जड़ी-बूटियां (एलोवेरा और गार्शिनिया)

यहां हम आपको ऐसी जड़ी बूटियों के बारे में नहीं बता रहे जिनको पहचानना और उपयोग करना मुश्किल होता है। हम आपको वजन कम करने वाली ऐसी जड़ी बूटी के बारे जानकारी दे रहे हैं जो आजकल लगभग हर घर में मौजूद होती है। यहां हम बात कर रहे हैं एलोवेरा की। आयुर्वेद के अनुसार वेट लॉस करना चाहते हैं तो यह आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है।
दरअसल एलोवेरा में फैट बर्न की क्षमता होती है जो उसमें मौजूद विटामिन बी की उपस्थिति की वजह से होता है जो शरीर में जमा फैट को एनर्जी में परिवर्तित करता है और वजन घटाने में मदद करता है। इसके साथ ही एलोवेरा आपके मेटाबॉलिज्म को बूस्ट कर देता है जिससे आप दिन भर में अधिक कैलोरीज को बर्न कर सकते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि एलोवेरा को यूज कैसे किया जाए। तो बता दें कि इसका बेहद आसान तरीका है एलोवेरा जूस। जो आजकल बेहद पॉपुलर है। कपिवा एकेडमी आयुर्वेदा के डॉ आनंद द्विवेदी इसके बारे में विस्तार से बताते हुए कहते हैं, ‘’एलोवेरा मेटाबॉलिज्म (विशेषकर लिवर) में सुधार करता है और भूख को भी शांत करता है। इसका सेवन वजन बढ़ाने में योगदान नहीं देता है। इसलिए यह वजन प्रबंधन (वेट लॉस) में मदद करता है। 10 मिली-15 मिली एलोवेरा जूस को सुबह खाली पेट 1-2 चम्मच शहद के साथ आधा गिलास पानी में मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है।
अगर आप एलोवेरा जूस की मदद से वजन कम करना चाहते हैं तो कपिवा के एलो गार्शिनिया जूस की मदद ले सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार वेट लॉस करने का यह आसान तरीका है। यह एलोवेरा और गार्शिनिया से मिलकर बनता है। गार्सीनिया (Garcinia) इंडोनेशिया के मूल में पाया जाने वाला औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। इसके एक्सट्रेक्ट का यूज कपिवा एलो गार्शिनिया जूस में किया जाता है। इन दोनों हर्ब का कॉम्बिनेशन मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के साथ ही भूख को कम करके बॉडी में न्यू फैट के प्रोडक्शन को रोकता है और वजन मैनेजमेंट में सपोर्ट करता है। इसके साथ ही इसमें हायड्रोक्सिल एसिड (Hydroxyl Acid) भी होता है जो भूख को मारने के लिए जाना जाता है। यह जूस वेट लॉस के साथ ही फैट लॉस में भी मदद करता है। इसका यूज करना भी बेहद आसान है। 30ml पानी में 30ml कपिवा एलो गार्शिनिया जूस मिलाएं। स्वादानुसार शहद, शक्कर या नमक डालें और अच्छे परिणाम के लिए प्रत्येक सुबह खाली पेट पिएं।’’
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नट्स (बादाम, अखरोट)

