एसाइटिस
लिवर, कैंसर, कंजस्टिव हार्ट फेलियर या किडनी जैसी अन्य बीमारियों की वजह से पेट (एब्डॉमिनल कैविटी) में पेल येलो या पानी की तरह तरल पदार्थ जमा होने लगता है, जिसे एसाइटिस कहते हैं। एब्डॉमिनल कैविटी और चेस्ट कैविटी डायफ्रम से अलग होती है।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
लिवर, कैंसर, कंजस्टिव हार्ट फेलियर या किडनी जैसी अन्य बीमारियों की वजह से पेट (एब्डॉमिनल कैविटी) में पेल येलो या पानी की तरह तरल पदार्थ जमा होने लगता है, जिसे एसाइटिस कहते हैं। एब्डॉमिनल कैविटी और चेस्ट कैविटी डायफ्रम से अलग होती है।
किसी भी बीमारी का इलाज शुरुआती दौर से करने पर बीमारी को आसानी से मात दिया जा सकता है। इसलिए एसाइटिस या कोई और बीमारी होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा।
एब्डॉमिनल कैविटी में तरल पदार्थ बनने कई कारण हो सकते हैं। एसाइटिस के लक्षण अचानक से भी नजर आ सकते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है की लक्षण नजर आते ही स्थिति गंभीर हो जाये।
निम्नलिखित लक्षण होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा:
इन लक्षणों के अलावा एसाइटिस के और भी लक्षण हो सकते हैं।
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ऊपर बताए गए लक्षण नजर आने पर या कोई शारीरिक परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लिवर में घाव (liver scarring) की वजह से एसाइटिस की समस्या होती है। इससे ब्लड वेसेल्स में ब्लड का दवाब बढ़ता है। दवाब बढ़ने की वजह से एब्डॉमिनल कैविटी में तरल पदार्थ जमा होने लगता है, जिस कारण एसाइटिस की बीमारी होती है। निम्नलिखित कारणों से लिवर से जुड़ी परेशानी हो सकती है।
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दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
निम्नलिखित टेस्ट की जा सकती है:
किन कारणों से एसाइटिस हुआ है स्थिति कैसी है, यह ध्यान में रखकर इसका इलाज किया जाता है।
डाइयूरेटिक
डाइयूरेटिक से एसाइटिस का इलाज किया जाता है। शरीर में नमक और पानी की बढ़ी हुई मात्रा जिससे वेन्स और लिवर के पास बढ़े हुए दवाब को कम किया जाता है। डाइयूरेटिक से इलाज के दौरान डॉक्टर पेशेंट के ब्लड प्रेशर और प्लस रेट की लगातार जांच की जाती है।
एसाइटिक टैपिंग
इस प्रक्रिया में पेट में जमा हुआ पानी सुई और ट्यूब की सहायता से निकाला जाता है। डॉक्टर एक बार में ज्यादा से ज्यादा से डेढ़ से दो लीटर तक तरल पदार्थ को निकाल सकते हैं।
इनसब के अलावा डॉक्टर इलाज से पहले और बाद भी पेशेंट के ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं।
निम्नलिखित टिप्स अपनाकर एसाइटिस से बचा जा सकता है:
अगर इस बीमारी से जुड़े कोई प्रश्न हैं आपके पास तो समझने के लिए कृपया अपने चिकित्सक से संपर्क करें। ।
डिस्क्लेमर
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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr Sharayu Maknikar