
एक बार फिर से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस आने वाला है जो कि हर साल 21 जून को मनाया जाता है। और अगर आपने अभी भी अपनी योग मैट को बाहर नहीं निकाला है और योग को नहीं आजमाया है। यहां तक कि अगर आप एक जिम फ्रीक हैं, तो भी हमारे पास कुछ ऐसी वजहें हैं जिससे योग को आजमाने के लिए आप मजबूर हो जाएंगे। योग से रोग निवारण होता है यह तो सब जानते ही हैं। इसलिए, आज हम आपको “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में रोग अनुसार योगासन बता रहे हैं, जिनको पढ़कर आप भी ‘करें योग, रहें निरोग’ कहने पर मजबूर हो जाएंगे।
योग से रोग निवारण
योग व्यायाम या ब्रीदिंग टेक्निक से कहीं ज्यादा एक इंडियन आर्ट फॉर्म है। यदि दवाइयां आपकी बीमारियां दूर करने से सफल नहीं हो पाती हैं, तो रोग अनुसार योग करने से आपकी समस्या हल हो सकती है। यह वास्तव में डिजीज पर प्रभावशाली साबित होता है और विभिन्न रोगों के लिए ट्रेडिशनल ट्रीटमेंट के साथ पूरक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, किसी योगासन की कोशिश करने से पहले योग एक्सपर्ट से परामर्श करना सुनिश्चित करें, ताकि किसी भी तरह की चोट लगने से बच सकते हैं। नीचे कुछ बीमारियां दी गई हैं जिनको योगा पोजेज (yoga poses) से नियंत्रित कर सकते हैं।
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थायरॉइड (Thyroid)
स्ट्रेस और हाइपोथायरायडिज्म के बीच एक संबंध है, लेकिन कुछ योग पोजेज को थायरॉइड को संतुलित करने के लिए प्रभावी माना जाता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि थायराइड फंक्शन में सुधार पर योग के सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। 2016 के एक अध्ययन में पाया गया कि 6 महीने के योग अभ्यास से कोलेस्ट्रॉल के स्तर और थायरॉयड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) के स्तर में सुधार करने में मदद मिली। इससे हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित महिलाओं में थायरॉयड रिप्लेसमेंट थेरेपी की आवश्यकता कम हो गई।
थायरॉइड के लक्षण
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, गर्दन में सूजन, बालों और स्किन की समस्या, हार्मोनल चेंजेज, मोटापा, अवसाद, थकान आदि। ऐसे लक्षणों के लिए योग से रोग निवारण करें।
रोग अनुसार योग
- हलासन / हल मुद्रा : यह मुद्रा गर्दन को कम्प्रेशन देकर थायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करती है।
- मत्स्यसन / मछली मुद्रा : मत्स्यन्यास थायरॉयड ग्रंथि को ट्रिगर करने वाली गर्दन में पर्याप्त खिंचाव प्रदान करती है।
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डायबिटीज (Diabetes)
पिछले कुछ समय से मधुमेह पीड़ित लोगों की संख्या में बहुत बढ़ोतरी हुई है। यह एक ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति के मेटाबॉलिक सिस्टम को प्रभावित करती है। अपर्याप्त इंसुलिन उत्पादन के कारण या इंसुलिन के लिए शरीर की अपर्याप्त प्रतिक्रिया के कारण ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
डायबिटीज के लक्षण : भूख का बढ़ाना में, थकान और अधिक बार यूरिन पास करना, साथ ही प्यास लगना, सूखा मुंह और त्वचा में खुजली, धुंधला दिखना आदि।
रोग अनुसार योग
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन : मधुमेह से पीड़ित लोग शरीर के शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए इस आसन को कर सकते हैं।
- चक्रासन / व्हील पोज : चक्रासन डायबिटीज से पीड़ित लोगों की मदद कर सकता है।
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माइग्रेन (Migren): रोग के लिए योग
यह एक क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिससे गंभीर सिरदर्द की समस्या होती है।
माइग्रेन के लक्षण
हाइपरएक्टिविटी, सिर के एक तरफ या दोनों ओर दर्द, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, कभी-कभी मतली और उल्टी आदि।