अगर आप आयुर्वेद के अनुसार वेट लॉस करने के बारे में सोच रहे हैं तो नट्स का उपयोग भी इसका एक आसान तरीका है। जिसमें पहले नंबर पर आता है बादाम। बादाम प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट और हार्ट हेल्दी फैट्स का अच्छा सोर्स है। बादाम में मोनो अनसैचुरेटेड फैट्स पाए जाते हैं जो ओवरईटिंग को कम करने में मदद करते हैं। वहीं इसमें मौजूद फायबर पेट भरा होना का एहसास कराता है। इसमें मौजूद एमिनो एसिड्स फैट बर्न करने में मदद करते हैं।
इसी तरह अखरोट भी फैट लॉस को प्रमोट करते हैं। इनमें अनसैचुरेटेड फैट्स पाया जाता है जो हेल्दी बॉडी वेट को प्रमोट करता है। अखरोट भूख को कम करने में भी मदद करता है। इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, प्लांट स्टेरॉल्स और विटामिन्स भूख को कम करने में मदद करते हैं जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
आप चाहे तो इन नट्स को ऐसे ही खा सकते हैं या फिर इनका उपयोग स्मूदीज और शेक में कर सकते हैं। ये आपकी स्मूदीज को टेस्टी के साथ ही क्रंची भी बना देंगे और वेट लॉस को प्रमोट करेंगे। यह अतिरिक्त फायदा तो आपको मिलने ही वाला है। अब बारी है आयुर्वेद के अनुसार वेट लॉस में मदद करने वाले फलों के नाम पता करना का।
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फल (सेब, संतरा)

अगर आप वजन कम करना चाहते हैं और फल खाने के भी शौकीन हैं तो आपके लिए यह खुशखबरी है। आपको बता दें कि ऐसे फल भी मौजूद हैं जो वजन को कम करने में मदद करते हैं। जिसमें पहला नाम आता है ए से एप्पल यानी कि सेब का। एप्पल में कैलोरीज कम और फायबर अधिक होता है। इसको खाने के बाद पेट भरा होने का एहसास होता है। जिससे आप दूसरी चीजों का सेवन कम करते हैं। यह भूख को कम करने में भी मदद करता है।
ऐसा ही एक दूसरा फल है संतरा। यह भी लो कैलोरीज और हाय फायबर वाला फ्रूट है। यह विटामिन सी का भी अच्छा सोर्स है। यह भी फुलनेस का एहसास दिलाता है और भूख को कंट्रोल करने में मदद करता है। वैसे तो फलों को साबुत खाने पर ये सबसे ज्यादा फायदेमंद होते हैं, लेकिन आप चाहे तो जूस या शेक में भी इनका उपयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार वेट लॉस में फलों का भी विशेष महत्व है। साथ ही यह ओवरऑल हेल्थ को भी प्रमोट करते हैं।
अभी तो आपने उन चीजों की बारे में जानकारी हासिल की जो वेट लॉस को सर्पोट करती हैं अब जान लेते हैं उनके बारे में जो आयुर्वेद के अनुसार वजन को बढ़ाने का काम करती हैं। डॉ द्विवेदी बताते हैं, ‘’यदि आप लगातार अधिक मात्रा में भोजन कर रहे हैं, तो इससे पाचन अग्नि (Digestive fire) में वृद्धि होती है, क्योंकि शरीर को भोजन की बढ़ी हुई मात्रा को पचाने के लिए इसकी आवश्यकता होती है, लेकिन क्योंकि मेदो धातु में रुकावट होती है, अधिक से अधिक फैट टिशूज का प्रोडक्शन होता है, जिससे वजन बढ़ता है। अन्य कारणों में दिन में सोना, पचाने में कठिन तैलीय या मीठे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन और आनुवंशिकता भी शामिल है।
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वे आगे सुझाव देते हैं, ‘’अगर आपको आयुर्वेद के अनुसार वेट लॉस करना है या वजन को नियंत्रित रखना है तो आपको कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखना होगा। जिसमें सीजनल फल और सब्जियों का सेवन, ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर की सही टाइमिंग, एक साथ बहुत सारा ना खाकर छोटे-छोटे मील्स लेना, जंक और फास्ट फूड से दूरी, योग और व्यायाम को रूटीन में शामिल करना आदि शामिल हैं।’’
इन डायट चेंजेस को अपनाकर आप अपने वेट लॉस प्लान को नेक्स्ट लेवल पर ले जा सकते हैं, इसलिए जब आयुर्वेद प्रभावी रूप से वजन घटाने और आपके लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त करने में आपकी मदद कर सकता है, तो कई प्रकार की डायट के झंझट में पड़ने की जरूरत ही नहीं।