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क्या है प्राणायाम करने का सही तरीका,इसके फायदों के बारे में जानें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


shalu द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/07/2021

    क्या है प्राणायाम करने का सही तरीका,इसके फायदों के बारे में जानें

    इस आर्टिकल में यह दर्शाने की आवश्यकता नहीं है कि योग से कितने फायदे हो सकते हैं,योग कितना शक्तिशाली है। क्योंकि यह बात आप हर व्यक्ति से सुनते ही रहते हैं, कि योग के कितने फायदे होते हैं और योग आपको प्रतिदिन करना चाहिए। इन सभी योग में एक आसन है जो आपके जीवन में ऊर्जा बढ़ाने में अत्यधिक लाभदायक हो सकता है। तो आज हम प्राणायाम (Pranayam) के बारे में बात करने जा रहे हैं। प्राणायाम एक बहुत ही पावरफुल आसन है। प्राणायाम सांस को नियंत्रित करने की प्राचीन प्रथा है। प्राणायाम सांस के नियमन का अभ्यास है। प्राणायाम शब्द प्राण+आयाम से मिलकर बना है। जिसमें प्राण का अर्थ है जीवन यानि जीवन की शक्ति और आयाम का अर्थ है नियमित बने रहना। यदि आपको साफ शब्दों में कहे तो प्राणायाम का मतलब है जीवन की शक्ति को नियमित बनाए रखना। प्राणायाम आपके शरीर के चारों तरफ ऑरा बनाता है। यह हजारों सूक्ष्म ऊर्जा चैनलों से होकर बहती है जिन्हें चक्र कहा जाता है। यदि आप प्राणायाम को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं, प्राणायाम करने का सही तरीका क्या है। 

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    प्राणायाम (Pranayam) करने का सही तरीका क्या है?

    • सबसे पहले एक शांत हवादार जगह पर करना चाहिए।
    • सुबह और शाम प्राणायाम करने के लिए आदर्श समय है।
    • आपको बता दें कि अन्य योग की अपेक्षा प्राणायाम आसन बहुत ही सरल विधि है।
    • इसको करने के लिए सबसे पहले अपनी आंख बंद कर लें। अब पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। 
    • यह याद रखें की इस दौरान आपको अपनी रीढ़ की हड्डी (Spinal cord) को सीधा रखना है ।
    • अब आप अपनी नाक के जरिए धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस लें ।
    • अब इसके साथ ही मुंह को खोल कर “हम्म्म्म” ध्वनि के माध्यम से धीरे-धीरे सांस ले और छोड़ें ।
    • इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं।
    • अधिक ध्यान लगाने और फायदे के लिए किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें। 
    • 5 से 8 मिनट के अभ्यास से शुरू करें, धीरे-धीरे अपना समय बढ़ाकर 10 से 15 मिनट तक करें।
    • प्राणायाम जिस जगह पर आप करने वाले हैं, उस जगह को साफ सुथरा रखना है। वह जगह गंदगी से मुक्त होनी चाहिए।
    • एक ही स्थान और एक ही समय पर हर दिन अभ्यास करने से ध्यान केंद्रित करना आसान होता है।
    • दैनिक प्राणायाम का अभ्यास खाली पेट करना चाहिए। यदि आपने भोजन या कुछ खा लिया है। तो उसके चार घंटे के बाद यह आसान करना चाहिए।  

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    प्राणायाम के प्रकार (Types of Pranayam)

    प्राणायाम के प्रकार कई तरह के हो सकते हैं। जिनके अलग-अलग तरह के फायदे होते हैं। जो इस प्रकार से हैं-

    अल्टरनेटिव नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग (Alternate nostril breathing)

    यह वह तकनीक है जिसका उपयोग तनाव (Tension) को कम करने के लिए किया है। यह स्नायविक बीमारियों, फेफड़ों के रोगों, हृदय की घबराहट या दुर्बलता आदि में विशेष लाभदायक है। जिस व्यक्ति को रक्तचाप की समस्या हो, उसे यह करने से बचना चाहिए। 

    उज्जायी (Ujjayi) 

    इस प्रकार के प्राणायाम को विक्टरियस ब्रीथ, हिसिंग ब्रीथ या ओशन ब्रीथ भी कहा जाता है। यह मन और शरीर को शांत करने के लिए  किया जाता है। उज्जायी प्राणायाम करने से शरीर में फ्रेश ऑक्सीजन का प्रवाह होता है, इससे व्यक्ति खुद को तरोताजा और रिलेक्स महसूस करता है। जब कोई व्यक्ति इस योगाभ्यास को सही से करता है तो उसे आंतरिक तौर पर गर्मी मिलती है, जिससे शरीर में एनर्जी (Anergy) का संचार होता है। यह वास्तव में कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है।

    कपालभाति प्राणायाम (Kapalvati pranayam)

    इसमें आपको जोर-जोर से सांस बाहर की तरफ छोड़ने की क्रिया शामिल है। इसमें सांस छोड़ने के साथ-साथ अपने कपाल यानि पेट को तेज-तेज अंदर खींचते हैं। यह पेट को एक बेलो कॉन्ट्रैक्टिंग और रीढ़ के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। 