योग से रोग निवारण
- पद्मासन / कमल मुद्रा : यह आसन मन को शांत करता है और सिरदर्द को कम करता है।
- शीर्षासन / सपोर्टेड हेडस्टैंड : रोग के लिए यह योग मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है।
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लिवर की समस्याएं (Liver Disease)
लिवर सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है क्योंकि यह प्रोटीन उत्पादन, रक्त के थक्के, कोलेस्ट्रॉल, ग्लूकोज और आयरन मेटाबॉलिज्म जैसे कई शारीरिक कार्यों को प्रभावित और नियंत्रित करता है।
लक्षण : कमजोरी और थकान, वजन कम होना, मतली, उल्टी और त्वचा का पीलापन आदि।
योग से रोग निवारण
- अर्ध भकासन (Half Frog Pose) : रोग अनुसार अर्ध भकासन योग उन लोगों के लिए मददगार होता है जो लिवर प्रॉब्लम्स से पीड़ित हैं।
- परिघासन / गेट पोज : यह लिवर की बीमारियों के लिए फायदेमंद है।
डिप्रेशन (Depression)
अवसाद, एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जो किसी व्यक्ति को उदास और निराश करती है। जब ये भावनाएं लंबे समय तक रहती हैं तो निश्चित रूप से डिप्रेशन की समस्या होती है।
लक्षण: दैनिक गतिविधियों में रुचि की हानि, भूख या वजन में बदलाव, नींद में बदलाव, क्रोध या चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की समस्याएं आदि। इन लक्षणों को दूर करने के लिए योग से रोग निवारण किया जा सकता है।
रोग के लिए योग : डिप्रेशन के लिए योग
- बद्ध कोंसाणा / बाउंड एंगल पोज : डिप्रेशन रोगी इस योग से रोग निवारण कर सकते हैं। बाउंड एंगल पोज की मदद से अवसाद से बाहर निकलने में मददगार साबित हो सकता है।
- सुखासन / आसन मुद्रा : इस आसन में, पैरों और पेल्विक के बीच एक आरामदायक गैप बनाना चाहिए। यह योगासन मन को निराशाजनक विचारों से दूर करने में सहायक है।
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हाइपरटेंशन (Hypertension)
उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर एक गंभीर स्थिति है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा रहता है। इसे ‘साइलेंट किलर’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए योग का सहारा लिया जा सकता है। हाइपरटेंशन को और न बढ़ाएं और योग से रोग निवारण का हल ढूढें।
लक्षण : तेज सिरदर्द, थकान , धुंधला दिखना , चेस्ट में दर्द, सांस लेने मे तकलीफ, अनियमित हार्ट बीट, यूरिन में ब्लड आना आदि।
रोग अनुसार योग
- सर्वंगासन योग : यह योगासन विशेष रूप से, हाई ब्लड प्रेशर को रोकने और उपचार करने में लाभकारी माना गया है। यह मुख्य रूप से तनाव से राहत देकर स्वाभाविक रूप से रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- वज्रासन (डायमंड पोज) : यह योग पोज लंच या डिनर के बाद भी किया जा सकता है। यह मोटापे को नियंत्रित करने में मदद करता है और एब्डॉमिनल एरिया में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है।
- सुखासन : यह योगासन शरीर और मन को शांत करता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है क्योंकि यह शरीर को अधिक संतुलित बनाता है।
इसके अलावा वीरासन (Virasana), सेतु बंधासन, अर्द्ध-हलासन आदि और भी योग पोजेज हैं, जो हाई बीपी के उपचार में प्रभावी सिद्ध होते हैं।
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पीसीओएस (PCOS)
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD), जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) भी कहा जाता है 12 से 45 वर्ष की आयु की महिलाओं में 5% से 10% महिलाओं को प्रभावित करता है। यह एक समस्या है जिसमें हार्मोन संतुलन बिगड़ जाता है। यह गर्भधारण करना मुश्किल बना सकता है। इसलिए योग से रोग निवारण संभव है।
पीसीओएस के लक्षण
अनियमित पीरियड्स, बालों का झड़ना, चेहरे, पीठ, पेट, हाथ और पैरों पर बालों का अधिक आना, मुंहासे, मूड स्विंग्स आदि।
