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आयुर्वेदिक चाय क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/12/2020

    आयुर्वेदिक चाय क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

    वैसे तो चाय सेहत के लिए बिल्कुल अच्छी नहीं मानी जाती है, क्योंकि इसमें कैफीन की अधिक मात्रा पाई जाती है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स भी चाय से परहेज या सीमित मात्रा में सेवन की सलाह देते हैं। लेकिन लोगों से ऐसा हो नहीं पाता। भारत में अधिकतर लोग चाय के शौकिन हैं और उनका साफ कहना है कि वो अपनी इस आदत को छोड़ नहीं सकते, ये बात जानते हुए भी की चाय उनकी सेहत के लिए अच्छी नहीं है। अगर इस बारे में हम डाॅक्टरों की राय मानें, तो उनका कहना है कि अगर आप चाय के शाैकिन हैं, तो आप साधारण चाय की जगह आयुर्वेदिक चाय का सेवन करें। इसे काढ़ा और हर्बल टी भी कहा जाता है। यह नॉर्मल चाय से बिल्कुल अलग होती हैं और आर्युवेद में इसका इस्तेमाल व्यक्ति को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक टी के बारे में विस्तार से जानिए इस आर्टिकल में।

    क्या है आयुर्वेदिक चाय?

    आयुर्वेद में चाय शब्द का इस्तेमाल नहीं होता है, इसे काढ़ा कहा जाता है। आप इसे हर्बल टी समझ सकते हैं, इसमें कैफीन बिल्कुल नहीं होता  और इसे जड़ी-बूटियों और देसी मसालों के इस्तेमाल से बनाया जाता है। ये हर्बल टी शरीर के दोषों को बैलेंस करता है। यह वात, पित्त और कफ दोष को संतुलित करके शरीर का संतुलन और तारतम्य बनाए रखता है। इसे खाने के साथ, बाद में या कभी भी पिया जा सकता है।

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    एक्स्पर्ट की राय

    इसके बारे में वेदा हेल्थकेयर क्लीनिक के वेद आयुष ठाकुर का कहना है कि जैस कि ये कोराेना काल चल रहा है, तो ऐसे में ये आयुर्वेदिक चाय लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए काफी प्रभावकारी है। इसमें कई ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को फिट रखने के साथ कई गंभीर बीमारियों से भी बचाने में साहयक है। हर्बल टी में इस्तेमाल दालचीनी, कच्ची हल्दी, अदरक, शहद और अजवाइन आदि का इस्तेमाल होता है।

    आयुर्वेदिक चाय के फायदे

    आयुर्वेदिक चाय के बहुत से हेल्थ बेनिफिट्स है, यह वजन घटाने में मदद करने के साथ ही, अपच, स्किन को निखारने और शरीर को डिटॉक्टस करके जीवन की गुणवत्ता सुधारने में मदद करता है।

    शरीर की सफाई

    आयुर्वेद में शरीर से हानिकराक टॉक्सिन निकालने पर बहुत जोर दिया जाता है। कुछ खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ ऐसे हैं, जो शरीर की अशुद्धियों को दूर करते हैं और आयुर्वेदिक चाय उन्हीं में से एक है। इसमें अलग-अलग पौधों के कुछ हिस्सों के साथ ही कुछ मसाले मिक्स किए जाए हैं, जो अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए फायदेमंद है।

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    ऐसे बनाएं डिटॉक्स आयुर्वेदिक चाय

    उबलते पानी में एक चौथाई चम्मच भुना हुआ सौंफ, जीरा और धनिया डालकर धीमी आंच पर 10 मिनट तक उबलने दें। इसे छान लें और थोड़ा सा शहद मिलाकर पियें।

