नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज एक लाइफस्टाइल प्रॉब्लम है। बदलती लाइफस्टाइल और आदतों की वजह से आजकल लोगों को अलग-अलग बीमारियां हो जाती हैं। इनमें से एक है नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज। लाइफस्टाइल में सही बदलाव करके आप इससे खुद को बचा सकते है।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज एक लाइफस्टाइल प्रॉब्लम है। बदलती लाइफस्टाइल और आदतों की वजह से आजकल लोगों को अलग-अलग बीमारियां हो जाती हैं। इनमें से एक है नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज। लाइफस्टाइल में सही बदलाव करके आप इससे खुद को बचा सकते है।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज क्या हैं और इसका कारण क्या है?
लिवर हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा है जो शरीर में मेटाबॉलिज्म को मेनटेन करता है। नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज में लिवर में फैट जमा हो जाता है जिसका इलाज अगर समय पर नहीं कराया जाए तो पर्मानेंट लिवर डैमेज हो सकता है जिसे हम लिवर सिरॉसिस कहते हैं जो आगे जाकर कैंसर का कारण बन सकता है।
ये 4 स्टेज में होता है। सिंपल फैट डिपॉजिशन (Steatosis), नॉन एल्कॉहलिक स्टेटोहेपेटाइटिस (Non-Alcoholic Steatohepatitis, NASH), लिवर सेल का डैमेज हो जाना (Fibrosis), सबसे खतरनाक है लिवर सेरॉसिस (Liver Cirrhosis) जिससे लिवर डैमेज हो जाता है।
ये आजकल बहुत सामान्य है और आज कल लाइफस्टाइल बदलाव की वजह से ज्यादा लोगों में होता है। इसका डायग्नोसिस नहीं हो पाता और ज्यादातर दूसरे टेस्ट के द्वारा पता चलता है। इसके कोई शुरुआती लक्षण नहीं हैं और इसके लक्षण आपको एडवांस स्टेज में नजर आते हैं।
पेट के ऊपरी दाएं भाग में दर्द या अधिक थकान, वजन घटना या कमजोरी होना इसके लक्षण हैं। वहीं सिरोसिस के लक्षण त्वचा का पीला पड़ना और आंखों का सफेद पड़ना, त्वचा पर खुजली होना, पैर, घुटनों और पेट में सूजन।
इस बीमारी की वजह को हमें अवॉयड करना चाहिए। जैसे कि एल्कोहॉल, स्मोकिंग। जो लोग एल्कोहॉल नहीं पीते उन्हें भी यह परेशानी हो सकती है। यह वजन बढ़ने, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने, हाईपर टेंशन, डायबिटिज, पीसीओएस आदि के कारण भी हो सकता है। जंक फूड छोड़ने से ये परेशानी कम हो सकती है। ये सभी उम्र के लोगों में हो सकता है।
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वैसे तो नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के लक्षण सबमें अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों में ये सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के कारण विशेषज्ञों को ठीक से पता नहीं है कि क्योंकि कुछ लोगों नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज लिवर में फैट जमा होने की वजह से होता है तो कुछ लोगों में इसकी वजह कुछ और भी हो सकती है। इसी तरह इस बात की कम सूचना है कि कुछ फैटी लिवर में सूजन क्यों पैदा होती है जो आगे चलकर सिरोसिस की वजह बनती है।
NAFLD (नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज) और NASH (नॉन एल्कोहॉलिक स्टेटोहेपेटाइटिस) दोनों इस तरह से आपस में जुड़े हुए हैं:
ये दोनों स्वास्थ्य समस्याएं लिवर में फैट के जमने को बढ़ावा देने के लिए दिखाई देती हैं। कुछ लोगों के लिए यह एक्सट्रा फैट लिवर सैल के लिए टॉक्सिन का काम करते हैं जिससे लिवर की सूजन और नॉन एल्कोहॉलिक स्टेटोहेपेटाइटिस (NASH) होता है जिससे लिवर में स्कार हो सकता है।
यह बीमारियों और स्थितियों नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के खतरे को बढ़ा सकता हैः
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नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज और एनएएसएच की मुख्य परेशानी सिरोसिस है जो लिवर में होने वाला निशान है। सिरोसिस लिवर में इंजरी की वजह से होता है जिसे नॉन एल्कोहॉलिक स्टेटोहेपेटाइटिस भी कहा जाता है। जैसे ही लिवर सूजन को रोकने की कोशिश करता है यह फाइब्रोसिस की वजह बनता है। जैसे जैसे सूजन बढ़ता है फाइब्रोसिस अधिक से अधिक लिवर में फैलते जाता है।
अगर इस प्रक्रिया को रोका नहीं जाता है तो सिरोसिस आगे चलकर ये परेशानियां खड़ी कर सकता हैः
5% और 12% लोगों जिनको नॉन एल्कोहॉलिक स्टेटोहेपेटाइटिस हैं उनको आगे चलकर सिरोसिस की परेशानी हो सकती है।
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नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के जोखिम को कम करने के लिए:
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के लिए निर्धारित अनुसार दवाएं लें। अगर आप डायबिटिक या इंसुलिन प्रतिरोधी हैं, तो आपका डॉक्टर स्टैटिन को ट्राइग्लिसराइड के स्तर या मधुमेह विरोधी दवाओं को कम करने के लिए लिख सकता है। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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