2. लेमोना ड्रिंक

नीबूं में विटामिन-सी की उच्च मात्रा में पायी जाती है। यह बॉडी को डिटॉक्स करने में काफी प्रभावकारी है। लेमेन ड्रिंक का आप रोज सेवन कर सकते हैं। इसे ब्यूटी ड्रिंक भी कहा जाता है।
सामग्री
- 2 नींबू का रस
- 5 नींबू की स्लाइस
- 3 बंच मिंट
- 1/2 कप शहद
- कुचला बर्फ
विधि
1. इसे बनाने के लिए आप एक पैन में सभी सामग्री को डालकर मिला लें। फिर इसे पीएं या सर्व करें।
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3- खीरा मिंट डेटॉक्स ड्रिंक

खीरा गर्मियों के मौसम में सबसे अच्छा माना जाता है। यह बॉडी को डिॉक्स करने के साथ पेट के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसके साथ पुदीने का इस्तेमाल पेट की समस्याओं के दूर करता है। इसके माध्यम से पाचन प्रक्रिया और पित में काफी सुधार आता है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खीरे और नींबू के साथ मिंट वाली ये ड्रिंक वेट लॉस में भी काफी प्रभावकारी है।
सामग्री:
- 1 खीरा छिला हुआ
- 8-10 पुदीने की पत्तियां
- 2 बड़े चम्मच नींबू का रस
- गर्म पानी
- नींबू के छल्ले और पुदीने के पत्ते
विधि
- इसे बनाने के लिए खीरे को छिल लें, काट लें। अब खीरे को पुदीने की पत्तियाें को पानी में मिलाएं।
- अब इसमें नींबू का रस और काला नमक डालें।
- फिर इसे सर्व करें।
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4. अनार का जूस
अनार और चुकंदर की अच्छाई के साथ डिटॉक्स, जिसे आयुर्वेद में क्लींजिंग और डिटॉक्स लाभों के लिए बहुत महत्व दिया जाता है। इस जूस के साथ ताजे एलाेवेरा का इस्तेमाल किया जाता है।

सामग्री
- 1 ताजा पत्ता एलोवेरा
- 1/2 कप चुकंदर, कटा हुआ
- 2 कप अनार का रस या आंवला का रस (भारतीय आंवला)
- 1/4 टीस्पून काली मिर्च पाउडर
विधि
1. इसे छिलकर इसका जूस निकाल लें।
2. पीली परत को तेज चाकू से छिलके के नीचे रखें और आपको लगभग 2 बड़े चम्मच (30 मिली) साफ एलोवेरा जेल के साथ छोड़ देना चाहिए। (रस को जोड़ने से पहले जेल को साफ करें।)
3. एक ब्लेंडर में अनार का रस, कटा हुआ चुकंदर और मिश्रण डालें।
4.अब एलोवेरा जेल डालें।
5. थोड़ा काली मिर्च डालकर सर्व करें।
5- शहद नींबू अदरक की चाय
चाय के लिए भारत और उसके प्यार को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। अदरक, शहद और नींबू के संकेत के साथ मसालेदार इस पेय का उपयोग लंबे समय से गले में खराश और सर्दी के इलाज के लिए किया जाता है। लेकिन मनगढ़ंत बातें जितना आपने सोचा था उससे कहीं अधिक लाभ पहुंचाती हैं

सामग्री
- 3 कप पानी
- 1 छोटा चम्मच अदरक, बारीक कटा हुआ
- 1 चम्मच चाय की पत्ती, हर कप के लिए
- 1 चम्मच नींबू का रस
- 1 चम्मच शहद
विधि
1. एक पैन में 3 कप पानी गर्म करें।
2. इसके बाद इसमें अदरक डालकर उबालना शुरू कर दें।
3. चाय की पत्तियों, नींबू का रस और शहद जोड़ें।
4. इसे पीए या सर्व करें।
और पढ़ें: नारियल पानी के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Coconut Water (Nariyal Pani)
6- नींबू और नारियल पानी

सामग्री:
- 1 नारियल
- पुदीने की पत्तियां
- 1 बड़ा चम्मच शहद
- 1 नींबू
विधि
1. एक गिलास में नारियल का पानी लें और एक बाउल में नारियल के गूंदे को मैश्ड कर लें।
2. पुदीने को भी बारीक काट लें।
3. इसे नारियल पानी में मिलाएं।
4. अब शहद और नींबू के रस और सभी सामग्री को एक साथ मिक्स करें।
5. इसके बाद इसे सर्व करें।
7- जिंजर डिटॉक्स ड्रिंक

