जब किसी भी प्रकार की बीमारी होती है, तो हम पहले डॉक्टर के पास जाते हैं। डॉक्टर की ओर से दी जाने वाली मेडिसिन बीमारी को ठीक करने का काम करती है। वहीं जब कोई छोटी समस्या होती है, तो हम लोग घरेलू उपचार की सहायता से ही उसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। जरा-सी चोट लगने पर मां ने आपको भी हल्दी वाला दूध पीने की सलाह जरूर दी होगी। सिर्फ हल्दी ही क्यों, मेथी, सौंफ, अजवाइन, दालचीनी, अदरक, लहसुन आदि भी घरेलू उपाचार के रूप में उपयोग लाए जाते हैं। पेड़ से मिलने वाले ये हर्ब्स शरीर की कई समस्याओं को दूर करने का काम करते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हर्बल एंड अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। हम लोग भले ही बड़ी आसानी से इन हर्ब्स का उपयोग कर लेते हैं, लेकिन कम ही लोगों को इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में जानकारी होगी। जानिए हर्बल एंड अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के बारे में अधिक जानकारी।
कई बीमारियों में हर्बल की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में आयुर्वेदा क्लीनिकल डॉक्टर अर्पिता सी राज का कहना है, “हर्बल उपचार को समझने से पहले आपको आयुर्वेद क्या है, यह जानना होगा। आयुर्वेद प्राकृतिक समाग्रियों से बनी एक प्रचानी भारतीय पद्धति है। इसमें प्रयोग की जाने वाली अषौधियां कई चमक्तकारी गुणों से भरपूर है। कापा, पित और वात यह तीनों आयुर्वेद के तीन महत्वपूर्ण अंग है, जिनके आधार पर चिकित्सा की जाती है। कई गंभीर बीमारियों में जहां एलोपैथिक दवा काम नहीं आती है, वहां पर आयुर्वेद के कई चमक्तकारी गुण देखने को मिले हैं। हर्बल समाग्री कई छोटी से बड़ी बीमारी के इलाज में सकारात्मक प्रभाव दिखाते हैं। इसीलिए हमारे भारतीय मसालों के रूप में कई जड़ी बूटियां भी शामिल हैं, जैसे कि कच्ची हल्दी, जो कि एंटी बैक्टीरियल होने के साथ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के होने की संभावना को रोकती है। इसी तरह मेथी, अजवायन, अदरक, दालचीनी और लौंग। इन सबके भी अलग-अलग अपने कई गुण हैं।”
अगर हम बात करें हर्बल की, तो हर्ब्स प्लांट या पेड़ का पार्ट होता है, जिसका उपयोग चिकित्सा में किया जाता है। हर्बल मेडिसि न को डायटरी सप्लिमेंट का एक प्रकार भी कहा जा सकता है। हर्ब्स को मेडिसिन के रूप में, कैप्सूल के रूप में, पाउडर या सूखे पत्तों के रूप में लिया जाता है। वहीं अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के रूप में एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, आयुर्वेद, अरोमोपैथी, होम्योपैथी, न्यूरोपैथी आदि का उपयोग भी विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के रूप में किया जाता है।हर्बल यानी पेड़ से प्राप्त होने वाली औषधी है। पेड़ से मिलने वाली औषधी का उपयोग मेडिसिन के रूप में किया जाता है। विभिन्न प्रकार की हर्ब्स शरीर के विभिन्न प्रकार के हिस्से में होने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