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    भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari pranayama)

    इस अभ्यास में उंगलियों का उपयोग केवल कानों को या आंखों (Eye) को अवरुद्ध करने के लिए किया जाता है। सांस छोड़ने पर, आप एक मधुमक्खी की तरह गुनगुनाते हुए ध्वनि निकालते हैं। इसमें आपको हल्का कंपन महसूस होता है। 

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    प्राणायाम करने के फायदे क्या-क्या हैं? (Benefits of Pranayam) 

    प्राणायाम के लाभों पर बड़े पैमाने पर शोध किया गया है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, प्राणायाम आपके स्वास्थ्य को विभिन्न तरीकों से लाभ पहुंचा सकता है। आइए इन लाभों में से सात को अधिक विस्तार से देखें।

    पाचन तंत्र (Digestive system) की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है

    जब आप प्राणायाम करने के लिए सांस लेते छोड़ते हैं,तो आपका पेट आपकी सांस के साथ जुड़ता हैं इससे आपका डायाफ्राम सक्रिय हो जाता है। इसमें एक गुंबद के आकार की मांसपेशी होती है, जो आपके फेफड़ों के नीचे, आपके पाचन और आंतरिक अंगों के ऊपर होती है। इस तरह से सांस लेने का कार्य डायाफ्राम के उठने और गिरने का कारण बनता है और यह प्रक्रिया आपके अंगों के लिए एक जेंटल मसाज जैसा कार्य करता है।

    सिगरेट की तलब को कम करता है

    ऐसे कई साक्ष्य हैं कि योगिक श्वास, या प्राणायाम, धूम्रपान छोड़ने की कोशिश कर रहे लोगों में इसकी तलब को कम कर सकते हैं। 2012 के एक अध्ययन में, सिर्फ 15 मिनट की योगिक सांस लेने से सिगरेट की तलब में कमी आने का रिजल्ट मिला। एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि माइंडफुलनेस-आधारित योग सांस लेने से धूम्रपान से जुड़े नकारात्मक प्रभाव कम हो गए।

    प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune power) को बढ़ाता है

    यह डायाफ्रामिक कार्य जैसे लसीका के प्रवाह को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। प्रारंभिक अध्ययन यह भी बताते हैं कि अपने अभ्यास में की गई सांस की प्रक्रिया से आपका इम्यून बेहतर हो सकता है।

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    संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ाता है

    आपके फेफड़ों को लाभ पहुंचाने के अलावा, प्राणायाम आपके मस्तिष्क की कार्यक्षमता को भी बढ़ा सकता है। एक अध्ययन में पाया कि 12 सप्ताह के धीमे या तेज प्राणायाम से इसके कार्य में सुधार हो सकता है। जिसमें आपकी कार्यशील मेमोरी, संज्ञानात्मक लचीलापन शामिल हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्राणायाम से आपके तनाव के स्तर और आपकी प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने की क्षमता होती है। ।

    स्वस्थ खाने की आदतों और वजन घटाने में सहायता कर सकते हैं

    क्या आप जानते हैं कि प्राणायाम लगातार और सही तरीके से किया जाता है, यह आपके क्रेविंग को बनाए रखने में मदद कर सकता है।यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो प्राणायाम इसमें भी आपकी मदद करने में सक्षम है।

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    फेफड़े (Lungs) की कार्यक्षमता में सुधार करता है

    प्राणायाम योग की धीमी और तेज गति आपके फेफड़े को मजबूत बनाने का कार्य करता है। एक 2019 के अध्ययन ने निर्धारित किया कि दिन में 15 मिनट का दो बार  प्राणायाम का अभ्यास करने के 6 सप्ताह के बाद फेफड़े के कार्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता हैं। पल्मोनरी परीक्षण के परिणामों से पता चलता है कि, यह फेफड़े के कार्य में कई फंग्शन में सुधार करता है। प्राणायाम फेफड़ों की कई स्थितियों के लिए एक उपयोगी हो सकता है। जैसे,

    श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है 

    प्राणायाम फेफड़ों के स्वास्थ्य और क्षमता में सुधार कर सकता है, क्योंकि आप अपने फेफड़ों का अधिक उपयोग करते हैं।तो ऐसे में यदि आप यह आसन करते हैं, तो इससे अस्थमा और सीओपीडी (क्रोनिक डिस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के रोगियों पर इसका लाभकारी प्रभाव दिखाया हो सकता है।

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    उच्च रक्तचाप (High blood pressure) को कम करता है