रोग अनुसार योग
- बटरफ्लाई पोज (Butterfly Pose) : बद्धकोणासन और भद्रकोणासन की तरह ही यह आसन है। यह योगासन पेल्विक मसल्स को मजबूत करने के लिए बहुत सहायक हैं।
- नौकासन : यह आसन पीसीओएस के इलाज में उपयोगी है क्योंकि यह वजन घटाता है और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
- धनुरासन (Dhanurasana) : यह योगा पोज प्रजनन अंगों को उत्तेजित करता है। यह मासिक धर्म के दर्द को कम करता है और पीरियड्स को रेगुलेट करता है। इसके साथ ही यह तनाव और एंग्जायटी से भी राहत दिलाता है।
इसके साथ ही शवासन, पद्मा साधना, चक्की चलानासना जैसे कई योगा पोजेज से भी पीसीओडी में राहत मिलती है। अधिक जानकारी के लिए योगा एक्सपर्ट से संपर्क करें।
हृदय रोग (Heart Disease)
अनहेल्दी फूड हेबिट्स अनहेल्दी रूटीन की वजह से दिल से जुड़ी बीमारियों को दस्तक दे सकते हैं। इसके साथ ही दिल की बीमारियों का खतरा जेनेटिकल भी हो सकता है। इसलिए दिल को स्वस्थ्य रखें के लिए योगासन अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
दिल से संबधित परेशानी होने पर आपको कई लक्षण नजर आ सकते हैं। जैसे- चेस्ट पेन, सांस लेने में परेशानी या कमजोरी महसूस होने जैसे अन्य लक्षण नजर आ सकते हैं।
दिल को स्वथ्य रखने के लिए निम्नलिखित योगासन किये जा सकते हैं या आप कह सकते हैं योग से रोग निवारण संभव है। जैसे:
- त्रिकोणासन- त्रिकोणासन से हार्ट डिजीज के खतरे को कम किया जा सकता है। इस योग से सांस से संबंधित परेशानी को भी दूर किया जा सकता है।
- वीरभद्रासन- वीरभद्रासन से बॉडी के मसल्स को स्ट्रॉन्ग किया जा सकता है। इस आसन से लंग्स को हेल्दी रखने के साथ ही दिल की बीमारियों के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
- अधोमुखोस्वांसना- अधोमुखोस्वांसना से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जो हृदय को स्वस्थ्य रहने में सहायता प्रदान करता है और आप दिल से संबंधित परेशानियों से दूर रह सकते हैं।
- धनुरासना- योग गुरुओं की माने, तो धनुरासन करने से हृदय संबंधी परेशानियों से बचा जा सकता है। हार्ट के आसपास के मसल्स को स्ट्रॉन्ग रखने में सहायता मिलती है। धनुरासना से पूरी बॉडी एनर्जेटिक रहती है।
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योगासन से जुड़ी अहम जानकारी:
- अनुभवी योगा एक्सपर्ट से अपने सभी योग से जुड़ी को समझें। योग सीखना बहुत आसान और जिससे आप अपने आपको स्वस्थ्य रख सकते हैं। योगासन करने से पहले हेल्थ एक्सपर्ट से ये जरूर सलाह लें की आपको कौन-कौन से योगासन करने चाहिए।
- किसी भी योगासन को करने से आपको परेशानी महसूस हो, तो योगा एक्सपर्ट को इसकी जानकारी दें। ध्यान रखें योगासन गलत तरीके से न करें।
- किसी भी दूसरे व्यक्ति से कॉम्पिटशन करते हुए योगासन न करें। क्योंकि हर व्यक्ति की शारीरिक क्षमता अलग-अलग होती है।
- योग के दौरान आप अपनी बॉडी को स्ट्रेच करते हैं और इस दौरान शरीर का हर एक हिस्सा स्ट्रेच होता है। इसलिए कंफर्टेबल कपड़े पहने और आपका योगा ड्रेस लूज या स्ट्रेचेबल होना चाहिए, ताकि आप आराम से बॉडी को स्ट्रेच कर सकें। योगसना के दौरान अपने साथ टॉवेल जरूर रखें ताकि आप पसीने को वाइप कर सकें।
- कम से कम योग 15 मिनट से 30 मिनट तक करने की आदत डालें।
- योग कंफर्टेबल मैट पर करें। ऐसे मैट का चुनाव न करें जो स्लिप करता हो।
- अपने साथ पानी जरूर रखें और बॉडी को डिहाइड्रेट न होने दें।
इन योगसना और योग से जुड़ी अहम जानकारी को हमेशा ध्यान रखें। लेकिन यह भी ध्यान रखें की अगर कोई शारीरिक परेशानी नजर आ रही है या आप महसूस कर रहें हैं, तो देर न करते हुए डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। अगर आप योग से रोग निवारण या इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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