हर्बल मेडिसिन में एक्टिव इंग्रीडिएंट या सक्रिय घटक होता है। कुछ हर्बल मेडिसिन्स एक एक्टिव इंग्रीडिएंट पर आधारित होती हैं, जो कि सोर्स प्लांट से संबंधित होती है। कुछ हर्बल जानकारों का मानना है कि मेडिसिन में एक्टिव इंग्रीडिएंट पेड़ से अलग हो जाने के बाद कम हो जाते हैं। जैसे कि सैलिसिलिक एसिड मीडोस्वीट (meadowsweet) में पाया जाता है और इसका उपयोग एस्पिरिन बनाने में किया जाता है।
एक बात का ध्यान हमेशा रखें कि किसी भी हर्बल का मतलब नैचुरल जरूर होता है लेकिन किसी भी हर्बल का प्रयोग करने से पहले आपको एक्सपर्ट की राय जरूर ले लेनी चाहिए, वरना आपके शरीर में साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। जानिए कुछ हर्बल के बारे में, जो बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं।
इचिनेशिया (echinacea)- ये हर्बल प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में और इंफेक्शन से लड़ने में शरीर की सहायता करती है। साथ ही फोड़े, बुखार और दाद जैसे रोगों का इलाज करने के लिए भी इसे उपयोग में लाया जाता है।
डोंग काई (dong quai)- स्त्रीरोग संबंधी शिकायतों यानी महिलाओं से संबंधित समस्याएं जैसे कि प्रीमेंस्ट्रुअल टेंशन के लिए, मोनोपॉज के लक्षणों के लिए और पीरियड्स के पेन से छुटकारा पाने के लिए ये हर्बल उपयोग में लाया जाता है।
अदरक (Ginger) – कई मेडिकल रिसर्च में ये बात सामने आई है कि अदरक मतली के इलाज में उपयोगी है। इसका उपयोग करने से मोशन सिकनेस और मॉर्निंग सिकनेस की समस्या से राहत मिलती है।
लहसुन (Garlic) – लहसुन ब्लड फैट्स और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है। लहसुन में एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुण होते हैं। ये सर्दी, साइनसाइटिस और अन्य सांस से संबंधित संक्रमणों से लड़ने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
जिन्कगो बिलोबा (ginkgo biloba ) – ये हर्बल पूअर ब्लड सर्कुलेशन और टिटनेस के इलाज के रूप में उपयोग में लायी जाती है।
जिनसेंग (ginseng) – आमतौर पर जिनसेंग का उपयोग थकान का इलाज करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। जिनसेंग का अत्यधिक उपयोग हानिकारक हो सकता है।
हायपरिकम (hypericum) – इसे सेंट जॉन के पौधे के रूप में भी जाना जाता है। ये माइल्ड से मीडियम डिप्रेशन को कंट्रोल करने का काम करती हैं। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या होती है, उनको भी हायपरिकम लेने की सलाह दी जा सकती है।
हर्बल के बाद अब जानिए अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के बारे में (Herbals & Alternatives)
बीमारी का इलाज जड़ी-बूटी यानी हर्बल के माध्यम से किया जा सकता है, लेकिन किस बीमारी में कौन-सी जड़ी-बूटी का सेवन करना चाहिए, ये आपको हर्बल एक्सपर्ट ही बता सकते हैं। ठीक उसी तरह से बीमारी के दौरान अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट भी लिया जाता है। किसी बीमारी के इलाज के लिए अल्टनेटिव हीलिंग थेरिपी की मदद भी ली जा सकती है। कई रिसर्च में अल्टरनेटिव हीलिंग प्रोसेस की सहायता से लोगों को लाभ मिलने की बात सामने आ चुकी है, वहीं कुछ अभी भी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नही हैं। माना जाता है कि अल्टरनेटिव प्रोसेस हजारों साल पुरानी है और लोग नैचुरल हीलिंग पर अधिक विश्वास करने लगे हैं। हम आपको बताएंगे कि आखिर आप हर्बल के साथ-साथ किन अल्टरनेटिव हीलिंग प्रोसेस की हेल्प से खुद को स्वस्थ्य रख सकते हैं।
