पपीता में मौजूद बीटा कैरोटीन, कोलीन, फाइबर, फोलेट, पोटैशियम, विटामिन-ए, विटामिन-बी और विटामिन-सी शरीर के लिए एक नहीं बल्कि कई दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं। वहीं कच्चे पपीते में लेटेक्स (latex) और पपाइन (papain) की मौजूदगी इसे पौष्टिक बनाता है। इसलिए लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज पपीते से किया जाता है।
मुलेठी (Licorice)
मुलेठी का सेवन पेट संबंधित विकार को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक विज्ञान में मुलेठी का सेवन लिवर संबंधित बीमारी को दूर करने के लिए किया जाता है। दरअसल मुलेठी में एंटी-इंफ्लमेटरी प्रॉपर्टीज और ग्लिसराइजिक एसिड की प्रचुर मात्रा इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में मददगार होती है, जिसका लाभ लिवर के मरीज को मिलता है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज: पिप्पली (Long pepper)
पिप्पली में पिपरिन, स्टेरॉइड्स, ग्लूकोसाइड्स, पिपलार्टिन एवं पाईपरलोगुमिनिन जैसे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। इन्हीं औषधीय गुणों की वजह से पिप्पली को आयुर्वेदिक इलाज के विकल्प में रखा जाता है। अगर कोई व्यक्ति लिवर से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित है, तो उन्हें आयुर्वेदिक विशेषज्ञ इसके सेवन की सलाह देते हैं।
मकोय (Makoy)
मकोय में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन-सी की मौजूदगी इस छोटे से हर्बल खाद्य पदार्थ को अत्यधिक गुणकारी बनाता है। इसलिए इसका सेवन यकृत विकार को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके सेवन से लिवर से जुड़ी बीमारी ठीक होने के साथ-साथ बवासीर, शरीर में सूजन की परेशानी और दस्त की समस्या भी दूर होती है।
ग्रीन टी (Green Tea)
ग्रीन टी का सेवन हम में से कई लोग रोजाना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रीन टी लिवर को स्वस्थ रखने में मददगार है। रिसर्च के अनुसार ग्रीन टी में मौजूद एंटी ऑक्सिडेंट फैटी लिवर की परेशानी दूर करने में सक्षम है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज: टमाटर (Tamato)
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार लिवर डिजीज की समस्या झेल रहे लोगों के लिए टमाटर का सेवन लाभकारी होता है। वहीं आयुर्वेद में टमाटर को हर्बल खाद्य पदार्थों की श्रेणी में रखा गया है। दरअसल टमाटर में कैरोटीनॉयड लाइकोपीन (Carotenoid lycopene) मौजूद होता है, जो लिवर की गंभीर परेशानी को भी दूर करने में मददगार हो सकता है।
सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)
आयुर्वेद में सेब के सिरके के सेवन की सलाह दी जाती है। इसके सेवन से लिवर पर इकट्ठा होने वाले फैट को कम करने में मदद मिलती है। इसलिए इसका सेवन लाभकरी माना जाता है।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज इन ऊपर बताये गए खाद्य पदार्थों से किया जाता है। ये खाने-पीने की चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन इनका सेवन इलाज के लिए खुद से या अपनी मर्जी अनुसार करना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज अपने आप शुरू न कर दें। क्योंकि इनकी आवश्यकता से ज्यादा सेवन करने पर नुकसान भी पहुंच सकता है। इसलिए आयुर्वेद एक्सपर्ट की पहले सलाह लें, उन्हें अपनी शारीरिक परेशानी बताएं। साथ ही अगर आप किसी भी दवा या हर्बल खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थों का सेवन कर रहें हैं, तो इसकी जानकारी देना न भूलें। ऐसा करने से इलाज बेहतर होगा और आपकी शारीरिक परेशानी भी जल्द दूर होगी।
लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज करवाने के साथ-साथ योगासन भी करना लाभकारी होता है। इसलिए रोजाना अनुलोम-विलोम प्राणायाम और भस्त्रिका प्राणायाम करने की आदत डालें। अगर आपने यह योग पहले नहीं किया है, तो पहले योग गुरु से इसकी जानकारी हासिल करें और करने का तरीका समझें और फिर योगासन करें। अगर इस दौरान कोई शारीरिक परेशानी होती है, तो एक्सपर्ट को बताएं और उनके द्वारा दी गई सलाह का सही तरह से पालन करें। योग के साथ-साथ टहलना भी शरीर को फिट रखने में अहम योगदान देता है।
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