    पाचन तंत्र ठीक रखता है

    स्वस्थ रहने के लिए पाचन तंत्र का ठीक रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि यदि आपका पाचन तंत्र दुरुस्त नहीं होगा, तो शरीर से हानिकारक टॉक्सिन पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाएंगे, और इससे अपच की समस्या के साथ ही पेट की कई अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। आयुर्वेदिक चाय पाचन को ठीक करके शरीर को अतिरिक्त हानिकारक पदार्थों को दूर करने में मदद करता है, जिससे आपका गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल सिस्टम ठीक रहता है। घी, नमक और गरम पानी से तैयार की गई आयुर्वेदिक चाय कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करती है। गर्म पानी में सौंफ और अदरक उपबालकर पीने से ब्लोटिंग की समस्या से राहत मिलती है। पेट की समस्या से राहत के लिए आप सौंफ, तुलसी पत्ता या लौंग चबा भी सकते हैं या इनसे आयुर्वेदिक चाय/काढ़ा बना सकते हैं

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    वजन कम करने में सहायक

    पाचन ठीक रहने से मेटाबॉलिज्म भी दुरस्त रहता है और आप जल्दी वजन कम कर पाते हैं। यही वजह है कि जो लोग वजन कम करना चाहते हैं वह सामान्य चाय की बजाय हर्बल टी का सेवन करते हैं। अदरक, लौंग और मुलेठी से तैयार की गई आयुर्वेदिक चाय वजन घटाने में मदद करती है। लेमनग्रास, तुलसी, स्टारफूल आदि चीजें वजन घटाने में मददगार मानी जाती हैं।

    वैज्ञानिक शोध के अनुसार कुछ खास प्रकार की चाय में ऐसे तत्व होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं।वह पेय जिससे आपको ऊर्जा और ताजगी मिलती है, वजन कम करने में भी आपकी मदद कर सकती है। यह तो आमतौर पर सभी जानते हैं कि एक कप चाय हर रोज आपको दिल के दौरे, गठिया की समस्या, दांत क्षय और यहां तक कि कैंसर को भी आपसे दूर रखती है।

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    ऐसे बनाएं वजन कम करने वाली आयुर्वेदिक चाय

    250 मिली. पानी में छोटा टुकड़ा अदरक, मुलेठी की डंडी और 3-4 लौंग डालकर 10 मिनट तक उबालें, फिर छानकर इसका सेवन करें।

    त्वचा के लिए फायदेमंद

    आयुर्वेदिक चाय शरीर की अशुद्धियों को दूर करती है और इससे चेहरे पर भी निखार आता है। हम सबको पता है कि हल्दी त्वचा के लिए रामबाण है, यह त्वचा की समस्याओं को दूर करने के साथ ही निखार भी लाता है। इसके अलावा जीरा, मेथी, कालीमिर्च आदि रक्त को शुद्ध करते हैं और रक्त की अशुद्धियां जब दूर होती हैं तो आपकी त्वचा हेल्दी बनती हैं।

    निखरी त्वचा के लिए ऐसे बनाएं आयुर्वेदिक चाय

    चाय बनाने के लिए एक बर्तन में पहले पानी गर्म करें। उबल जाने पर इसमें थोड़ा सा अदरक, चुटकीभर हल्दी और दालचीनी डालकर कुछ मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें। फिर गैस से उतारकर इसमें नींबू का रस और मिठास के लिए थोड़ा शहद मिलाकर पीएं। आप इसे चिल्ड करके भी पी सकते हैं। चाय में आइस क्यूब मिलाकर ठंडी चाय का मजा ले सकते हैं।

    सर्दी-खांसी में फायदेमंद- कोरोना काल में तो आपने देखा ही है और खुद भी काढ़ा पिया ही होगा। यह काढ़ा आयुर्वेदिक चाय ही तो है, जो सर्दी-खांसी रोकने करने में मदद करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। इसे पीने से आपका शरीर बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है।

    इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए ऐसे बनाएं आयुर्वेदिक चाय

    गर्म पानी में दालचीनी, इलायची, अदरक और कालीमिर्च उबालकर काढ़ा बनाकर इसका सेवन करें। इलायची और कालीमिर्च एलर्जी से बचाता है, जबकि अदरक और दालचीनी पाचन को ठीक करता है जो इम्यून सिस्टम को सीधे प्रभावित करता है।