हर्बल एंड अल्टरनेटिव : अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के रूप में आयुर्वेद (Ayurveda)
क्या आप आयुर्वेद का मतलब समझते हैं ? आयुर मतलब ‘लाइफ’ और वेद मतलब ‘नॉलेज’ । आयुर्वेद एक प्राकृतिक उपचार तकनीक है, जो हमारे शरीर में तीन फंडामेंटल लाइफ फोर्स यानी दोष वात, पित्त और कफ में बैलेंस बनाने का काम करता है। आयुर्वेद की सहायता से बीमारी का इलाज करने में भले ही अधिक समय लगता हो, लेकिन बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आयुर्वेद प्राचीन भारत की प्रमुख चिकित्सा पद्धति रह चुकी है। आयुर्वेद के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि मनुष्य में पैदा होने वाले दोष पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु के कारण होते हैं। शरीर में पैदा होने वाले असंतुलन को नियंत्रित करने के लिए डायट के साथ ही व्यक्ति को अन्य गतिविधियों में सुधार लाने की सलाह दी जाती है। इस तरह से आयुर्वेद के माध्यम से बीमारियों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में उपचार के दौरान औषधियों का उपयोग किया जाता है।
लगभग 18 वीं शताब्दी में होम्योपैथी की उत्पत्ति जर्मनी में हुई थी। होम्योपैथी के जन्मदाता सैमुएल हैनीमेन है। वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में होम्योपैथी लोगों के बीच लोकप्रिय है। अल्टरनेटिव मेडिसिन्स के रूप में होम्योपैथी में जड़ी-बूटी के साथ ही प्राकृतिक दवाओं का भी उपयोग भी किया जाता है। होम्योपैथी का नियम हैं कि औषधियां उन रोगों को ठीक करने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं, जिनका कारण वो खुद हो सकती है। यानी अगर कोई औषधी रोग उत्पन्न कर सकती है, तो वो ही औषधी उस रोग को ठीक भी कर सकती है। रोग एक्यूट है या फिर क्रॉनिक, होम्योपैथी में बीमारी का इलाज कम दवा के माध्यम से किया जाता है। होम्योपैथी अल्टरनेटिव मेडिसिन्स का उपयोग करने वाले लोगों को परहेज भी करना पड़ता है। अगर कोई इमरजेंसी है, तो डॉक्टर से पूछने के बाद पेशेंट एलोपैथी और होम्योपैथी दवाओं का सेवन कुछ समय के अंतराल में कर सकता है।
एक्यूपंक्चर का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज में किया जाता है। एक्यूपंक्चर की सहायता से पेन रिलीफ यानी दर्द से छुटकारा मिलता है। एक्यूपंक्चर नैचुरल पेन रिलीफ टेक्नीक है, जिसमे प्रेशर पॉइंट अहम होते हैं। एक्यूपंक्चर की प्रोसेस के दौरान बॉडी के कुछ प्रेशर बिंदु में सुई चुभाई जाती है। अगर किसी भी व्यक्ति को लगातार दर्द की शिकायत रहती है, तो वो एक्यूपंक्चर का सहारा ले सकता है। एक्यूपंक्चर का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। कुछ बीमारियां जैसे कि सिरदर्द की समस्या, ब्लड प्रेशर, शरीर के विभिन्न भागों में दर्द का एहसास या खांसी आने की समस्या में भी एक्यूपंक्चर का सहारा लिया जा सकता है। एक्यूपंक्चर के दौरान नर्व की पहचान कर स्किन में बारीक सुईं चुभाई जाती है। कुछ लोगों के मन में ये भ्रम होता है कि एक्यूपंक्चर के दौरान इस्तेमाल की जानी वाली सुई शरीर को घायल कर सकती है। जबकि ऐसा नहीं होता है। जब सुई को चुभाया जाता है, तो हल्का दर्द महसूस हो सकता है लेकिन ये घाव का कारण नहीं बनती। लोग एक्यूट से लेकर क्रॉनिक पेन के ट्रीटमेंट के लिए एक्यूपंक्चर का सहारा लेते हैं। अगर आपको एक्यूपंक्चर हीलिंग अल्टरनेटिव थेरिपी करवानी हैं, तो बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से ही करवाएं।
एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर को लोग अक्सर एक जैसा समझने की भूल करते हैं जबकि ऐसा नहीं होता है। दोनों ही अलग हीलिंग अल्टरनेटिव थेरिपी हैं। एक्यूप्रेशर हीलिंग अल्टरनेटिव थेरिपी में शरीर के किसी निश्चित स्थान पर प्रेशर बनाया जाता है जिससे पेन यानी दर्द से राहत मिलती है, जबकि एक्यूपंक्चर में शरीर के विभिन्न हिस्सों यानी में सुई चुभाई जाती है। एक्यूप्रेशर चाइनीज ट्रीटमेंट है। ये विभिन्न प्रकार की समस्याओं जैसे कि सिरदर्द की समस्या, चिंता, मितली, पीठ दर्द और नींद न आने जैसी समस्याओं से राहत दिलाने का काम करता है। एक्यूप्रेशर मेंटल डिजीज को ठीक करने में भी सहायता करता है। एक्यूप्रेशर करते समय इन बातों का ध्यान रखा जाता है कि शरीर का कौन-सा हिस्सा किससे जुड़ा है। ऐसा करने से व्यक्ति को राहत का एहसास होता है। अगर आपको एक्यूप्रेशर हीलिंग अल्टरनेटिव थेरिपी करवानी हैं, तो बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से ही करवाएं।
अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के रूप में अरोमाथेरिपी ( Aromatherapy)
अरोमाथेरिपी को होलिस्टिक थेरिपी कहा जाता है। इसमे कुछ असेंशियल ऑयल की मदद से हेल्थ को इंप्रूव करने का काम किया जाता है। तेल की सुगंध कई शारीरिक समस्याओं को हल करने में मदद करती है। बीमारी के अनुसार ही असेंशियल ऑयल का इंफ्यूजन किया जाता है। अगर आप भी अरोमाथेरेपी लेना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से इस बारे में पहले जानकारी जरूर लें।
अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के रूप में नैचुरोपैथी ( Naturopathy)
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि ये अल्टरनेटिव हीलिंग थेरिपी नैचुरल तरीके से शारीरिक समस्याओं को खत्म करने का काम करती है। नैचुरोपैथी ( Naturopathy) के अंतर्गत आपको कब खाना चाहिए, कब नहीं खाना चाहिए, कौन-से खाने से परहेज करना चाहिए आदि बातों पर जोर दिया जाता है। ऐसा करने से लोगों को अपने शरीर में बहुत-से परिवर्तन महसूस होते हैं।
डायबिटीज की समस्या से निपटने के लिए लाइफस्टाइल में सुधार बहुत जरूरी है। मधुमेह की समस्या से निपटने के लिए मेथी पाउडर, जामुन के बीज, नीम पाउडर, करेले के पाउडर को मिक्स कर दिन में दो बार लिया जा सकता है। अब किसी भी बीमारी के इलाज के लिए बिना एक्सपर्ट की सलाह से कोई भी हर्बल मेडिसिन न लें।
ब्लड प्रेशर की समस्या पर
ब्लड प्रेशर की समस्या से अधिकतर लोग पीड़ित रहते हैं। अगर अच्छी लाइफस्टाइल फॉलो की जाए, तो बीपी की समस्या को दूर भगाया जा सकता है। कुछ फूड या मसाले ऐसे होते हैं, जो घर में आसानी से मिल जाते हैं। ब्लड प्रेशर की समस्या से निपटने के लिए हर्बल में तुलसी, दालचीनी, इलायची, लहसुन,अदरक आदि खाने की सलाह दी जाती है। आप अपनी डायट में इन्हें जरूर शामिल करें।
कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने पर
कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं। गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर को फायदा पहुंचाता है, वहीं बेड कोलेस्ट्रॉल शरीर को नुकसान पहुंचाता है। अगर आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ गया है तो आपको खानपान में सुधार की जरूरत है। मेथी के बीज और पत्ते, तुलसी का सेवन, आटिचोक लीव्स आदि कोलेस्ट्रॉल की समस्या को नियंत्रित करने का काम करती है। आप इस बारे में हर्बल एक्सपर्ट से भी राय ले सकते हैं।
वेट लॉस के लिए
वजन बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। अगर आपका वजन अचानक से बढ़ गया है तो आपको जांच जरूर करानी चाहिए। आप वजन हटाने के लिए बैलेंस्ड डायट लें। वेट लॉस के लिए हर्बल ट्रीटमेंट के तौर पर लेमन वॉटर, मेथी दाना, काला जीरा आदि खाने की सलाह दी जाती है।
बाल झड़ने की समस्या के लिए
हेयर लॉस भी कई कारणों से होता है। स्ट्रेस, थायरॉयड, डायबिटीज आदि कारणों से बाल झड़ने की समस्या हो सकती है। हेयर लॉस की समस्या से निपटने के लिए एलोवेरा, कोकोनट ऑयल, प्याज का तेल आदि उपयुक्त मानें जाते हैं। बेहतर होगा कि आप पहले बीमारी का इलाज कराएं और उसके बाद घरेलू उपाय अपनाएं।
अर्थराइटिस की समस्या में
अर्थराइटिस की समस्या के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। अर्थराइटिस की समस्या होने पर एलोवेरा का उपयोग पिल्स के रूप में या फिर मेडिसिन के रूप में किया जाता है। साथ ही यूकलिप्टस (Eucalyptus) का उपयोग भी अर्थराइटिस में राहत प्रदान करता है।
क्या हर्बल एंड अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट सुरक्षित हैं ?
हर्बल एंड अल्टरनेटिव या फिर हर्बल प्रोडक्ट का सेवन सभी के लिए सुरक्षित हो, ये जरूरी नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही कोई हेल्थ कंडीशन है, तो ऐसे में हर्बल का सेवन नुकसानदायक भी हो सकता है। बिना एक्सपर्ट की सलाह के कभी भी किसी हर्ब्स का सेवन नहीं करना चाहिए। घर में उपलब्ध हर्बल जैसे कि हल्दी, अदरक, लहसुन, मेथी, अजवाइन आदि का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। बेहतर होगा कि आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर लें।
किन लोगों को हर्बल का सेवन नहीं करना चाहिए ?
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि अगर कोई भी व्यक्ति एक्सपर्ट की देखरेख में हर्बल मेडिसिन का सेवन कर रहा है, तो उसे खतरा नहीं होता। जो लोग पहले से किसी बीमारी की दवा ले रहे हैं या फिर प्रेग्नेंट महिला, ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं को हर्बल का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर बहुत ही जरूरी है, तो पहले एक्सपर्ट से इस बारे में राय जरूर लेनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता, तो दुष्प्रभाव दिखने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ हर्बल एल्कोहॉल के साथ भी रिएक्शन कर सकते हैं। ऐसे में अधिक सतर्कता की आवश्यकता होती है।
क्या हर्बल प्रोडक्ट का इस्तेमाल एंटीबायोटिक्स के साथ किया जा सकता है ?