    एक अध्ययन से पता चलता है कि कुछ प्राणायाम आसन हृदय गति (Heart rate) और उच्च रक्तचाप (High blood pressure) को सामान्य करके उच्च रक्तचाप के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकती हैं। उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन तब होता है जब आपका रक्तचाप असामान्य हो जाता है। यह कुछ संभावित गंभीर स्वास्थ्य स्थितियां जैसे हृदय रोग और स्ट्रोक (Stroke) के जोखिम को बढ़ावा देता है। उच्च रक्तचाप के लिए तनाव एक प्रमुख जोखिम कारक है। प्राणायाम आपके तनाव को कम करने को बढ़ावा देकर इस जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। एक अध्ययन स्रोत में, हल्के उच्च रक्तचाप वाले प्रतिभागियों को 6 सप्ताह के लिए एंटीहाइपरटेंसिव ड्रग्स मिले। आधे प्रतिभागियों ने 6 सप्ताह के लिए प्राणायाम प्रशिक्षण भी प्राप्त दिया गया।इस अध्ययन के आखिर में प्राणायाम वाले ग्रुप में रक्तचाप में अधिक कमी का अनुभव किया। जब आप अपनी सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो यह आपके तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद कर सकता है। यह बदले में, आपके तनाव की प्रतिक्रिया और उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।

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    आपके ‘नेचर को चिल रखने में मदद करता है 

    एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से प्राणायाम करने से आपका नेचर बहुत चिल बना रहता है,जल्दी आपको गुस्सा नहीं आता है। शोधकर्ताओं ने यह भी उल्लेख किया कि प्राणायाम कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने में मदद करता है और ऑक्सीजन एकाग्रता को बढ़ाता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को फ्यूल देता है। यह ध्यान और एकाग्रता में सुधार करके माइंडफुलनेस में योगदान दे सकता है।

    प्राणायाम त्वचा के लिए है बेहतर

    प्राणायाम से आपकी त्वचा (Skin) को भी लाभ होता है,क्योंकि प्राणायाम में एक निश्चित अवधि के लिए सांस को रोककर रखना शामिल है। जब हम सांस को शरीर के अंदर लेते हैं, तो यह त्वचा कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है।जो त्वचा के हेल्दी रखने में मदद करता है। इससे त्वचा में दमक भी आती है। 

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    पुराने तनाव और मनोदशा के असंतुलन के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है

    अध्ययन से पता चलता है कि प्राणायाम तकनीक जैसे कि श्वास तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों को कम कर सकती है। यह पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और अवसाद के लक्षणों से राहत देने में मदद करता है।

    यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है

    प्राणायाम तनाव से राहत देने के साथ-साथ आपकी नींद न आने की कमी को सुधारने में मदद करता है। कई अध्ययनों में बताया गया कि प्राणायाम एक तकनीक आपके श्वास और हृदय गति (Heart beat) को धीमा कर देता है। जब नियमित रूप से और लगातार बिस्तर से पहले और पूरे दिन अभ्यास किया जाता है।  इससे आपको समय पर नींद आने लगती है। एक अध्ययन के अनुसार, प्राणायाम भी प्रतिरोधी स्लीप एपनिया (Sleep Apnea)  वाले लोगों में नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।

    पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम फंक्शन को बेहतर बनाता है

    प्राणायाम पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम फंक्शन को बेहतर बनाता है। इसके साथ ही लड़ाई या उड़ान करते समय नर्वस या घबराने वाले लोगों की हलचल को भी शांत करने का कार्य करता है और तनाव (Tension) हार्मोन को कम करता है। धीमी गति से श्वास प्राणायाम चक्र, वेगस तंत्रिका को उत्तेजित करने के लिए प्रकट होता है, जो रिलैक्स करने की प्रतिक्रिया में शामिल सबसे महत्वपूर्ण नसों में से एक है। रिलैक्स की प्रतिक्रिया बढ़ने से आंतरिक शांति बढ़ती है और हार्मोन की रिहाई होती है जो तनाव हार्मोन (Hormone) के नकारात्मक प्रभावों का मुकाबला कर सकती है।

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    क्या प्राणायाम के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं? (Side effects of Pranayam)

  • प्राणायाम अगर सही तरीके से नहीं किया जाता है,तो इसके कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसमें शामिल है। जो इस प्रकार से हैं।
  • क्रिया से उच्च रक्तचाप हो सकता है।
  • कपालभाती भी एक हर्निया (Hernia) का कारण हो सकता है।
  • यदि खाली पेट पर कपालभाती नहीं की जाती है, तो उल्टी की संभावना होती है।
  • कुछ लोगों को इस श्वास तकनीक के पहले या बाद में चक्कर आना और सिरदर्द की शिकायत होती है।
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    प्राणायाम का अभ्यास करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

    • प्राणायाम का अभ्यास करते समय सावधानी पर विचार किया जाना चाहिए।जो इस प्रकार हैं।
    • अगर आप दिल के मरीज हैं, तो सांस छोड़ते समय धीमे चलें।
    • भोजन के तुरंत बाद क्रिया नहीं करनी चाहिए।
    • यदि आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, तो इस प्रक्रिया के साथ धीमा और नरम उतार चढ़ाव करें। 
    • यदि आपको अल्सर है, तो आपको इस क्रिया का अभ्यास करते समय सावधान रहना होगा।
    • गर्भावस्था में प्राणायाम करने से पहले अपने चिकित्सक से इसके फायदे नुकसान के बारे में जान लें।

    योगासन करने से यदि शरीर में कोई भी असुविधा महसूस हो रही है तो डॉक्टर या योगा एक्सपर्ट से तुरंत संपर्क करनी चाहिए, इसको अनदेखा नहीं करना चाहिए।

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