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    एनर्जी बढ़ाता है

    यदि आपको थकान या आलस महसूस हो रही है तो आयुर्वेदिक चाय से आपको तुरंत एनर्जी मिलती है। एनर्जी तो आपको कैफीन वाली चाय से भी मिलती है, लेकिन वह कुछ देर के लिए होती है और उससे सेहत को नुकसान पहुंचता है। जबकि आयुर्वेदिक चाय कैफीन मुक्त होती है, इसलिए बिना किसी साइड इफेक्ट के आप इसे पीने के बाद एनर्जेटिक महसूस करेंगे।

    मस्तिष्क को रखता है दुरुस्त

    आयुर्वेदिक चाय में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो याददाश्त तेज करने के साथ ही मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में भी सुधार करते हैं। उदाहरण के लिए, गिंग्को बिलोबा( BILOBA), एक जड़ी बूटी है जो अक्सर आयुर्वेदिक चाय में इस्तेमाल की जाती है। यह अल्जाइमर रोग के लक्षणों को कम करने में मददगार है।

    आयुर्वेदिक चाय वास्तव में चाय नहीं, बल्कि कई जड़ी-बूटियों और भारतीय मसालों का मिश्रण है, जो आपके शरीर की कई समस्याओं को दूर करता है। आयुर्वेद में वात, कफ, पित्त दोष के लिए भी अलग-अलग आयुर्वेदिक चाय के बारे में बताया गया है, यानी तीनों दोष के लिए अलग-अलग सामग्रियों के मिश्रण से चाय/काढ़ा बनाया जाता है, तो दोष को बैलेंस करके शरीर को बीमारियों से बचाने और स्वस्थ रखने में मदद करता है।

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    इम्यूनिटी बूस्टर चाय और काढ़े की विधि

    पुदीना तुलसी बूस्टर टी  –

    सामग्री- पुदीने के  पत्ते कुछ , तुलसी के पत्ते कुछ, अदरक का टुकड़ा एक इंच, नींबू का रस 2 छोटे चम्मच, कच्ची हल्दी का का छोटा सा टुकड़ा और नमक स्वादानुसार।

    विधि- इसे बनाने के लिए 3 कप पानी में तुलसी, अदरक, पुदीने, कच्ची हल्दी को कद्दूकस करके डालें और कुछ देर पकाएं। जब काढ़ा अच्छे से पक जाए, तो उसमें नींबू का रस व चाट मसाला और नमक डालकर पिएं।

    दालचीनी वाला काढ़ा
    सामग्री-  दालचीनी का छोटा सा टुकड़ा,  काली मिर्च के कुछ दाने , छोटी इलायची स्वादानुसार, मुनक्के के कुछ दाने, तुलसी के पत्ते कुछ,सोंठ पाउडर आधा छोटा चम्मच और नमक स्वादानुसार।
    विधि- इसे बनाने के लिए सभी सामग्री को कूटकर 2 कप पानी में डालकर अच्छी तरह से पकाएं। फिर इसे छानकर पीएं। स्वाद के लिए आप इसमें शहद  भी मिला सकती हैं।

    हर्बल टी

    सामग्री- सौंफ थोड़ी से, साबुत धनिया थोड़ा सा, , जीरा आधा छोटा चम्मच, अजवाइन थोड़ा सा , काली मिर्च साबुत थोड़ी सी, छोटी इलायची कुछ, लौंग स्वदानुसार, सोंठ पाउडर आधा छोटा चम्मच, हल्दी पाउडर 1 बड़ा चम्मच, दालचीनी पाउडर थोड़ा सा, तुलसी की सूखी पत्तियां कुछ और नमक स्वादानुसार ।

    विधि- इसे बनाने के लिए सभी सामग्री को कूटकर 2 कप पानी में डालकर अच्छी तरह से पकाएं। फिर इसे छानकर पीएं।

    इन सभी हर्बल टी के अपने अलग-अलग फायदे हैं। ये हर्ब्स स्वास्स्थ्य के लिए फायदेमंद है और आपकी इम्यूनिटी को भी अच्छा बनाए रखते हैं। लेकिन आपको किसी प्रकार की हेल्थ प्रॉब्म है, तो इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर करें।

    डिस्क्लेमर

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