वैद्य रत्नावली के अनुसार आयुर्वेदिक दवा को तैयार करना काफी आसान है। आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो एक्सपर्ट की राय व सही औषधी यदि मिल जाए तो दवा को तैयार करना आसान है। खासतौर से लॉकडाउन के समय में यदि किसी को सर्दी, खांसी या कोई अन्य बीमारी हो गई तो इसका इलाज वह आसानी से कर सकता है। उदाहरण के तौर पर घास को ही ले लें, पारीजात फूल का इस्तेमाल तुरंत निकालकर किया जा सकता है। यदि दवा की दुकान न भी खुली हो तो इसका इस्तेमाल खुद से किया जा सकता है, यह उतनी ही इफेक्टिव होगी जितनी की दवा। दर्द, सर्दी, खांसी, पेट दर्द होने पर अक्सर हम अज्वाइन व हींग पाउडर मिलाकर खाते हैं। यह काफी इफेक्टिव होता है। यह भी आयुर्वेद के लाभ में से एक है।
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आयुर्वेदिक दवा का असर
आयुर्वेदिक दवा का असर ऐलोपैथिक दवा की तुलना में देर से होता है। उदाहरण के तौर पर हम अर्थराइटिस को ही ले लें, इस बीमारी में यदि ऐलोपैथी पेन किलर का सेवन करेंगे तो तुरंत रिलीफ मिलेगा। वहीं यदि पेन किलर नहीं खाएंगे तो फिर उसी तेजी से दर्द होगा, लेकिन आयुर्वेदिक दवा में यदि इसका सेवन करेंगे तो दो से तीन दिन में असर दिखना शुरू होगा। अर्थराइटिस की बीमारी के लिए ही यदि दवा खा रहे हैं और एक दो डोज आयुर्वेद दवा का सेवन न भी किया या किसी कारणवश छूट गया तो ऐसा नहीं है कि जोड़ों को दर्द बढ़ेगा। वहीं कई केस में देखा गया है कि दवा का पूरा कोर्स करने में बीमारी पूरी तरह से ठीक होती है। यह आयुर्वेद का सबसे बड़ा लाभ है।
डॉ पाठक बताती हैं कि ऐसे मरीज जिनकी स्थिति ठीक नहीं है या जो कैजुएलिटी में हमारे पास पहुंचते हैं तो उन मरीजों को हम ऐलोपैथी ट्रीटमेंट लेने की सलाह देते हैं।
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आयुर्वेद के उपचार के बुनियादी सिद्धांतों पर नजर
जैसा कि पहले हमने जाना कि अग्नि, मल, धातु, दोष इन तत्वों से शरीर बना है। ऐसे में हर एक तत्व की अपनी विशेषता है, उसको ध्यान में रखकर ही इलाज किया जाता है। दोष की बात करें तो इसमें वात, पित्त, कफ आता है। जो शरीर के डायजेशन सिस्टम को नियंत्रण में रखता है। इन तीनों का मकसद शरीर में पचे हुए खाद्य पदार्थ को शरीर से बाहर निकालना है। वहीं यदि इन तीनों में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी आती है तो व्यक्ति बीमार पड़ता है। दूसरा व सबसे अहम तत्व धातु होता है। यह दिमाग के विकास व उसके विकसित होने में मदद करता है। वहीं शरीर को कई अहम पोषक तत्व भी देता है। धातु में प्लाज्मा, वीर्य, बोन मैरो, हड्डी, एडिपोस टिशू, खून, प्लाज्मा यह सात टिशू होते हैं। यदि इसमें किसी प्रकार की कोई खराबी या असमानता आए तो व्यक्ति बीमार पड़ सकता है।
तीसरा मल आता है। मल शरीर की गंदगी है, जिसे शरीर खुद ब खुद ही निकाल देता है। इसके तीन प्रकार होते हैं, इनमें मल, मूत्र और पसीना आता है। यदि इससे संबंधित कोई दिक्कत होती है तो व्यक्ति बीमार पड़ सकता है। चौथा व सबसे अहम अग्नि है। इसके महत्तव की बात करें तो अग्नि की मदद से ही शरीर के अंदर जा रहे खाद्य पदार्थ को पचाया जाता है। अग्नि को आहार नली, लिवर और टिशू सेल्स के अंदर मौजूद एंजाइम को कहा जा सकता है। आयुर्वेद के लाभ की बात करें तो इन तत्वों की जानकारी अहम होती है।