वात दोष का स्वभाव ठंड़ा, रूखा, खुरदुरा और हल्का होता है। उन पदार्थों का सेवन करना जो इन विशेषताओं को काउंटर करते हैं बैलेंस क्रिएट करता है। इन लोगों में वात दोष अधिक होता है उन्हें गर्म फूड्स का सेवन करना चाहिए। गर्म से मतलब जिन फूड्स की तासीर गर्म हो साथ ही उन्हें गर्म गर्म ही खाया जाए। साथ ही वे बॉडी को हाइड्रेट करने वाले हो जैसे सूप। इसके साथ ही उन्हें हेल्दी फैट्स जैसे कि ऑलिव ऑयल, घी, ऑर्गेनिक क्रीम और एवाकाडो खाना चाहिए।
पित्त दोष होने पर
इसी तरह पित्त दोष गर्म, ऑयली, लाइट और शार्प क्वालिटीज के लिए जाना जाता है। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जो कि ठंड़े हों और शरीर के अंदर से ठंडे पहुंचाएं जैसे कि पुदीना, खीरा, सीताफल और अजमोद आदि।
कफ दोष होने पर
कफ दोष हेवी, कूल, ऑयली और स्मूद क्वालिटीज के लिए जाना जाता है। इसको बैलेंसे करने के लिए लाइट, गर्म और सूखे खाद्य पदार्थों को खाना चाहिए जैसे कि बीन्स, पॉपकॉर्न, सब्जियां आदि।
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ओवरईटिंग न करें और एक कंप्लीट मील के तुरंत बाद ना खाएं
आयुर्वेद के अनुसार आपको यह पता होना चाहिए कि खाते वक्त कहां पर रुकना है। जब तक भूख ना लगे तब तक खाना नहीं खाएं। लाइट सात्विक फूड को अपनाएं। सात्विक डायट में सीजनल फूड्स, फ्रूट्स, सब्जियां, डेयरी प्रोडक्ट्स, नट्स, सीड्स, ऑयल और पकी सब्जियां शामिल हैं। सात्विक फूड बॉडी से टॉक्सिन्स निकालने में मदद करते हैं जो वातावरण के पॉल्यूशन के कारण बॉडी में प्रवेश कर जाते हैं। साथ ही आउटसाइड के जंक फूड खाने से होने वाले डैमेज को रिकवर करते हैं।
खाने को रिस्पेक्ट दें
खाना खाते समय टीवी देखना, फोन का उपयोग और न्यूजपेपर को ना पढ़ें। आयुर्वेद कहता है कि आप जी रहे हैं क्योंकि आपकी प्लेट में फूड मौजूद है। इसलिए खाने के प्रति रिस्पेक्ट रखें। खाने के समय होने वाला डिस्ट्रैक्शन बॉडी की खाना पचाने की क्षमता को प्रभावित करता है। इससे कई पेट संबंधी बीमारियां होती हैं।
धीरे खाएं
जल्दी-जल्दी खाना ना खाएं। खाने को धीरे-धीरे और अच्छे से चबाकर खाएं। इससे खाने का अच्छी तरह ब्रेकडाउन होता है और डायजेस्टिव एंजाइम को अपने काम करने के जरूरी समय मिलता है। अगर खाना अच्छी तरह नहीं पचता है तो यह बहुत सारी डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स का कारण बनता है और इससे वजन बढ़ भी सकता है। दिन की शुरुआत गुनगने पानी से करें। यह पुराने समय से चली आ रही आयुर्वेदिक प्रेक्टिस है। गुनगुने पानी से बॉडी का टेम्प्रेचर बढ़ता है जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और वेट लॉस भी करता है।
डायजेस्टिव फायर को जगाएं
कई बार आप भूख महसूस नहीं करते क्योंकि डायजेस्टिव फायर नहीं होती है। इसके लिए कसे हुए अदरक को नींबू की कुछ बूंदों और एक चुटकी नमक के साथ लें। ये सभी तत्व लार ग्रंथियों (salivary gland) को डायजेस्टिव एंजाइम को प्रोड्यूस करने के लिए एक्टिव करते हैं। जो डायजेशन में मदद करने के साथ ही हम जो खाते हैं उस फूड को एब्जॉर्ब करने में मदद करते हैं।
कुछ फूड्स को साथ में ना खाएं
आयुर्वेद के अनुसार कुछ निश्चित फूड कॉब्निनेशन गैस्ट्रिक फायर के फंक्शन को डिस्टर्ब करते हैं और दोषों को इम्बैलेंस करते हैं। यह इनडायजेशन, गैस और फर्मेंटेशन का कारण बनते हैं।
2. आयुर्वेदिक रेमेडीज में शामिल हैं जड़ी-बूटियां
आयुर्वेदिक रेमेडीज या कहे कि आयुर्वेदिक उपचार में जड़ी बूटियों का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार हर्ब्स के शरीर और मन के लिए अनेक फायदे हैं। इनका उपयोग बाहरी और अंदरूनी दोनों तौर पर किया जाता है। साथ ही ये अरोमाथेरिपी में भी यूज की जाती हैं। जड़ी बूटियों के निम्न फायदे हैं।
- ये वजन कम करने में मददगार हैं
- कैंसर से लड़ने में मदद करती हैं
- बॉडी को डिटॉक्सीफाई करने के साथ ही ब्लड को प्यूरीफाई करती हैं
- डायजेशन को इम्प्रूव करती हैं
- स्किन को जवां बनाती हैं
- इम्यूनिटी को बढ़ाती हैं
- मेंटल हेल्थ को बूस्ट करती हैं
यह हम आपको कुछ ऐसी हर्ब्स के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए अपने डेली रूटीन में शामिल कर सकते हैं। अगर आपको किसी हर्ब से एलर्जी है तो डॉक्टर की सलाह के बिना इसका उपयोग ना करें।