व्यायाम
फैटी लिवर के बचाव के लिए घरेलू नुस्खों के साथ व्यायाम पर विशेष ध्यान रखें। इसके माध्यम से वजन कम करके लिवर के फैट को कम किया जा सकता है। लेकिन, एक साथ बहुत व्यायाम न करें, इससे दिक्कत हो सकती है। व्यायाम का समय शुरुआत में कम रखें, फिर धीरे-धीरे बढ़ाएं।
ऑयली न खाएं
फैटी लिवर से बचाव के लिए ऑयली और स्पाइसी खाने से परहेज करें। ऐसी चीजें खाएं जो आसानी से पच जाए।
फैटी लिवर के लक्षण शुरू में नजर नहीं आते। इसलिए, इस समस्या का जल्दी पता नहीं चलता। लेकिन, अगर ध्यान न दिया जाए, तो परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं। इन घरेलू नुस्खों को अपनाने के साथ-साथ समय-समय पर अपने लिवर की जांच भी करवाते रहें और डॉक्टर की सलाह भी जरूर लें।
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फैटी लिवर से बचाव के लिए उसे समझें
आमतौर पर हमारा लिवर कुछ मात्रा में फैट को स्टोर करके रखता है। पर जब यह जब लिवर में फैट सेल्स की मात्रा तय सीमा से ज्यादा बढ़ जाती है, तो इसे फैटी लिवर डिसीज कहते हैं। नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर में उन लोगों के लिवर में भी फैट का अतिरिक्त स्टोरेज बढ़ जाता है, जो शराब की वजह से नहीं होता है। अगर लिवर के वजन से 5 से 10 प्रतिशत से ज्यादा फैट हो, तो इसे फैटी लिवर कहा जाता है। फैटी लिवर से बचाव से पहले आपको फैटी लिवर के बारे में निम्नलिखित बातें जानना बेहद जरूरी हैं।
- मोटापे, कोलेस्ट्रॉल, ट्रायग्लिसराइड जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोगों को भी नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर होने की संभावना ज्यादा होती है।
- इसके अलावा जिन लोगों को ज्यादा तेजी से वजन कम होता है उनमें भी नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर हो सकता है।
- ज्यादा समय तक फैटी लिवर में सजून घातक हो सकती है क्योंकि ये सिरॉसिस यानी लिवर के क्षीण होने का कारण बनती है।
- फैटी लिवर के यूं तो कोई लक्षण शुरुआत में नहीं दिखाई देते लेकिन बाद में यह अचानक से उभरते हैं जैसे कमजोरी, भूख में कमी, उल्टी, पेट में दर्द, त्वचा का पीला होना, भ्रम की स्थिति आदि।
- कई बार सिरॉसिस का समय पर इलाज कर इसे ठीक किया जा सकता है क्योंकि लिवर खुद को रिपेयर करने की क्षमता रखता है।
- अगर सिरॉसिस बढ़ जाए, तो यह कैंसर का भी रूप ले सकता है। लिवर सिरॉसिस जानलेवा भी हो सकता है।
- सिरॉसिस अगर ठीक न हो तो व्यक्ति को जीवत रखने का एकमात्र उपाय लिवर ट्रांस्प्लांट ही बचता है।