हर्बल प्रोडक्ट का इस्तेमाल एंटीबायोटिक्स के साथ न करने की सलाह दी जाती है। अगर किसी कारणवश एंटीबयोटिक लेने वाले व्यक्ति को हर्बल प्रोडक्ट लेना पड़े, तो बिना डॉक्टर से परामर्श किए ऐसा बिल्कुल भी न करें। हर्बल प्रोडक्ट एंटीबायोटिक के साथ रिएक्शन कर सकते हैं, जो कि शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
एलोवेरा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। एलोवेरा का पौधा ज्यादातर घरों में आसानी से उपलब्ध होता है। स्किन संबंधि समस्याओं से छुटकारा दिलाने के साथ ही पुराने ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्या, खुजली और सूजन की समस्या, वजन घटाने के लिए, पेट के अल्सर को ठीक करने के लिए एलोवेरा का उपयोग किया जा सकता है।
हल्दी
हल्दी हर घर में उपयोग की जाती है। आयुर्वेद से लेकर आधुनिक चिकित्सा पद्धति तक, हर जगह हल्दी की उपयोगिता के बारे में पता चलता है। हल्दी का सेवन करने से गैस की समस्या से राहत, हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से राहत,त्वचा में जलन की समस्या से राहत, आर्थराइटिस की समस्या आदि के निदान के लिए किया जाता है।
अनार
अनार औषधीय गुणों से भरपूर होता है। अनार के बीज, फूल, पत्ती, छाल, जड़ आदि का उपयोग हर्बल मेडिसिन में किया जाता है। अनार में एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं। ये स्ट्रेस से राहत में, अच्छी हार्ट हेल्थ के लिए, इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है।
नींबू
नींबू विटामिन सी से भरपूर होता है। विटामिन सी इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करता है। स्कर्वी के पेशेंट के लिए नींबू का सेवन करना बहुत जरूरी है। जिन लोगों को अक्सर फ्लू की समस्या या फिर कोल्ड की समस्या हो जाती है, उन्हें हर्बल के रूप में नींबू का सेवन करना चाहिए। नींबू का अधिक मात्रा में सेवन न करें।
मेथी
जिन लोगों को पाचन संबंधित समस्या रहती है, उनके लिए मेथी का सेवन उपयोगी साबित हो सकता है। मेथी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। मेथी का सेवन करने से ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में दूध की मात्रा को बढ़ाता है। साथ ही मेथी के सेवन से मसल्स पेन से राहत मिलती है। मेथी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं।
दालचीनी
दालचीनी एंटीफंगल, एनाल्जेसिक और एंटीसेप्टिक के रूप में काम करती है। दालचीनी का सेवन करने से वजन कम करने में सहायता मिलती है। स्ट्रेस के लेवल को कम करने के लिए भी दालचीनी का सेवन किया जा सकता है। जिन लोगों में ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, वो दालचीनी का सेवन कर सकते हैं। किसी भी बीमारी के उपचार के रूप में अगर आप हर्बल का सेवन कर रही हैं, तो हर्बल एक्सपर्ट से एक बार राय जरूर लें।
हर्बल प्रोडक्ट लेने पहले जान लें, क्या करें और क्या न करें
घर पर असानी से मिलने वाले हर्बल का प्रयोग आप सीमित मात्रा में करेंगे, तो आपको किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
बिना जानकारी लिए किसी भी हर्बल प्रोडक्ट की लगातार ली जाने वाली मात्रा आपको नुकसान पहुंचा सकती है।
ये जरूरी नहीं है कि दवाएं सभी व्यक्तियों पर एक जैसा ही असर करें। किसी के शरीर में कम, तो किसी के शरीर में अधिक असर दिख सकता है। ऐसे में किसी की बातों में आए बिना एक्सपर्ट से राय जरूर लें।
आप जो भी अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट अपना रहे हैं, उसके बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। हर्बल प्रोडक्ट या फिर आयुर्वेद की सहायता अगर आप बीमारी को खत्म करना चाहते हैं, तो कुछ परहेज भी करने पड़ते हैं। आपको इस संबंध में डॉक्टर बेहतर बता सकते हैं।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको हर्बल प्रोडक्ट या फिर हर्बल एंड अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के बारे में अधिक जानकारी चाहिए हो, तो बेहतर होगा कि आप हर्बल एक्सपर्ट से जानकारी जरूर लें।
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