और पढ़ें: अपेंडिक्स का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है?
इलाज
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित है:
विरेचन कर्म
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज विशेषकर विरेचन कर्म द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत जड़ी-बूटियों और औषधियों का सेवन मरीज को करवाया जाता है। ऐसा करने से पेशेंट को दस्त होता है, जिससे शरीर में पैदा हुए विषाक्त को दूर किया जाता है। विरेचन कर्म से लिवर के साथ-साथ स्मॉल इंटेस्टाइन को भी क्लीन किया जाता है। लिवर के इलाज में उपयोगी विरेचन कर्म पेशेंट की शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद एक्सपर्ट एक बार से ज्यादा भी दोहरा सकते हैं।
हल्दी-दूध (Turmeric and Milk)
हल्दी और दूध इम्यून पवार को स्ट्रॉन्ग बनाने में मददगार होते हैं, क्योंकि हल्दी में विटामिन-सी (एस्कोर्बिक एसिड), कैल्शियम, फाइबर, पोटैशियम, जिंक के साथ-साथ अन्य पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। वहीं दूध में भी कैल्शियम, विटामिन-बी 2, विटामिन-बी 12 समेत अन्य न्यूट्रिशन मौजूद होते हैं। रोजाना दूध में हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से हेपेटाइटिस-बी को रोकने में मदद मिलती है। इसके साथ-साथ हल्दी-दूध शरीर का वजन संतुलित बनाये रखने में मददगार होता है। डायबिटीज की परेशानी भी टल सकती है, यहां तक कि आयुर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि इससे फैटी लिवर की समस्या से भी निजात मिल सकती है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज: आंवला (Gooseberry)
धड़कते दिल और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आंवले के फायदे के बारे में पढ़ा होगा। दरअसल आंवले में मौजूद विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और कैरोटीन जैसे महत्वपूर्ण तत्व मौजूद होते हैं। इसलिए कच्चा आंवला या आंवले के चूर्ण का नियमित सेवन करना चाहिए।
पपीता (Papaya)
पपीता में मौजूद बीटा कैरोटीन, कोलीन, फाइबर, फोलेट, पोटैशियम, विटामिन-ए, विटामिन-बी और विटामिन-सी शरीर के लिए एक नहीं बल्कि कई दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं। वहीं कच्चे पपीते में लेटेक्स (latex) और पपाइन (papain) की मौजूदगी इसे पौष्टिक बनाता है। इसलिए लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज पपीते से किया जाता है।
मुलेठी (Licorice)
मुलेठी का सेवन पेट संबंधित विकार को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक विज्ञान में मुलेठी का सेवन लिवर संबंधित बीमारी को दूर करने के लिए किया जाता है। दरअसल मुलेठी में एंटी-इंफ्लमेटरी प्रॉपर्टीज और ग्लिसराइजिक एसिड की प्रचुर मात्रा इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में मददगार होती है, जिसका लाभ लिवर के मरीज को मिलता है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज: पिप्पली (Long pepper)
पिप्पली में पिपरिन, स्टेरॉइड्स, ग्लूकोसाइड्स, पिपलार्टिन एवं पाईपरलोगुमिनिन जैसे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। इन्हीं औषधीय गुणों की वजह से पिप्पली को आयुर्वेदिक इलाज के विकल्प में रखा जाता है। अगर कोई व्यक्ति लिवर से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित है, तो उन्हें आयुर्वेदिक विशेषज्ञ इसके सेवन की सलाह देते हैं।
मकोय (Makoy)
मकोय में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन-सी की मौजूदगी इस छोटे से हर्बल खाद्य पदार्थ को अत्यधिक गुणकारी बनाता है। इसलिए इसका सेवन यकृत विकार को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके सेवन से लिवर से जुड़ी बीमारी ठीक होने के साथ-साथ बवासीर, शरीर में सूजन की परेशानी और दस्त की समस्या भी दूर होती है।
ग्रीन टी (Green Tea)
ग्रीन टी का सेवन हम में से कई लोग रोजाना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रीन टी लिवर को स्वस्थ रखने में मददगार है। रिसर्च के अनुसार ग्रीन टी में मौजूद एंटी ऑक्सिडेंट फैटी लिवर की परेशानी दूर करने में सक्षम है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज: टमाटर (Tamato)
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार लिवर डिजीज की समस्या झेल रहे लोगों के लिए टमाटर का सेवन लाभकारी होता है। वहीं आयुर्वेद में टमाटर को हर्बल खाद्य पदार्थों की श्रेणी में रखा गया है। दरअसल टमाटर में कैरोटीनॉयड लाइकोपीन (Carotenoid lycopene) मौजूद होता है, जो लिवर की गंभीर परेशानी को भी दूर करने में मददगार हो सकता है।