थ्रोम्बोफ्लिबायटिस (Thrombophlebitis) ब्लड क्लॉट नस की सूजन का कारण बन सकता है। इस स्थिति को थ्रोम्बोफ्लेबिटिस कहा जाता है। यह पैरों की सामान्य स्थिति है। लक्षणों में दर्द, कोमलता, जलन, लालिमा और इंफेक्टेड क्षेत्र में सूजन शामिल है। यह स्थिति गंभीर हो जाती है तो इसे तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
प्लांटर फेशिआइटिस (Plantar Fasciitis): इस डिसऑर्डर में एडी और पैर के तलवे में दर्द होता है। इस दर्द का कारण प्लांटर फेसिया में सूजन है। यह परेशानी एथलीट या मोटे लोगों में अधिक देखी जाती है।
पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy): पैरों की नर्व्स के डैमेज होने के कारण पैरों में झुनझुनी और सुन्नता की शिकायत होती है, लेकिन बाद में दर्द होता है। पेरीफेरल न्यूरोपैथी का कारण वैसे तो डायबिटीज की बीमारी होती है, लेकिन इसका कारण किडनी की बीमारी, एल्कोहॉल का उपयोग भी हो सकता है। जिससे पैरों में दर्द की समस्या होती है।
साइटिका (Sciatica): इस स्थिति में वात बढ़ने के कारण शरीर के निचले अंगों जैसे कि कूल्हों के पीछे, जांघ में या दोनों पैरों में दर्द शुरू होता है। साइटिका का दर्द कफ और वात दोनों के कारण हो सकता है। टांगों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा के बारे में जानने के लिए आगे पढ़िए।
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टांगों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज
स्नेहन (ऑयल थेरिपी)
यह बाहर से की जाने वाली थेरिपी है, जो मस्कुलर स्ट्रेन या दर्द से राहत के लिए उपयोग की जाती है। इसमें अश्वगंधा और चंदन मिले हुए तेल को उन मसल्स पर लगाया जाता है जिनमें दर्द होता है। यह पैरों में होने वाली अकड़न को दूर कर देता है और राहत प्रदान करता है।
स्वेदन (हीट इंडक्शन)
इस थेरिपी में मसल क्रैम्प का इलाज करने के लिए सौम्य भाप का उपयोग किया जाता है। इसमें यूकालिप्टस, नीम जैसे हर्बल का यूज किया जाता है जो कि पैर और जांघों को स्वेटिंग के लिए उत्तेजित करते हैं। यह थेरिपी वात दोष के असंतुलन को ठीक करने का काम करती है।
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टांगों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा
1.टांगों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा है निर्गुणी
यह जोड़ों और पैरों में दर्द से राहत दिलाने वाली कॉमन हर्ब है। यह पौधा आसानी से उपब्लध है। यह सूजन कम करने के साथ ही दर्द से राहत दिलाने के लिए जाना जाता है। इसके एंटी इंफ्लमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह जोड़ों को कई तरह से राहत प्रदान करता है। इसका उपयोग करने के लिए आप इसके तेल को लगा सकते हैं या फिर इसकी पत्तियों के पेस्ट को पैरों पर लगा सकते हैं।
2.टांगों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा है शुंठी (सूखे अदरक का पाउडर)
अदरक कई फ्लेवोनोइड एंटीऑक्सिडेंट और शक्तिशाली एंटी इंफ्लमेटरी गुणों से भरपूर है। जो निचले पैरों की मांसपेशियों को आराम पहुंचाते हैं। 2 चम्मच शुंठी यानी सूखे अदरक के पाउडर को शहद के साथ एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पीने से मांसपेशियों की ऐंठन से राहत मिलती है।
3.टांगों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा है दशमूल
दशमूल एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी नहीं है, बल्कि दस औषधीय जड़ी-बूटियों का मिश्रण है, जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। दशमूल का शाब्दिक अर्थ है ‘दस जड़ें’; जिसमें से पांच जड़ें पेड़ों की हैं और पांच झाड़ियों की। इनमें पटला, गम्भारी, बरिहटी, शालपर्णी और अन्य शामिल हैं। दशमूल या दशमूला शरीर में होने वाली इंफ्मेटरी कंडिशन और वात रोग में प्रभावी है। इसके एंटीइंफ्लमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एनाल्जेसिक गुण जोड़ों के दर्द को ठीक करने में मदद करते हैं। यह तेल और पाउडर के रूप में उपलब्ध है।
4.टांगों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा है शालकी
यह जड़ी-बूटी जोड़ों को मजबूत रखने और उन्हें किसी भी दर्द से राहत देने के लिए जानी जाती है। यह न केवल दर्द को कम करती है, बल्कि सूजन को कम करने में भी मदद करती है। बोस्वेलिया सेराटा (Boswellia Serrata) के रूप में लोकप्रिय शालकी को कभी-कभी विशेषज्ञों द्वारा पेन किलर के विकल्प के रूप में भी उपयोग किया जाता है। यह तेल के रूप में उपलब्ध है।
टांगों के दर्द के इलाज में आयुर्वेदिक दवा का उपयोग कितना प्रभावी है?
कई आयुर्वेदिक स्टडीज में ये बात सामने आई है कि वात को संतुलित करने में आयुर्वेदिक दवा प्रभावी है, लेकिन किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
क्या टांगों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा के साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं?
बता दें कि आयुर्वेदिक दवा हमेशा सुरक्षित नहीं होती है। इसलिए किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत जरूरी है। खासकर गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को इसके इस्तेमाल में बहुत सतर्कता रखने की आवश्यकता है।
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टांगों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करते वक्त जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए?
अगर आप टांगों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा ले रहे हैं, तो आपको अपनी जीवनशैली में निम्न बदलाव भी करने चाहिए।
क्या करें?