अदरक का सेवन ज्यादातर चाय के साथ सेवन किया जाता है, इसलिए भ्ज्ञ
सामग्री
- 1/2 कप अदरक (कीमा बनाया हुआ)
- 1/2 कप ताजा नींबू का रस
- बर्फ के टुकड़े (आवश्यकतानुसार)
- 1 गिलास लीची का रस
- 1 कप अंगूर
- 1/2 कप चिया सीड्स
- पुदीने की पत्तियां
- एक चुटकी नमक
विधि-
1. एक जार में, कीमा बनाया हुआ अदरक, नींबू का रस और लीची का रस डालें।
2. स्वाद के लिए कुछ बर्फ, नमक डालें और अच्छी तरह से ब्लेंड करें।
3. इसे एक जार में डालें। इसमें कटा हुआ अंगूर और चिया बीज डालें। इसे चम्मच से अच्छी तरह मिलाएं।
4. आमतौर पर इसे कुछ पुदीने की पत्तियों से गार्निश करें और ठंडा परोसें।
और पढ़ें: कीटो डायट और इंटरमिटेंट फास्टिंग: दोनों है फायदेमंद, लेकिन वजन घटाने के लिए कौन है बेहतर?
भोजन में क्या लें
वैदिक जीवनचर्या के पालन में पर्याप्त मात्रा में गरम पानी पीने की सलाह दी जाती है। जिससे पसीने के रूप में सभी टॉक्सिन बाहर निकल जाएं। इसके अलावा योग के लिए भी कहा जाता है, ताकि पसीने के माध्यम से भी । यह शरीर में शरीर में रक्तसंचार को भी बढ़ाता है। योग करने से बॉडी डिटॉक्स होने के साथ वेट लॉस भी होता है। मसल्स टोनड होती है और रोगी तनावमुक्त महसूस करता है।
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पाचन प्रक्रिया और अपच की समस्या को मुक्त कर के, डायजेस्टिव सिस्टम को अच्छा बनाता है
नींद की समस्या को दूर करता है पेट न साफ होने की समस्या में ये काफी प्रभावकारी है
बाल तथा आंखों के समस्या से भी निदान
पेट फूलना तथा कमर या जोड़ों में दर्द से आराम
शारीरिक ऊर्जा में सुधार
आयर्वेदिक डीटॉक्स डायट टॉक्सिन के लिए सटीक दवा है ।आयुर्वेद ने दुनिया को पांच तत्वों में विभाजित किया है – वायु (Air), पृथ्वी (Earth), तेजा (Fire), आकाश (Space), और जल (Water) प्रत्येक तत्व के विभिन्न संयोजनों से बनते हैं तीन दोष जो आपके शरीर में विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए जिम्मेदार हैं। यह तीन दोष वात, कफ और पित्त हैं।उचित स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए, तीन दोषों, साथ ही पांच तत्वों के बीच संतुलन बनाए रखना अनिवार्य है। यदि असंतुलन मौजूद है, तो बीमारी होने का आशंका हैं।अपने दोष को ध्यान में रखके डीटॉक्सीफाई करने से शुद्धिकरण प्रक्रिया अधिक प्रभावी होती है।
कितनी बार डिटॉक्स कर सकते हैं-
वैसे तो इस डायट को हर तीन महीने में एक बार अपनाया जा सकता है। अधिक उम्र वाले लोगों के लिए यह डिटॉक्स साल में एक बार करना ठीक है। यह आपके शरीर में जमे हुए आंव की मात्रा पर निर्भर करता है। डिटॉक्स डायट आहार दो प्रकार के होते हैं। पहला आहार, आम तौर पर सभी लोगों के लिए फायदेमंद होता है और कोई भी इसका सेवन कर सकता है। दूसरे आहार में लोगों के शरीर में मौजूद बहिर्जात पदार्थ (“आंव”) के मात्रा तथा शरीर के किस हिस्से में इसका प्रभाव ज्यादा है, इसके आधार पर तय किया जाता है।
कितने अन्तराल में पुन: अपनाना चाहिए?
अगर आप डिटॉक्टस डायट को तुरंत दोहराना चाहते हैं, तो इसे हर तीन महीने के बाद 10 दिन के लिए आप डीटॉक्स डायट अपना सकते हैं। हर साल सीजन चेंज होने दौरान यानि एक साल में चार बार हम इसे ले सकते है। भोजन में भी कुछ बदलाव होता है। इस समय शरीर में आंव जमा होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
पुन: पारम्परिक भोजन शैली
डीटॉक्स डायट के समयकाल समाप्त होने के बाद धीरे-धीरे अपनी पुरानी भोजन शैली में लौट आना आवश्यक है। लेकिन हमें हमेशा संतुलन और स्वस्थ भोजन का सेवन करना चाहिए। असंतुलित भोजन शैली से हमारे शरीर में फिरसे आंव उत्पन्न कर सकती है।
और पढ़ें: आयुर्वेदिक चाय क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है?
मालिश
