प्रक्रियाओं को भी अपनाया जाता है।
और पढ़ें: पथरी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? जानें कौन सी जड़ी-बूटी होगी असरदार