आयुर्वेदिक मसाज थेरिपी भारत की सबसे प्राचीन मसाज चिकित्सा पद्धिति है, इसमें जड़ी-बूटियों से बने ऑयल से शरीर की मसाज की जाती है। यह भी एक तरह का डिटॉक्स है। इससे त्वचा खूबसूरत होने के साथ बॉडी टाइटनिंग के लिए, शरीर में होने वाली सूजन को कम करने में, दर्द कम करने, थकान दूर करने और तनाव कम करने आदि परेशानियों में प्रभावकारी है। कई गुणों से भरी मसाज थेरिपी भारत में काफी लोकप्रिय है। आयुर्वेदिक उपचार का सही समय मानसून का मौसम होता है, क्योंकि इस समय वातावरण नम और ठंढा होता है। इसमें इस्तेमाल किए जानें वाले हर्बल ऑयल बहुत ही प्रभावकारी होते हैं। ये आयुर्वेदिक औषधियां मेटाबालिज्म, स्ट्रेस और चिरकालिक रोगों के लिए एक बेहतर और प्रभावशाली उपाय है। कीमोथेरेपी और अन्य दूसरी बीमारियों के लिए इसका काफी उपयोग किया जाता है। इसका प्रयोग पुनयरवन और सौंदर्य कार्यो के लिए भी होता है। अगर आप इस पद्धति के जरिए अपना उपचार कराना चाहते हैं तो अपको कम से कम दो हफ्ते का समय देना पड़ेगा। इस दो हफ्ते के कोर्स में हर्बल और अन्य जड़ी-बूटियों के जरिए आपकी मालिश या मसाज की जाएगी।
मेडिटेशन
दैनिक ध्यान और माइंडफुलनेस प्रैक्टिस आयुर्वेदिक डिटॉक्स के प्रमुख घटक हैं। विभिन्न श्वास तकनीकों का उपयोग करके, ध्यान आपको दैनिक विकर्षणों से दूर करने, चिंता को कम करने, अपने तनाव के स्तर को कम करने और रचनात्मकता और आत्म-जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकता है। ध्यान 10 मिनट से लेकर 1 घंटे तक कहीं भी रह सकता है।माइंडफुलनेस का अभ्यास करना आपको वर्तमान क्षण में रहने की अनुमति देता है। जब आप भोजन करते हैं, व्यायाम करते हैं, और अन्य दैनिक कार्य करते हैं, तो आपको माइंडफुलनेस का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
क्या आयुर्वेदिक डिटॉक्स प्रभावी है?
आयुर्वेदिक डिटॉक्स आपके शरीर को साफ करने में मदद करता है और यह स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है। हालांकि वज्ञानिकों द्वारा आयुर्वेद पर कोई बहुत ज्यादा प्रमाण नहीं है। लेकिन आयुर्वेदिक डिटॉक्स में इस्तेमाल होने वाले घटकों के कई लाभ बताए गए हैं। आयुर्वेद में उन भोजनों के उपर ज्यादा जोर दिया जाता है, जो असानी से पच जाते हैं। ऐसे भोजन जिसका जिसका आधा हिस्सा पोषक तत्वों के रूप में शरीर में अवशोषित हो जाता है और बाकी हिस्सा अपशिष्ट उत्पादों के रूप में शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। लेकिन कई बार अनहेल्दी भ आहार, धूम्रपान, शराब, तनाव, पर्यावरण, अस्वास्थ्यकर आदतें) के कारण हम जो भोजन करते हैं वह पूरी तरह से पच नहीं पाता है।
आयुर्वेद ने ऐसे विष को “आंव” नाम दिया है। किसी भी बीमारी के पहले चरण को कभी-कभी “आमा” भी कहा जाता है।यह आंव को शरीर से पूर्णतः निष्काषित करने के लिए हमें आयुर्वेद के नियमानुसार शुद्धिकरण की प्रक्रिया का पालन करना चाहिये।
वजन घटाने के लिए आयुर्वेद डिटॉक्स ?
वेट लॉस के लिए आयुर्वेद डिटॉक्स काफी प्रभावकारी है। दस्त, कब्ज, अस्थमा, गठिया, त्वचा के मुद्दों और मूत्र पथ के संक्रमण जैसी बीमारियों का कारण माना जाता है। वहीं ये तीनों वजन घटाने के लिए भी बहुत जरूरी है और बॉडी डिटॉक्स का अभिन्न हिस्सा है। जैसे कि मल और मूत्र के जरिए शरीर की गंदगी आसानी से बाहर आ सकती है। तो आइए जानते हैं इसे करने का तरीका।
अन्य लाभ
आयुर्वेदिक डिटॉक्स पर बहुत कम वैज्ञानिक शोध है, जिससे यह जानना मुश्किल हो जाता है कि क्या यह कोई दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है।
हालाँकि, आयुर्वेदिक जीवनशैली कई स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देती है। सीमित अल्कोहल और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के साथ पूरे खाद्य पदार्थों के आहार को हृदय रोग, मधुमेह, मोटापे और कुछ प्रकार के कैंसर के कम जोखिम से जोड़ा गया है।